पुणे (तेज समाचार डेस्क). उच्च शिक्षित पुणे को शर्मसार करने वाला एक पंजायत राज का मामला सामने आया है. जहां एक उच्च शिक्षित दुल्हन का “विर्जिनिटी” टेस्ट कराया गया. आज के दौर में लोग मॉर्डन सोच रखते हैं, उनका रहन-सहन अलग होता है. हालांकि इस बीच रूढ़िवादी परंपरा में फंस जाते हैं. ऐसा ही एक शर्मनाक मामला सामने आया है. इंग्लैंड से उच्च शिक्षा लेकर देश आये दूल्हा अपनी उच्च शिक्षित दुल्हन का “विर्जिनिटी” टेस्ट कराने के लिए पंचायत के शरण में पहुंच गए.
– पूर्व नगरसेवक है दूल्हे के पिता
गौर करने वाली बात ये है कि दोनों दम्पति के पिता उच्च शिक्षा हासिल कर समाज को सुधारने का काम करते है. दूल्हा के पिता पुणे के पूर्व नगरसेवक और लड़की के पिता पूर्व रिटायर पुलिस अधिकारी है. एक पिता लोगों का प्रतिनिधि है तो वही दूसरे पिता एक रिटायर पुलिस अधिकारी है जो समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ता है. आज वही रूढ़िवादी परंपरा में फंस गए और उच्च शिक्षित बहु-बेटी का “विर्जिनिटी” टेस्ट प्रथा को आगे बढ़ाने में मदद किया. यह मामला तब सामने आया जब कंजारभट समाज व धर्मादाय आयुक्ताल के उपायुक्त कृष्णा इंद्रेकर ने इसका विरोध किया.
– कायम है पंचायत राज
राज्य सरकार ने जात पंचायत विरोध कानून को पारित भी किया है. लेकिन हमारे देश में ऐसे कई पंचायत राज है जहां इस कानून का अनदेखा किया जाता है और रूढ़िवादी परंपरा को आगे बढ़ाता है. कंजारभट समाज व धर्मादाय आयुक्ताल एक ऐसा जगह है,जहां पंचायत बैठती है. यहां ऐसा रूढ़ि परंपरा है जहां शादी के बाद और पहले नई दुल्हन-लड़की का “विर्जिनिटी” टेस्ट की प्रथा है. हालांकि समाज के सभी शिक्षित युवा इसका विरोध करते है.
– इंग्लैंड से पढ़ कर आए हैं दूल्हा-दुल्हन
उच्च शिक्षित दुल्हन के साथ इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी कर आया दूल्हा ने परंपरागत तरीके से कोरेगाव पार्क में दोनों ने एक दूसरे के साथ विवाह किया. जिसके कुछ दिन बाद ही “विर्जिनिटी” टेस्ट करने की घटना सामने आयी. इस समाज में पंचायत नियम के अनुसार शादी के पहले और शादी के बाद जात पंचायत की बैठक बुलाई जाती है. दूल्हा-दुल्हन को शादी के बाद अज्ञात ठिकानों पर ले जाया जाता है. हनीमून के नाम पर दोनों को कमरे में बंद कर दिया जाता है और कमरे के बाहर पंचायत की बैठक रहती है. बाद में अगर दुल्हन “विर्जिनिटी” टेस्ट में फैल होती है तो लड़की के पिता को बड़ा जुर्माना भरना पड़ता है. इसके साथ ही लड़की वालों को दूल्हा और उसके रिश्तेदारों से अनुमति लेनी होती है. जिसके बाद दोनों के शादी को मान्यता दी जाती है.
इस प्रथा के खिलाफ समाज के कई युवा-युवती ने कई सभाएं भी बुलाये गए है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ‘स्टॉप व्ही टेस्ट’ का हैच टैग नया साल में चलाया जा रहा है. यह अभियान “विर्जिनिटी” टेस्ट के खिलाफ एक आंदोलन है.