मैंने पहले भी लिखा है ,आज फिर कह रहा हूं।ये नया भारत है ,पलट के मारता है ।नए से मतलब 2014 के बाद के भारत से है । नेहरू जी की बात आज नही करूँगा क्योंकि उनके चीन वाले प्रकरण पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं। आज मोदी, यूपीए और मनमोहन काल की बात।
सोनिया जी और मनमोहन वाले कांग्रेस के जमाने में भी कई बार ऐसे ही भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने थी , जैसी आज गलवन घाटी में हुई। आज दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंंसक झड़प हुई। झड़प में भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए। दूसरी तरफ इस झड़प में चीनी सेना के भी पांच सैनिकों के मारे जाने और 11 जवानों के गंभीर तौर पर घायल होने की सूचना है।
तो बात मनमोहन सिंह जी की कांग्रेसी सरकार के दौरान भारत चीन झडप की । यह डॉक्यूमेंटेड प्रूफ है कि इस विवाद के दौरान स्वंय मनमोहन सिंह ने दौलत बेग ओल्डी में भारत की सेना द्वारा बनाए गए बंकर को तोड़ने का हुक्म देखकर सेनाओं को पीछे हटने के लिए कहा और इस प्रकार उन्होंने चीन से शांति स्थापित कर ली।
एक दो बार भारतीय सेना ने जब चीन से लगी सीमा पर रोड बनाने का प्रयास किया तो चीन ने ऑब्जेक्शन किया और मनमोहन सिंह जी के निर्देश पर रोड बनाने का काम रोक दिया गया और इस प्रकार कांग्रेस ने भारत चीन सीमा पर भारत द्वारा बनाई जा रही रोड का काम रुकवाकर शांति स्थापित कर ली।
2004 से 2014 तब इसी प्रकार पीछे हट हट कर शांति स्थापित करते रहे और भारत का सिर्फ लद्दाख सेक्टर में 700 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने शांति स्थापित करते हुए शांतिपूर्वक कब्जा कर लिया हमें भनक ही नही लगी और मनमोहन जी साइलेंट मोड़ में साइलेंट ही रहे। यह थी एकतरफा शांति की कीमत जो कांग्रेस ने चीन को दे दी।
इसके बाद आया मोदी का शासन काल। मोदी जी ने शुरू में ही कहा था ना आंख दिखाएंगे ना आंख झुकाएंगे।मतलब ना दूसरे की सीमा में जाएंगे और ना अपनी सीमा में अतिक्रमण बर्दाश्त करेंगे। मोदी ने चीन से लगे अरुणाचल, लद्दाख एवं अन्य सीमावर्ती इलाकों पर रोड बनाने का काम तेजी से किया। हवाई पट्टीयों का निर्माण और रिनोवेशन शुरू हुआ। चीनी सेना ने कई बार ऑब्जेक्शन किया मगर मोदी जी ने पीछे हट के शांति स्थापित करने वाली कांग्रेसी परंपरा को तिलांजलि दे दी थी। अतः रोड भी बनी और हवाई पट्टी भी, बस यहीं से चीन की असली पीड़ा शुरू हुई।
यहां तक कि भूटान देश के डोकलाम में जब भारत और चीन की सेना आमने सामने खड़ी थी तो वहाँ भी भारत शांति स्थापित करने के नाम पर पीछे नहीं हटा। आगे भी यही होता रहा। अब स्वाभाविक है जब आप पीछे नहीं हटेंगे और डकैत आपके आपके घर में आएगा उससे लड़ाई ही होगी और लड़ाई का परिणाम जो निकलेगा उसमें दोनों पक्ष का कुछ न कुछ नुकसान होगा ।
जैसे आज हमारे 3 जवान वीरगति को प्राप्त हुए हैं और 5 चीनी सैनिक मारे गए तथा 11 घायल हुए हैं । आने वाले समय में ऐसी और भी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं क्योंकि हमने पीछे हटकर अपनी जमीन चीन को दे देने वाला शांति का मार्ग त्याग दिया है।
आज संभव है चीन के 5 सैनिक मारे गए हैं और हमारे तीन बलिदान हुए इसलिए हम इस बात का संतोष कर सके कि हम ने जवाब दिया है। परंतु युद्ध में हर बार एक जैसे परिणाम नहीं निकलते हैं आशा है आप सभी समझ रहे होंगे कि क्या कहना चाह रहा हूं। स्ट्रैटेजिक पोजिशन के अनुसार यह स्थिति कभी कभार उलट भी हो सकती है।
अतः हल्की टिप्पणियां करने की जगह पर देश और सेना के साथ डटकर खड़े रहे । यह 2020 का भारत है। चीनी नेतृत्व को मनमोहन, सोनिया और मोदी का अंतर बहुत बढ़िया से समझ में आ चुका है। चीनी समझ गए हैं कि ये नया भारत है ,पलट के मारेगा । और हाँ , चीन की जिस सरकारी पत्रकार ने चीनी सैनिकों के मरने की खबर जारी की थी वह अब उच्चाधिकारियों से डांट खाने के पश्चात इसे लेकर सफाई दी रही है।