नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जाते-जाते ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच सुलह का कोई मार्ग ही न रहे. इसके लिए उन्होंने चीन की दुखती रग पर वार किया है, यानी बौद्ध बहुल तिब्बत क्षेत्र पर, जिस पर अभी चीन का कब्जा है. चीन की एक बहुत बड़ी ख्वाहिश रही है कि, तिब्बत से बौद्ध धर्म की हस्ती मिटाकर वहां पर अपना पालतू प्रशासन स्थापित करना. इसीलिए वह एक चीनी चाटुकार को तिब्बत के नए दलाई लामा के रूप में स्थापित करना चाहता है, परंतु हर बार वह नाकाम रहा है और अब ट्रम्प प्रशासन ने उसके इस योजना पर हमेशा के लिए पानी फेरने की व्यवस्था की है.
– अमेरिकी सीनेट में प्रस्ताव पारित
मंगलवार को अमेरिकी सीनेट ने सर्वसम्मति से Tibetan Policy and Support Act (TPSA) of 2020 पारित किया है. यह मई से ही सीनेट विदेश विभाग कमेटी के पास लंबित था. केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष अथवा तिब्बत के निर्वासित राष्ट्रपति लोबसांग सेंगे के अनुसार इस अधिनियम से ये सुनिश्चित कि तिब्बत के दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने में चीन किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा.
– चीन को करना होगा प्रतिबंधों का सामना
सेंगे के अनुसार, “चीन ने यदि इस विषय में कोई भी हस्तक्षेप किया, तो उसे कड़ी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा, और उक्त अफसरों को किसी भी स्थिति में अमेरिका में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.” अब दलाई लामा के वंशज का प्रश्न काफी अहम हो चुका है. 1959 में भारत में शरण लेने वाले तिब्बत के 14 वें दलाई लामा टेनजिन ग्योत्सो अब 85 वर्ष के वृद्ध हो चुके हैं, जिसका फायदा अब चीन उठान चाहता है.
– अनुयाइयों द्वारा चुना जाता है दलाई लामा का उत्तराधिकारी
दलाई लामा का उत्तराधिकारी एक पारंपरिक समारोह में उनके वरिष्ठ अनुयाइयों द्वारा चुना जाता है. परंतु चीन का इससे दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं. 2011 में चीनी विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि वह नया दलाई लामा नियुक्त करेगा. परंतु बीजिंग ने ये भी तय किया कि वह कोई और उम्मीदवार नहीं स्वीकार करेगा .
– चीन को लेकर अमेरिका की मंशा
दरअसल चीन कहता है कि तिब्बत में बौद्ध धर्म का एक भी अंश न रहे, और चीन पूर्णतया कम्युनिस्ट हो जाए. लेकिन अमेरिका ने इन मंसूबों पर अब बुरी तरह पानी फेरने का प्रबंध किया है. यदि चीन ने इस बार कोई भी गलती की, तो अमेरिका अब ऐसी कीमत वसूलेगा जिसे चुकाते चुकाते चीन के की पीढ़ियों की कमर टूट जाएगी.