जलगाँव ( विशाल चड्ढा ) – जैसे जैसे महाराष्ट्र विधानसभा Maharashtra चुनाव अपने चरम पर पहुँच रहा है, वैसे वैसे इस बार के चुनाव में रंगत दिखाई देने लगी है. विशेषकर सत्ताधारी भाजपा के लिए चुनाव में सिरदर्दी बढती दिखाई दे रही है. महाराष्ट्र में चुनाव के लिए नामांकन करने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है. मंगलवार दोपहर 3 बजे तक नामांकन किया जा सकेगा. नामांकन किये जाने तक उत्तर महाराष्ट्र, विशेष रूप से खानदेश में फिलहाल मुद्दे नदारद दिखाई दे रहे हैं. एक बार बगावत की तस्वीर साफ़ हो जाए उसके बाद चुनाव के लिए आरक्षण , किसानों की समस्याएं महंगाई, भ्रष्टाचार, मराठा-ओबीसी टकराव प्रमुख मुद्दे बनना तय है.
उत्तर महाराष्ट्र North Maharashtra प्रमुख रूप से कृषि प्रधान क्षेत्र हैं, इस क्षेत्र में पांच जिले धुले, नंदुरबार, जलगांव, नासिक और अहमदनगर शामिल हैं. जबकि धुले-नंदुरबार व् जलगाँव जिले मिलकर खानदेश कहलाते हैं. गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाओं से सटे उत्तर महाराष्ट्र का राज्य की राजनीति व सत्ता में विशेष योगदान रहा है.
इसका ताजा उदाहरण विद्यमान शिंदे सरकार में शिवसेना (अविभाजित) में बगावत करने वाले पांच विधायक जलगाँव जिले से थे. धरनगांव से विधायक व विद्यमान सरकार में मंत्री गुलाब राव पाटिल, पाचोरा से किशोर पाटिल, मुक्ताईनगर से शिवसेना पुरुस्कृत विधायक चंद्रकान्त पाटिल, चोपड़ा की विधायक श्रीमती लता सोनवने व एरंडोल से विधायक चिमणराव पाटिल को शिवसेना में बगावत करने के कारण गद्दार का तमगा दिया जाता है.
यह बागी विधयाकों को मिली गद्दार की संज्ञा इस चुनाव में भी उनका पीछा नहीं छोड़ेगी. हालांकि इन पांच विधायकों में से चिमणराव पाटिल की जगह उनके पुत्र अमोल पाटिल, चोपड़ा विधानसभा क्षेत्र से श्रीमती लता सोनवने की जगह उनके पति प्राध्यापक चंद्रकांत सोनवने चुनाव लड़ रहे हैं.
उत्तर महाराष्ट्र में कुल 47 विधानसभा सीटें हैं. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इन 47 विधानसभा सीटों में से कुल 16 सीटों पर विजय हासिल की थी. जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 13, कांग्रेस ने 7, शिवसेना (अविभाजित) ने 6, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने दो, निर्दलीय ने दो और क्रांतिकारी शेतकरी पक्ष ने एक सीट हासिल की थी.
उत्तर महाराष्ट्र में पिछले काफी लंबे समय से भाजपा ने क्षेत्र पर अपनी पकड़ रखते हुए इसे अपना गढ़ बनाया हुआ था. हालांकि कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान उठाना पडा है. उत्तर महाराष्ट्र में नासिक, डिंडोरी, जलगांव, नंदुरबार, रावेर, शिरडी, अहमदनगर व धुले आठ लोकसभा क्षेत्र आते हैं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छह और शिवसेना (अविभाजित) ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी.लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में बाजपा को जलगाँव व रावेर दो लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई जबकि उसे चार सीटों का नुकसान उठाना पडा.
हालांकि, पिछले चुनावों के बाद सियासी समीकरणों में बदलाव आया है. जून 2022 में शिवसेना और जुलाई 2023 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में बगावत व विभाजन के बाद से महाराष्ट्र के सियासी समीकरण बदल गए हैं. ऐसे में इस बार के चुनाव सत्ताधारी मित्र दलों के लिए चुनौती बन गए हैं ख़ास तौर पर भाजपा को अपनी साख बचाए रखने और विगत विधानसभा चुनाव में मिली 16 सीटों को बचाए रखने के लिए काफी कवायद करनी होगी.
अब तक के बगावती तेवरों को देखते हुए अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा खेमें में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है. अब तक जीत की आड़ में छिपी गुटबाजी अब धीरे धीरे सामने आने लगी है. नामांकन वापिस लेने तक तो अधिकृत उम्मीदवारों के चेहरे पर शिकन बरकरार रहेगी.
जारी …….