शिरपुर (तेज समाचार डेस्क). शिरपुर तहसील के वाघाडी के पास स्थित रूमित के मसिंथ प्रायवेट लिमिटेड नामक केमिकल फैक्ट्री में शनिवार की सुबह भीषण विस्फोट हुआ था. इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी जबकि करीब 60 लोग घायल हो गए. इस घटना को कंपनी प्रशासन की लापरहवाही मानते हुए कंपनी व्यवस्थापन पर सदोष मनुष्य वध का मामला दर्ज किया गया है. कंपनी में कार्यरत कामगार गब्बरसिंह सिंगा पावरा (43,जुना चांदसूर्या) की शिकायत पर शिरपुर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है.
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जानकारी के अनुसार रूमित के मसिंथ प्रा.लि. कंपनी में तीन शिफ्ट में काम होता है. 31 अगस्त को सुबह 9 बजे रात की शिफ्ट खत्म हुई थी, तथा सुबह की शिफ्ट शुरू हो रही थी. इसलिए रात की शिफ्ट के कामगार जा रहे थे और सुबह की शिफ्ट के कामगार कंपनी में आ रहे थे. सूत्रों के अनुसार घटना के समय 100 से अधिक कामगार कंपनी के अंदर थे. करीब 9.40 बजे अचानक कंपनी में तेज धमाका हुआ और देखते ही देखते कंपनी चारों ओर से आग से घिर गई. इस विस्फोट से शिकायत कर्ता गब्बरसिंह सिंगा पावरा, जो कि कंपनी के जलशुद्धिकरण यूनिट पर कार्यरत था, तेज गति से बाहर फेका गया और गंभीर रूप से घायल हो गया. उसका एक काम पूरी तरह से बेकार हो गया. अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद पावरा की शिकायत पर व्यवस्थापन के खिलाफ भादंस की धारा 304, 337, 337, 274, 275, 276, 277, 427 के तहत मामला दर्ज किया है. लेकिन खबर लिखे जाने तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी.
– कंपनी बंद करने की मांग
सुभाषनगर के युवकों ने मंत्री गिरीश महाजन, जयकुमार रावल से मुलाकात कर कंपनी को पूरी तरह से बंद करने की मांग की है. वाघाडी के नागरिकों से मुलाकात के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी ने कृषि पूरक उद्योग के रूप में मान्यता प्राप्त की थी, लेकिन प्रत्यक्ष में यहां रसायन निर्मिती का काम किया जा रहा था. यह सरकार और ग्रामीणों के साथ धोखाधड़ी है. वाघाड़ी और आसपास के लोगों के लिए यह कंपनी धोकादायक होने के कारण इस कंपनी को बंद करने की मांग ग्रामीणों ने की है.
– गोदाम सील किया गया
घटना के बाद कंपनी के गोदाम, खुले में रखे गए रसायन बैरल्स आदि आज प्रशासन की ओर से सील कर दिए गए. यह कार्रवाई जिलाधिकारी गंगाथरन डी, प्रांताधिकारी डॉ. विक्रमसिंह बांदल आदि की उपस्थिति में की गई. लेकिन बाद में सील किया गया सामान कंपनी के हवाले कर उसे तुरंत अन्यत्र स्थलांतरित करने के निर्देश कंपनी को दिए गए.
– कंपनी पर सवालिया निशान
13 लोगों की मौत का कारण बनी इस कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था पर अब सवाल उठने लगे है. सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इस कंपनी का नियमित फायर ऑडिट किया गया है. प्रतिवर्ष बॉयलर इन्स्पेक्शन और रिएक्टर की जांच नियमित रूप से की जा रही थी या नहीं? केमिकल रिएक्शन कंट्रोल करने के लिए क्या उच्चशिक्षित व अनुभवी अभियांत्रिकी अधिकारी वर्ग की नियुक्ति कंपनी द्वारा की गई थी? परवाने के अनुसार इस कंपनी में रसायन उत्पादन किया जाता था क्या? क्या प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस कंपनी की समय-समय पर जांच की थी? एमआयडीसी के बाहर गांव के पास इस कंपनी को खतरनाक रसायन निर्माण की अनुमति किसने दी. ऐसे अनेक सवाल अब उठाए जा रहे हैं.
– एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट के स्थान पर रसायन निर्मिती
रुमिथ केमसिंथ अगस्त 2017 में मुंबई के चार भागीदारों को बेची गई थी. इससे पूर्व यह कंपनी मां बिजासनी पेट्रोकेमिकल्स नाम से चलाई जा रही थी. प्राथमिक जांच के अनुसार यहां औषधि के लिए आवश्यक रसायन उत्पादन किया जाता था. लेकिन इस कंपनी को एमआईडीसी में स्थान न देकर गांव के पास कैसे अनुमति दी गई, इस बात पर स्वयं जिलाधिकरी ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है. कामगार राज्यमंत्री डॉ. संजय कुटे ने इस हादसे की संपूर्ण जांच की घोषणा की है.
– गाय-बैल-बकरियों की मौत
इस दुर्घटना में सिर्फ इंसान ही नहीं मारे गए, बल्कि अनेक पशुओं की भी दर्दनाक मौत हुई है. इस कंपनी के पास ही वाघाडी निवासी चांद शेख का गोठा है. इस गोठे में रहनेवाले गाय-बैल, बकरियों की दर्दनाक मौत से शेख काफी दु:खी है.
– मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख देने की मांग
दुर्घटना के बाद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष श्यामकांत सनेर व विधायक काशीराम पावरा ने उपजिला अस्पताल में जा कर मरीजों का हालचाल जाना. इन जनप्रतिनिधियों न मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए देने की मांग की है. पालकमंत्री दादा भुसे, सांसद डॉ. हीना गावित, जिलाधिकारी डी. गंगाथरन, विधायक स्मिता वाघ, म्हाडा के उपसभापति बबनराव चौधरी, प्रा. अरविंद जाधव, कांग्रेस के तालुकाध्यक्ष प्रभाकर चव्हाण, शिवसेना के भरतसिंह राजपूत, भाजपा के राहुल रंधे, रोहित रंधे, हेमंत पाटिल, नगरसेवक चंदनसिंह राजपूत, मयूर राजपूत आदि ने घटनास्थल और अस्पताल में घायलों से मुलाकात की.