नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क): रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि केंद्र सरकार एक योजना लेकर आई है जिसके तहत कोविड-19 के मद्देनजर छह महीने (मार्च से अगस्त) के मोरोटोरियम की अवधि के लिए कर्जदारों को चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच का अंतर अनुग्रह राशि के तौर पर दिया जाएगा। यह अनुग्रह राशि कर्जदारों के ऋण खातों में जमा होंगे।
इस योजना का लाभ एमएसएमई, शिक्षा, आवास, उपभोक्ता ड्यूरेबल्स, क्रेडिट कार्ड व ऑटोमोबाइल ऋण के अलावा पेशेवरों द्वारा लिए गए व्यक्तिगत ऋण, उपभोग ऋण भी शामिल हैं, जिनकी बकाया राशि दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।हलफनामे में कहा गया है कि यह योजना उन सभी कर्जदारों के लिए है जिन्होंने पूर्ण या आंशिक रूप से मोरोटोरियम का लाभ लिया हो या जिन्होंने उसका लाभ न भी उठाया हो। वित्त मंत्रालय ने गत 23 अक्तूबर को कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए इस योजना को मंजूरी दे दी है।
गजेंद्र शर्मा सहित अन्य द्वारा ऋण पर ब्याज पर ब्याज लगाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के जवाब में आरबीआई ने कहा है कि 26 अक्तूबर को सभी वाणिज्यिक बैंकों (छोटे वित्त बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित), सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान और सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित) को सलाह दी गई है कि वे इस योजना के प्रावधानों का पालन करें और एक नियत समय के भीतर जरूरी कदम उठाए। हलफनामे में कहा गया है कि अनुग्रह राशि जमा करने का काम पांच नवंबर तक पूरा हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट तीन नवंबर को इस हलफनामे पर विचार करेगा।