हँसाने का हुनर था इस खुखरान में, हुल्लड़ मुरादाबादी कहते थे उसे !
हमें फख्र है की वो खुखरायन हँसाता था लोगों को, वर्ना आज के दौर में थोड़ी भी हँसी कहाँ मिलती ...
हमें फख्र है की वो खुखरायन हँसाता था लोगों को, वर्ना आज के दौर में थोड़ी भी हँसी कहाँ मिलती ...