लाखों-करोड़ों दिलों को जोड़ने वाला मजहब जब कला, खेल, संस्कृति, सियासत और सामाजिक उत्थान के आड़े आ जाए, तो देश में बहस और टकराव की नई इबारत लिख दी जाती है. आमिर खान वाली ‘दंगल गर्ल’ जायरा वसीम ने मजहब की आड़ लेकर अचानक फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहा, तो बॉलीवुड से लेकर सियासत तक खलबली मच गई. वहीं बंगाली सिनेमा की खूबसूरत अभिनेत्री और पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस की सांसद चुनी गई नुसरत जहां ने लोकसभा में सिंदूर-मंगलसूत्र का श्रृंगार कर शपथ ली, तो मजहब के ठेकेदारों ने उसके खिलाफ कथित तौर पर ‘फतवा’ जारी कर दिया. इधर ‘दंगल गर्ल’ जायरा वसीम ने मजहब की दीवार बनाई, तो उधर सांसद नुसरत जहां ने उसे तोड़ दिया! अब बताइए कि इन दोनों अभिनेत्रियों में से देश के लिए बेमिसाल कौन है?
पहले बात जायरा वसीम की. फिलहाल 19 साल की इस लड़की का फिल्म ‘दंगल’ के लिए 5 साल पहले 19,000 लड़कियों में से चयन हुआ था. मां-बाप सुशिक्षित हैं. नौकरीपेशा हैं. इनके विचार दकियानूसी नहीं हैं. ‘दंगल’ के लिए जब जायरा ने छोटे-छोटे बाल कटवाए, तब उसे कट्टरपंथियों ने जान से मारने की धमकी भी दी थी. फिर भी उसने बॉलीवुड नहीं छोड़ा. इस दौरान उसने तीन फिल्मों में काम किया. उसे और भी फिल्में मिल रही थीं, मगर उसे लगा कि वह अपने ईमान से भटक रही है. वह कहती है कि यह रास्ता मुझे गुमराह करने लगा. मेरे धर्म के साथ मेरा रिश्ता भी खतरे में आ गया. इस दौरान मैं अपनी रूह से लड़ती रही. आखिरकार मैंने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला कर लिया. कमाल है, इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी सोच का! जायरा चाहती, तो चुपचाप बॉलीवुड छोड़ सकती थी. मगर उसने मजहब की आड़ लेकर इसे छोड़ा. उसकी फेसबुक पोस्ट निश्चित ही उस कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाली है, जिसने एक होनहार अभिनेत्री का करियर तबाह कर दिया.
उसके समर्थन में लोग कहते हैं कि यह उसका निजी फैसला है. यह सच भी है, मगर उसने जब मजहब की आड़ लेकर इसे सार्वजनिक किया है, तब उस पर बहस और चर्चा तो होगी ही. वह खुद ढोल-नगाड़ों के साथ धर्म की चादर ओढ़कर बॉलीवुड से चली गई, तो रवीना टंडन या तस्लीमा नसरीन जैसी महिलाएं बाल की खाल तो निकालेंगी ही. अगर किसी भी धर्म की लड़की को यह लगता है कि थोड़ा-सा पढ़ो-लिखो, शादी करो, चूल्हा-चौका करो, बच्चे पैदा करो और…. मर जाओ! इसी से अगर ईमान-धर्म बचता है, तो धिक्कार है ऐसी छोटी सोच पर! तरस आता है ऐसी कट्टरता पर, जो किसी की कला और करियर को तबाह कर दे, …वह किस काम की!
इसके विपरीत बंगाली फिल्मों की अभिनेत्री और तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने साड़ी-मंगलसूत्र पहनकर और माथे पर बिंदी-सिंदूर लगाकर लोकसभा में न केवल शपथ ली, बल्कि ‘वंदे मातरम’ भी कहा और अध्यक्ष के पांव छुए, तो यह भी कट्टरपंथियों को बहुत अखर गया. नुसरत पैदाइशी मुस्लिम है, मगर उसने हाल ही में निखिल जैन नामक बड़े बिजनेसमैन से शादी की है. उसने मजहब की दीवार तोड़कर लोकसभा में साड़ी-बिंदी-मंगलसूत्र और सिंदूर धारण किया, तो मजहब के ठेकेदारों की भावनाएं आहत हो गयीं. देवबंद के मौलवी ने कथित रूप से उसके खिलाफ ‘फतवा’ जारी कर दिया. हालांकि देवबंद ने इस प्रकार के ‘फतवे’ का खंडन किया है, फिर भी सोशल मीडिया पर हजारों लोग नुसरत को ‘ट्रोल’ कर रहे हैं. कह रहे हैं कि ऐसा करना इस्लाम विरोधी है.
इस पर नुसरत जहां का कहना है कि वह मुस्लिम जरूर है, लेकिन सभी धर्मों का सम्मान करती हैं. क्योंकि धर्म, पहनावे और श्रृंगार से ऊपर होता है. मेरे पहनावे और श्रृंगार के निर्णय पर केवल मेरा अधिकार है. इसमें किसी को रोकने-टोकने-बोलने की जरूरत नहीं है. बहरहाल,अब देश में इस पर बहस चल रही है कि जायरा वसीम ने सही किया अथवा नुसरत जहां ने? भारतीय परंपरा के लिहाज से इन दोनों में से कौन बेमिसाल है? इसका फैसला भी देश को करना होगा. यहां भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान भी गौरतलब है, जिसमें उसने कहा है कि मुस्लिम कट्टरपंथियों और मौलवियों को नुसरत का आचरण अगर ‘हराम’ लगता है, तो हिंदू-बेटियों को ‘#लवजिहाद’ में फ़ांसना, उन्हें बुर्का पहनने के लिए मजबूर करना और फिर ‘तीन तलाक’ दे देना ….क्या जायज है?
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