हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सुशांत सिंह राजपूत एक प्रतिभाशाली युवा अभिनेता थे और उनके दुखद अंत पर सब स्तब्ध हैं । परिवार , समाज , फिल्मी दुनिया के य॔गस्टर्ज और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी । इसीलिए इस युवा प्रतिभाशाली अभिनेता के संदेहास्पद निधन पर सीबीआई जांच के निर्देश दे दिये गये हैं । मज़ेदार बात यह कि खुद रिया चक्रवर्ती केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पहले ही यह गुहार लगा रही थी कि इस मामले की सीबीआई जांच करवाई जाये ।
मुम्बई पुलिस पर बिहार सरकार को भी भरोसा नहीं था । इसीलिए पटना में के के सिंह ने एफआईआर दर्ज करवाई और बिहार पुलिस मुम्बई जांच के लिए पहुंच गयी । मुम्बई पुलिस ने कमाल कर दिया जब बिहार पुलिस के जांच करने गये उच्च पुलिस अधिकारी को कोरोना कानून की आड़ लेकर चौदह दिन के लिए आइसोलेट कर दिया । ऐसा क्या डर था ? दूसरे पुलिस अधिकारी भी ठंडे पड़ गये । यही मुम्बई पुलिस चाहती थी । लेकिन यंहा थोड़ी चूक हो गयी । बिहार सरकार ने बढ़ते जन दबाव के बीच सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी और केंद्र सरकार ने उसे स्वीकार कर लिया । अब पूरी महाराष्ट्र सरकार सकते में है ।
इधर शिवसेना के नेता रहे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे निलेश राणे ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए सुशांत सिंह राजपूत केस जुड़े कई सवालों को उठाया और मुंबई पुलिस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस सबूत छुपाने की कोशिश कर रही है।राणे के अनुसार 30 दिन से केस को कमजोर करने का काम किया जा रहा है और राज्य सरकार मुंबई पुलिस पर दबाव बना रही है ।
दूसरी ओर सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर सुशांत की बड़ी कमाई को अपने व परिवार पर खर्च करने का आरोप है और यह भी कहा जा रहा है कि वकीलों को मोटी फीस रिया को बचाने वालों की ओर से दी जा रही है।सुशांत की रहस्यमयी मृत्यु किसी भी फिल्म के मसाले से कम नहीं । चांद पर सबसे पहले प्लाट खरीदने वाला सुशांत धरती पर जी नहीं पाया , आकाश का एक सितारा बन कर रह गया । तभी तो शिव बटालवी कह गये:
जोबन रुते जो बी मरदा,चन्न बने या तारा , मांएं नी मांएं,असीं जोबन रुते मरना ……
इस समस्त घालमेल और राजनीतिज्ञों द्वारा कानून को अपने हिसाब से साधने की कोशिशों के बीच फ़िल्म ‘अंधा कानून’ का गाना याद हो या रहा है।‘सत्तम ओरू इरुत्तराई’ का हिंदी रीमेक थी फ़िल्म ‘अंधा कानून’। 1983 में रिलीज हुई इसी फिल्म से रजनीकांत ने हिंदी सिनेमा में एंट्री की थी। इससे पहले करीब आठ साल के अपने फिल्मी करियर में रजनीकांत कई सफल तमिल और तेलुगु फिल्में दे चुके थे और तीन राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके थे। शायद यही वजह थी कि अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार ने भी अंधा कानून में गेस्ट अपीयरेंस करना स्वीकार कर लिया था ।
लेकिन छोटे रोल के बावजूद अमिताभ बच्चन फिल्म का प्रमुख आकर्षण साबित हुए थे । अब आप इस गाने में ही देखिए अमिताभ बच्चन का रफ टफ लुक । आज के दौर के युवा लंबी दाढ़ी और जींस के फैशन की ओर दौड़ रहे हैं । मेरा दावा है की वर्तमान में किसी भी फिल्म अभिनेता को इस तरह दाढ़ी और जींस के साथ उसके लुक का कंपेरिजन इस दाढ़ी जीन्स वाले अमिताभ से कर लेवें ।अमिताभ यकीनन सभी अभिनेताओं से बेहतर ही साबित होंगे ।
इस गाने में जैसे अमिताभ बच्चन चल रहे हैं और जैसे गाना गा रहे हैं उससे ज्यादा खूबसूरत फिल्मी पर्दे पर और कोई नजर नहीं आ सकता । इस गाने को गाया है सदाबहार किशोर कुमार साहब ने। उनकी आवाज का ओज एक जोश जगाता है। संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का और बोल आनंद बक्शी के । तो कोरोना काल की रात्रि और सुशांत मर्डर केस में कानून के दुरुपयोग पर सुनिये यह सुपर डुपर हिट सॉन्ग
जाने कहाँ दगा दे दे, जाने किसे सज़ा दे दे साथ न दे कमज़ोरों का, ये साथी है चोरों का बातों और दलीलों का, ये है खेल वकीलों का ये इंसाफ़ नहीं करता, किसी को माफ़ नहीं करता माफ़ इसे हर खून है ये अंधा क़ानून है…