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ST हड़ताल : 5 करोड़ के नुकसान का जिम्मेदार कौन?

Tez Samachar by Tez Samachar
October 22, 2017
in Featured, पुणे, प्रदेश
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ST हड़ताल : 5 करोड़ के नुकसान का जिम्मेदार कौन?
पुणे. ऐन दिवाली के समय यानी गत सोमवार की आधी रात से एसटी बसों के पहिए थम गए. बोनस सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एसटी कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी. पूर्व वर्ष में यही एक त्यौहार होता है, जब अधिकतर लोग दिवाली पर अपने-अपने घर जाते है. लेकिन एसटी की हड़ताल के कारण इस बार असंख्य लोग अपने घर नहीं जा सके. इसका खामियाजा यात्रियों के साथ ही एसटी महामंडल को भी भुगतना पड़ा. दिवाली पर यात्रियों की भीड़ को देखते हुए और अधिक आय के मद्दे नजर महामंडल की ओर से 14 से 18 अक्टूबर के बीच अधिक बसें चलाने का नियोजन भी किया था. लेकिन 17 अक्टूबर से शुरू हुई हड़ताल दिवाली के बाद 21 अक्टूबर तक जारी रही. इस कारण इन चार दिनों में एसटी पुणे विभाग को करीब साढ़े चार से पांच करोड़ रुपए का नुकसान सहन करना पड़ा. अब विचारणीय बात यह है कि इस नुकसान के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए‍? सरकार की जिद्द को या कर्मचारियों की हड़ताल को?
ज्ञात हो कि दिवाली बोनस सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एसटी कर्मचारियों ने 16 अक्टूबर की मध्यरात्रि से हड़ताल शुरू की थी. इस हड़ताल को लेकर एसटी कर्मचारी संगठन की ओर से समय-समय पर सरकार को आगाह भी किया था. सरकार को अपनी मांगों का ज्ञापन भी दिया था. लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस कारण ऐन दिवाली के समय एसटी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. सरकार को इस बात की पूर्व कल्पना थी कि यदि हड़ताल हुई, तो महामंडल को करोड़ों का नुकसान होगा. लेकिन सरकार ने कोई सकारात्मक पहल इस दिशा में नहीं की. फिर वही हुआ. हड़ताल हुई. ऐन दिवाली में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा, महामंडल को करोड़ों का नुकसान हुआ.

दिवाली में होती है करोड़ों की आय

पुणे विभाग के अंतर्गत स्वारगेट, शिवाजीनगर, पुणे स्टेशन, पिंपरी चिंचवड सहित जिले में 13 एसटी डिपो है. इन डिपो के माध्यम से प्रति दिन 70 से 80 लाख की आय एसटी को मिलती है. वहीं दिवाली के दिनों में यह आय बढ़ कर करोड़ों में होती है. इस बार दिवाली का शुभारंभ 16 अक्टूबर से हुआ. इसके बाद शनिवार और रविवार का अवकाश होने के कारण एसटी पुणे विभाग की ओर से 14 से 18 अक्टूबर के दरम्यान करीब ढाई हजार अधिक बसें चलाने का नियोजन किया था. पहले दो दिन सभी एसटी बसों में जबरदस्त भीड़ थी. इस कारण पहले दो दिनों में एसटी को करीब 1 करोड़ की आय हुई. लेकिन 16 की आधी रात से कर्मचारियों की हड़ताल से एसटी की सेवा ठप हो गई. 17 से 20 अक्टूबर इन चार दिनों में एसटी के पुणे विभाग को करीब साढ़े चार से पांच करोड़ का नुकसार सहना पड़ा है. यह आकड़ा सिर्फ पुणे जिले का ही है. संपूर्ण राज्य का विचार किया जाए, तो महामंडल को करीब 25 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.

हड़ताल से किसे क्या मिला?

हमारे देश में अपनी मांगों को मनवाने का एक ही तरीका कर्मचारियों को आता है. काम बंद कर दो. लेकिन काम बंद होने से क्या सिर्फ सरकार का ही नुकसान होता है‍? नहीं, सरकार से ज्यादा नुकसान उनका हुआ है, जो एसटी का इस्तेमाल करते है. एसटी बंद होने के कारण ही गुरुवार के दिन सांगली में हुई एक ट्रक दुर्घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी. यदि एसटी चालू होती तो शायद इन मौतों को टाला जा सकता था. यह एक घटना है. ऐसी अनेक घटनाएं राज्यभर में हुई होगी. ऐसे में क्या इन सब के लिए सरकार को दोषी माना जाए, जिसने समय रहते हड़ताल का हल नहीं निकाला?‍ या फिर सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऐन दिवाली के समय हड़ताल का शस्त्र इस्तेमाल करनेवाले कर्मचारियों को? हासिल किसी को कुछ नहीं हुआ, सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही नुकसान? अंत यह हुआ कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद कर्मचारियों को अपनी हड़ताल वापस लेनी पड़ी.
Tags: 5 करोड़ : नुकसान का जिम्मेदार कौन?5 करोड़ का नुकसानएसटी कर्मचारी हड़तालपिंपरी-चिंचवड़शिवाजी नगरस्वारगेट
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