इस्लामाबाद (तेज समाचार डेस्क). पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान के खिलाफ निकाले गए ‘आजादी मार्च’ का नेतृत्व कर रहे जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान उस समय विवादों में आ गया, जब उनके जलसे में अफगान-तालिबान के झंडे लहराए गए. हालांकि, झंडे लहराने वाले 8 लोगों को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इन गिरफ्तारियों ने पाकिस्तान की सियासत में हलचल मचा दी है.
– इमरान के खिलाफ जुटा पूरा विपक्ष
पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट होकर मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में आजादी मार्च निकाल रहा है, जिसका मकसद प्रधानमंत्री इमरान खान का इस्तीफा लेना है. फजलुर रहमान ने इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए रविवार तक का अल्टीमेटम दिया है. लेकिन शनिवार दोपहर उस समय पाकिस्तान की सियासत गरमा गई, जब इस जलसे में अफगानिस्तान-तालिबान के झंडे लहराते हुए दिखाई दिए. हालांकि, सीआईए ने फौरन कार्रवाई करते हुए झंडे लहराने वाले आठ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस कार्रवाई से नाराज जेयूआई-एफ नेताओं ने सरेआम माइक पर सीआईए को एक घंटे में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करने की चेतावनी दे डाली.
दूसरी ओर, पत्रकारों ने जब जलसे में तालिबानी समर्थकों के शामिल होने को लेकर जेयूआई-एफ के नेताओं से सवाल किया तो उन्होंने इसे अपनी पार्टी के खिलाफ साजिश करार देते हुए झंडे लहराने की बात से पूरी तरह से इनकार कर दिया.
– FATF में ब्लैक लिस्ट हो सकता है पाक
उल्लेखनीय है कि आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने को लेकर पाकिस्तान पर फाइनेंशल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की तरफ से ब्लैक लिस्ट होने की तलवार लटक रही है. बीती 18 अक्टूबर को एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए फरवरी, 2020 तक का समय दिया गया है. लेकिन इस घटना ने कहीं न कहीं एक बार फिर से इमरान खान सरकार मुश्किलें बढ़ा दी हैं.