शिरपूर: गर्भवती महिला का जलती मशाल के सहारे बैलगाडी मे सफर
# विकास मॉडल शिरपूर के आदिवासी अंचलों मे स्वास्थ्य सुविधा के बजे बारा
# महिला व बालमृत्यू रोकने के लिए सरकार कटिबद्ध है. किंतु यहां गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस तक नही मिल रही है.
शिरपूर (तेज समाचार प्रतिनिधि) विकास मॉडल शिरपूर के आदिवासी अंचलों मे स्वास्थ्य सेवा पुरी तरह चरमरा जाने का पुख्ता सबूत महादेव दोंडवाडा के अंतर्गत आनेवाले भिवखेडा पाडामे गर्भवती महिला को प्रसूति के लिए रात 12 बजे के करीब मशाल का सहारा लेकर पथरीले रास्ते से दवाखाने तक जाना पडा.
तहसिल के पहाडी इलाके मे बसनेवाले महादेव दोंडवाडा ग्रामपंचाय अंतर्गत आनेवाला भिवखेडापाडा आज भी मौलिक सुविधा से जूझ रहा है. यहां दिल दहला देनेवाला सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां स्वास्थ्य सुविधा की गंभीर समस्या सामने आई है. यहां की सुनिताबाई शिवदास भील नामक महिला को एकाएक प्रसवपीडा होने लगी. बीच सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध ना होने से उक्त महिला को बैलगाडी मे बिठाकर घने अंधेरे मे लकडी को कपडा लपेटकर मशाल के उजाले मे करीब डेढ किमी का पथरीला रास्ता पार करनेपर प्रसवपिडा बढ गई. जिससे वापस घर ले जाया गया. वहींपर निजी डॉक्टर को बुलाकर डिलेवरी की गई. फिलहाल महिला की तबीयत ठिक है.
विकास मॉडल शिरपूर के आदिवासी अंचलों मे सडक, पानी, बिजली, स्वास्थ्यसेवा, शिक्षा आदी मौलिक सुविधाओं के अभावमे आज भी आदिवासी समाज जीवनयापन गुजार रहा है. यहां विकास की बाते बेईमान साबित होती है.