जलगांव (नरेंद्र इंगले ):दोपहर करीब 1 बजे का समय 3 साल से बन रहे शहर के अदभुत फ़ोरलेन से सटे पंचायत समिती के नए निर्माण के बाहर खडा निम का पेड जिसकी सभी शाखाए सुख कर जडे जर्जर हो चुकि है वह अचानक हवा के हल्के झोंके से धडाम से गिर जाता है ! इसी पेड के विरुद्ध दिशा मे अपने एक साल के बेटे के साथ बिल्कुल निचे सोयी महिला पेड के गिरते हि अपने बिमार बच्चे को कोख मे दबाकर जान बचाने के लिए भागने लगती है ! देखने पर यह सिन किसी हिंदी फ़िल्म का जरुर लगता है लेकिन ठीक इसी तरह के हादसे को सैकडो लोगो ने विकासनगरी जामनेर मे अपनी आँखो से अनुभव किया ! मौके पर उपस्थित राहगिरो ने जमिन पर पडे पेड कि सुखी टहनीया बटोरना शुरु किया ! तो इस हादसे का शिकार बनते बची 30 साल कि मुसाफीर महिला और उसके बच्चे कि सलामती पर इंसानियत के नाते किसी ने नियती को धन्यवाद तक नहि किया ! राबिया ( नाम बदला हुआ ) ने संवाददाता को बताया कि वह नागपुर कि मुल निवासी है , पेट पालने के लिए हम लोग शहर बदलते है मेरे पती दिनभर शहर मे घुमकर चाकू – छुरीयो को धार लगाने का धंदा करते है और रोजीरोटी कमाते है , हमे दो दिन बाद अपने रीश्तेदार कि शादी मे जाना है इस लिए सोचा कि जामनेर मे पडाव डालकर जरा से पैसे कमा ले , मेरे शौहर धंदे पर गए है , मेरा बेटा बिमार चल रहा है जिसे लेकर मै पेड के निचे पलभर के लिए सो रहि थी कि अचानक किसी चिज के जमिन पर गिरने का आवाज आया और तत्क्षण मै बच्चे को कोख मे दबाकर भागने लगी बाद मे देखा कि जिस पेड के निचे हम मा – बेटे ठहरे थे वह बिल्कुल विपरीत दिशा मे गिर चुका था , कुछ देर के लिए मै स्तब्द्ध हो गयी उपरवाले का रहम है कि हम मा – बेटे पेड कि चपेट मे नहि आए !
जामनेर मे आए दिन इस तरह कि घटनाए अब आम बात सी हो गयी है कभी घरकुल कि इमारत कि दिवारे और छज्जे गिरकर मजदुर घायल हो जाते है कभी बिजली के खंभे तो कभी पेड यू हि किसी भी समय गिर जाते है ! वह भी उस अदभुत फ़ोरलेन पर जिसको 8 करोड कि लागत से बीते 3 साल से बनाया जा रहा है ! अब इन हादसो को इत्तेफ़ाक कहेंगे या प्रशासन कि लापरवाहि किसी को कोई सरोकार नहि ! वैसे सत्तापक्ष द्वारा करवाए जा रहे इन विकास कार्यो कि गुणवत्ता को लेकर विपक्ष कयी बार सवाल उठाता रहा है ! हाल हि जामनेर पधारे NCP के परीवर्तन मंच के ठीक सामने खडे टेढे खंभे को लेकर नेता अजीत पवार ने विकास कि जमकर खिंचायी कि थी ! बहरहाल बुद्धिजिवीयो मे इतनी हि आशा व्यक्त कि जा रहि है कि विकास को गुणवत्ता के पैमाने पर परखा जाए साथ हि किसी इत्तेफ़ाक कि कोई गुंजाईश न रहे !