मुंबई (तेज समाचार डेस्क): अरब दुनिया के अघोषित नेता सऊदी अरब ने चीनी वैक्सीन सर्टिफिकेट्स को मान्यता प्रदान करने से मना कर दिया है, जिसके कारण पाकिस्तान के लोग अब सऊदी अरब में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। चीन की दोनों वैक्सीन, Sinopharm और Sinovac को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO की ओर से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन सऊदी अरब को चीनी Vaccines पर कोई भरोसा नहीं है, जिसके कारण उसने यह बड़ा फैसला लिया है।
कोरोना से ग्रसित और भारी कर्ज़ तले दबे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को सऊदी अरब की बेहद ज़रूरत है। यही कारण है कि पाकिस्तानी प्रशासन अब अरब नेताओं को मनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार इस मुद्दे पर अरब के मंत्रियों से बात कर रहे हैं। उनके बयान के मुताबिक “PM इस मुद्दे पर लगातार अरब के नेताओं से संपर्क साधे हुए हैं। Sinopharm एक अद्भुत वैक्सीन है और मैं सहयोग के लिए चीन को सैल्यूट करता हूँ।”पिछले महीने ही यह खबर सामने आई थी कि सऊदी अरब ने चीनी वैक्सीन ले चुके पाकिस्तानियों को सऊदी में प्रवेश के बाद जबरन Quarantine करने का आदेश सुनाया था।
पाकिस्तानियों के लिए अधिक समस्या की बात यह थी कि सऊदी अरब का प्रशासन Quarantine का खर्चा भी पाकिस्तानियों से ही ले रहा था। हालांकि, अब सऊदी प्रशासन ने सीधे ही सभी चीनी vaccine के उपभोक्ताओं पर ही बैन लगाने का काम कर दिया है।दुनियाभर में चीन में बनी Vaccines के प्रति अविश्वसनीयता का भाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में UK की सरकार द्वारा भी UAE और बहरीन जैसे देशों को Travel की red list में डाल दिया गया है, बावजूद इसके कि इन दोनों ही देशों में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन प्रदान की जा चुकी है, लेकिन वो चीनी वैक्सीन ही हैं। जाहिर है कि दुनिया में चीनी Vaccines को कोई भाव नहीं दे रहा है, और चीनी वैक्सीन इस्तेमाल करने वाले देशों को दुनिया से अलग-थलग किया जा रहा है। पाकिस्तान ऐसा ही एक देश है।पाकिस्तान तुर्की के साथ नज़दीकियाँ बढ़ाकर पहले ही अरब देशों के निशाने पर आ चुका है। पाकिस्तान, मलेशिया और तुर्की के साथ मिलकर एक परस्पर इस्लामिक ब्लॉक बनाने की बात कर रहा था, जिसके कारण सऊदी अरब का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुँच गया। उसके बाद ना सिर्फ UAE और सऊदी अरब जैसे देश पाकिस्तान से अपना कर्ज़ वापस मांग चुके हैं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसका बहिष्कार भी कर चुका है। हालिया फैसला इसी ओर इशारा कर रहा है।सऊदी अरब कभी पाकिस्तान का सबसे सच्चा साथी हुआ करता था, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की बयानबाज़ी और तुर्की के साथ बढ़ती नज़दीकियों ने इमरान सरकार के अच्छे दिनों के दौर को समाप्त कर दिया है।