मानवता की सकारात्मक घटना
इंदौर – थपेड़े मारती हवाओं के बीच तेजी से दौड़ती ट्रेन…बोगी नंबर चार के एक यात्री की रुकती सांसें…पसीने में तरबतर ठंडा पड़ता शरीर…आसपास के यात्रियों का कोलाहल….बोगी नंबर पांच की तरफ दौड़ते इस बोगी के यात्री चिल्लाते जा रहे हैं कोई डॉक्टर है क्या….इस डिब्बे में कोई डॉक्टर है क्या…उस डिब्बे के हमारे साथी यात्री की हालत सीरियस है…उसकी जान बचा लो !
चैन्नई से उज्जैन की तरफ आ रही इस ट्रेन में यह कोलाहल ग़ुटूर स्टेशन के बाद शुरु हुआ। कुछ यात्रियों ने उक्त गंभीर यात्री के लिए मेडिकल हेल्प उपलब्ध कराने को लेकर रेलवे को ट्विट भी कर दिया था। मरीज की पत्नी, पांच और दस साल उम्र के दोनों बच्चे बदहवास से थे, उनके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
बोगी नंबर पांच में रतलाम के होटल व्यवसायी कमलेश जी के नेतृत्व में गए यात्रियों का दल सवार था। ये लोग भी साउथ के तीर्थ-मंदिरों का दर्शन कर के लौट रहे थे। इसी दल में थीं डॉ पुष्पा श्रीवास्तव। उन्होंने अपना परिचय दिया कि मैं डॉक्टर तो नहीं वैद्य हूँ, मैं क्या मदद कर सकती हूँ। यात्रियों ने उन्हें समीप वाली बोगी में चलने का अनुरोध करते हुए कहा हमारे साथी को शायद हार्ट अटैक हुआ है, बहुत सीरियस है, उसे बचा लीजिये।
बोगी में जाकर देखा तो उस मरीज को घेरे खड़े बाकी यात्रियों में कोई उसके मुंह में पानी डालने का प्रयास कर रहा था तो बाकी लोग हवा कर रहे थे, बोगी की खिड़कियाँ भी खोल रखी थी। डॉ पुष्पा के लिए यात्रियों ने जगह बनाई। उन्होंने मरीज यात्री की कलाई पकड़ी, आँखें बंद की, नाड़ी की गति महसूस की ।कुछ पल बाद कहा घबराएँ नहीं, हार्ट अटैक जैसी कोई बात नहीं है। ये खिड़कियाँ बंद कर दीजिए, आप में से जिनके पास भी बाम, आयोडेक्स वगैरह हो इनके पैर के तलुवों, हाथ, सिर, छाती पर मालिश कीजिए और जितने भी कंबल हों इन्हें ओढ़ा दीजिए, गर्म पानी चम्मच से इनके मुंह में डालिए दस मिनट में इनकी बेहोशी टूट जाएगी। मत घबराइए इनकी जान को कोई ख़तरा नहीं है।
सारे यात्री जुट गए नागदा निवासी-किराना व्यापारी नरेंद्र पोरवाल (लाला भैया) के हाथ पैरों में मालिश करने।दस मिनट में तो उन्होंने आँखें खोल दी, डॉ पुष्पा ने कहा इन्हें गर्मागर्म कॉफी पीने को दो। कॉफी पीने के बाद जब नरेंद्र बातचीत करने लायक हुए तो डॉ पुष्पा ने पूछा- नरेंद्र भैया आपने आइस्क्रीम खाई थी। उन्होंने कहा हाँ मरीना बीच पर खाई थी। अब डॉ पुष्पा बोलीं आपने एक नहीं दो आईसक्रीम खाई थी।जी मैडम सही कहा आपने एक आईस्क्रीम बच्चों ने छोड़ दी थी वह भी मैंने खाई थी।आपने खूब ठंडा पानी या कोल्ड ड्रिंक पिया था? हाँ मैडम वहां समुद्र किनारे पर नहाने गया था, वहां कोल्ड ड्रिंक पी थी। इस वार्तालाप को सुन रहे बाकी यात्री हत्प्रभ थे कि मात्र कुछ पल नाड़ी की गति देखकर इतना सटीक कैसे बता दिया मैडम ने।अपनी सीट पर जाने के लिए उठते हुए उन्होंने नरेंद्र सहित बाकी यात्रियों को आश्वस्त किया कि अब ये बिल्कुल ठीक हैं चिंता की कोई बात नहीं हैं, ठंडे पानी में नहाने के साथ ही अधिक ठंडा खाने से इनके शरीर में कफ बढ़ गया था और तासीर ठंडी होने से तबीयत बिगड़ गई थी। अब ये स्वस्थ हैं, फिर भी कोई परेशानी लगे तो मैं पड़ोस के डिब्बे में ही हूँ, बुला लेना।
कुछ समय बाद विजयवाड़ा स्टेशन आने पर जीआरपी जवानों के साथ डॉक्टर भी बोगी में पहुँच गए। मरीज के परीक्षण के बाद हालत को सामान्य बताने के साथ ही कहा इन्हें हार्ट प्राब्लम तो नहीं है। फुल चेकअप के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा। भाषा की समस्या, अकेले कहाँ परेशान होंगे और इससे बढ़कर डॉ पुष्पा का आश्वासन की अब कुछ नहीं होगा के विश्वास पर नरेंद्र पोरवाल ने अस्पताल में भर्ती नहीं होना के संबंध में लिखित में दे दिया। दल के सभी यात्री जब उज्जैन पहुंचे तो नरेंद्र पोरवाल सहित नागदा किराना व्यापारी संघ के अध्यक्ष दिनेश अग्रवाल आदि ने डॉ पुष्पा श्रीवास्तव को उनकी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया, उनके साथ ग्रुप फोटो खिंचवाए।
मैडम ने तो नाड़ी देखकर ही बता दिया मैंने क्या खाया था, मेरे लिए तो वो भगवान से कम नहीं – जवाहर मार्ग नागदा में पोरवाल किराना दुकान के मालिक नरेंद्र से जब बात की तो उन्होंने इस बात पर आश्चर्य किया कि मैडम ने तो नाड़ी देखकर ही बता दिया कि मैंने दो आईस्क्रीम खाई थी। मैडम तो मेरे लिए भगवान से कम नहीं। घटना के संबंध में उनका कहना था शाम को जब ट्रेन में चढ़ा तो शरीर में खुजली हो रही थी, एक साथी यात्री से एविल गोली लेकर खाई तो आराम हो गया। थोड़ी देर बाद तो मेरी साँस रुकने लगी, कब बेहोश हो गया पता नहीं। होश आया तो लोग आसपास खड़े हुए थे। नागदा में भी मैंने जनसेवा अस्पताल में डॉ कोष्टा और अन्य चिकित्सकों को चेक कराया, हार्ट वाली प्रॉब्लम नहीं निकली।
नागदा किराना व्यापारी संघ के अध्यक्ष दिनेश अग्रवाल ने अवंतिका से कहा हम 58 व्यापारी सपरिवार गए थे साउथ घूमने।सारे लोग तो घबरा गए थे कि अचानक लाला भैया को क्या हो गया।मैडम ने नाड़ी देखकर ही इतना सब बता दिया, उन्हें तो धन्यवाद ही देंगे।
समाप्त होती जा रही है नाड़ी विद्या, मैं सिखाना चाहती हूँ — डॉ पुष्पा
आनंद बाजार चौराहे के समीप आयुर्वेद पद्धति से मरीजों का उपचार करने वाली डॉ पुष्पा श्रीवास्तव ने उक्त घटना की विस्तार से जानकारी देने के साथ ही बताया वर्षों से नाड़ी परीक्षण के अनुभव के कारण ही वे इतनी सटीक जानकारी दे सकीं।डॉ पुष्पा के पिता (स्व) रामप्रसाद श्रीवास्तव ग्वालियर सिंधिया रियासत के राजवैद्य के सहायक रहे, बाद में वे विदर्भ में मरीजों का उपचार करने लगे। उनसे ही नाड़ी परीक्षण और आयुर्वेद चिकित्सा का ज्ञान विरासत में मिला है।उन्हें इस बात की पीड़ा है कि नाड़ी वैद्य और यह चिकित्सा धीरे धीरे समाप्त होती जा रही है।आयुर्वेद की ही तरह नाड़ी विद्या भी अति प्राचीन है।, एक्सरे,एमआरआई, इसीजी आदि जब सदियों पहले ये मशीनें नहीं थीं तब नाड़ी देखकर, चेहरा देख कर या दूरस्थ रह रहे मरीज के पहने कपड़ों का परीक्षण करके ही मरीज की बीमारी का पता कर लेते थे। जैसे हमारे त्रिदेव ब्रह्मा (कफ), विष्णु (पित्त) महेश (वात) हैं वैसे ही कफ-शांत, पित्त-बुद्धिमान, वात-अव्यवस्थित-शरीर की हलचल बताते हैं।सप्ताह में एक दिन मरीजों का निःशुल्क परीक्षण करने वालीं डॉ पुष्पा की चिंता है कि नाड़ी विद्या लुप्त होती जा रही है मैं चाहती हूँ कि आयुर्वेद में रुचि रखने वाले इसे सीखें।
काम की सराहना करें : डॉ पुष्पा श्रीवास्तव का यह काम आप को भी अच्छा लगा होगा।आप उन्हें 98270-80809 पर बधाई दे सकते है।