मुंबई(तेज़ समाचार प्रतिनिधि ): प्रियंका चोपड़ा, फरहान खान और हंसल मेहता जैसे बॉलीवुड दिग्गज अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के समर्थन में सामने आए हैं। तनुश्री ने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। वर्ष 2008 में ही नाना के खिलाफ आवाज उठा चुकीं तनुश्री ने हाल दिए एक साक्षात्कार में एक बार फिर अपने यौन उत्पीडऩ का मुद्दा उठाया। उन्होंने फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज’ के सेट पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था।
तनुश्री ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता होने के नाते नाना के रुतबे की वजह से मेरी आवाज दबा दी गई।बॉलीवुड सितारों ने ट्वीट कर तनुश्री के प्रति समर्थन जताया। प्रियंका चोपड़ा ने ट्वीट में कहा कि सहमत हूं….दुनिया को पीडि़तों पर विश्वास करने की जरूरत है। वर्ष 2013 में महिलाओं के समर्थन मे ‘मर्द-मेन अगेंस्ट रेप एंड डिस्क्रिमिनेशन’ नाम से सामाजिक अभियान चला चुके फरहान अख्तर ने एक ऐसे प्रत्यक्षदर्शी के कई ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमें तनुश्री के उत्पीडऩ का पूरा विवरण है।
फरहान ने कहा कि यह थ्रेड बहुत कुछ कहता है। जिस पर आज बात हो रही है, उस घटना के समय जेनिस (सेकुएरा, जो उस समय न्यूज चैनल में थीं) वहां मौजूद थीं। यहां तक की जब तनुश्री दत्ता को करियर की चिंता को लेकर 10 साल चुप रहना पड़ा, वह चुप नहीं रहीं। और उनकी कहानी अभी भी नहीं बदली है। उनके साहस की प्रशंसा करनी चाहिए ना की उनकी नीयत पर संदेह करना चाहिए।
अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने लिखा कि अभी तनुश्री दत्ता होना तकलीफदेह है। अकेली, सवालों के घेरे में।फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने ट्वीट किया कि भारत में आमतौर पर अनुकूल कामकाजी माहौल नहीं है। रुतबे वाली स्थिति में पहुंचे लोगों द्वारा मानसिक उत्पीडऩ, छेड़छाड़ और गलत व्यवहार आम है और इन सब हरकतों को उनकी ताकत का लाभ माना जाता है। औपनिवेशिक शासन और वर्षों के उत्पीडऩ ने हमारा डीएनए बदल दिया है।अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने पोस्ट्स की श्रृंखलाओं को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि यह एक लंबी कड़ी है, लेकिन इसे पढ़ा जाना चाहिए….बहुत सारे संकेत हैं जो बताते हैं कि बॉलीवुड ‘मीटू मूवमेंट’ से दूर क्यों है। क्योंकि, हम उन आवाजों को सुनना ही नहीं चाहते।
अभिनेता अक्षय कुमार की पत्नी, फिल्म निर्माता व लेखिका ट्विंकल खन्ना ने ट्वीट किया कि तनुश्री दत्ता पर फैसला लेने या उन्हें शर्मिंदा करने से पहले कृपया इस कड़ी को पढ़ें-उत्पीडऩ और धमकी के बिना कामकाजी माहौल एक मौलिक अधिकार है और बहादुर महिला द्वारा बोलने से हम सभी को उस लक्ष्य की ओर बढऩे में मदद मिलती है।