औरंगाबाद (तेज समाचार डेस्क). एक तरफ महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते संक्रमण में राज्य के मुखिया उद्धव ठाकरे व स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे कई सख्त निर्णय लेकर जनता को राहत पहुंचाने में जूटे हैं. वहीं, दूसरी तरफ गत तीन सप्ताह से हाथ पर हाथ धरे बैठे पालकमंत्री सुभाष देसाई औरंगाबाद में ‘सारी’ बीमारी से 14 मरीजों की मौत के बाद जागे है. उन्होंने ‘सारी’ से कईयों की जान जाने के बाद ‘सारी’ बीमारी पर रोक लगाने के लिए जिले भर में स्वतंत्र बुखार जांच अस्पतालों को शुरु करने का निर्णय लिया है.
पालकमंत्री सुभाष देसाई द्वारा लिए गए इस निर्णय की पृष्टि करते हुए महापौर नंदकुमार घोडिले ने बताया कि कोरोना के साथ-साथ ‘सारी’ से पीडि़त सैकड़ों मरीज हर दिन औरंगाबाद में पाए जा रहे है. शहर में करीब तीन सप्ताह से लॉकडाउन जारी है. इस लॉकड़ाउन में शहर वासियों की समस्याओं को जानकर उन्हें हल करने के लिए पालकमंत्री सुभाष देसाई ने कोई पहल नहीं की. उन्होंने गत तीन सप्ताह में ना शहर का दौरा किया और ना ही यहां के स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में कोई निर्णय लिए. कोरोना के साथ-साथ शहर में ‘सारी’ बीमारी ने बड़े पैमाने पर पांव पसारकर 14 लोगों की जान लेने की खबरें राष्ट्रीय स्तर पर मीडिय़ा में दिखाए व अखबारों में प्रकाशित होने के बाद औरंगाबाद के पालकमंत्री सुभाष देसाई जागे.
उधर, ‘सारी’ बीमारी पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा किसी तरह के प्रयास न किए जाने से शहर सहित मराठवाड़ा की जनता चिंतित थी.इसी चिंता के बीच सोमवार को पालकमंत्री सुभाष देसाई ने मंत्रालय में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संचालक व स्वास्थ्य सचिव अनुपकुमार, स्वास्थ्य शिक्षण संचालक डॉ. तात्याराव लहाने के साथ चर्चा की. चर्चा में ‘सारी’ बीमारी पर रोक लगाने के लिए औरंगाबाद जिले में बुखार जांच अस्पताल कई स्थानों पर शुरु करने का निर्णय लिए जाने की जानकारी महापौर नंदकुमार घोडि़ले ने दी. जिले भर में कोरोना केयर सेंटर के साथ-साथ फिवर क्लिनिक भी कार्यरत करने के आदेश पालकमंत्री देसाई ने स्वास्थ्य विभाग को दिए है.