नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव भले ही कम होता दिख रहा हो, लेकिन भारतीय सेना अपनी ताकत में लगातार इजाफा करने के काम में जुटी है. यही वजह है कि अमेरिका से 72 हजार असॉल्ट राइफल खरीदने के साथ ही अब भारतीय सेना इजरायल से हेरॉन ड्रोन और स्पाइक एंटी गाइडेड मिसाइल भी खरीदेगी. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए इमरेंजसी फंड के जरिए यह खरीदी होगी. इससे सेनाओं की सर्विलांस क्षमता के साथ ही हमला करने की ताकत में इजाफा होगा.
– हेरॉन ड्रोन बढ़ाएगा एयर फोर्स की ताकत
तीनों सेनाएं पहले से ही लद्दाख सेक्टर में सर्विलांस के लिए हेरॉन अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) का इस्तेमाल कर रही है. सरकार से जुड़े एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए हेरॉन ड्रोन की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है. खासतौर पर एयरफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे खरीदा जाना जरूरी है. हालांकि, इजरायल से कितने हेरॉन ड्रोन खरीदे जाएंगे, इसकी संख्या का पता नहीं चला है. इधर, एयरफोर्स हेरॉन के आर्म्ड वर्जन पर काम कर रही है.
– 10 किमी की ऊंचाई से दुश्मन पर नजर रख सकता हेरॉन ड्रोन
तीनों सेनाएं पिछले कुछ सालों से हेरॉन ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं. यह एक बार में दो दिन तक उड़ सकता है और 10 किलोमीटर की ऊंचाई से दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख सकता है. दूसरी तरफ, सेना भी इजरायल से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाल खरीदने के बारे में सोच रही. इन मिसाइलों की एक खेप पिछले साल बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद आई थी. पिछले साल सेना को 12 लॉन्चर और 200 स्पाइक मिसाइलें मिलीं थीं. सूत्रों ने बताया कि सेना दुश्मन की आर्मर्ड रेजिमेंट के खतरे से निपटने के लिए बड़ी संख्या में स्पाइक मिसाइल लेने की प्लानिंग कर रही है.
– पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल बना रहा DRDO
डीआरडीओ भी देशी पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेट मिसाइल विकसित करने का काम कर रहा है. इसके जरिए इंफेंट्री यूनिट्स की ऐसी 50 हजार मिसाइलों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. इसके अलावा एलएसी पर हालात बिगड़ने की सूरत में उससे निपटने के लिए सेना की तरफ से पहले ही स्पाइस-2000 बम, असॉल्ट राइफल और मिसाइल खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.