हमें माफ करना, हम तुम्हारे गुनहगार हैं
पुणे (तेज समाचार डेस्क). बुधवार को एक जंगली भैंसा जंगल से भटकते हुए पुणे शहर में आ गया. इंसानों के बनाए जंगल में पहुंचते ही यह जंगली भैंसा इतना घबरा गया कि, वह अपने बचाव में इधर उधर भागने लगा. तीन घंटे की मशक्कत के बाद वन विभाग के कर्मचारियों व फायरब्रिगेड के जवानों ने उसे पकड़ तो लिया, लेकिन इस दरम्यान वह काफी जख्मी हो गया था और डर भी गया था. इस कारण वह पकड़े जाने के कुछ ही देर के बाद उसकी मौत हो गई. इस जंगली भैस का शहर में आना और फिर उसकी मौत पूरे पुणे शहर में चर्चा का विषय बन गई. सोशल मीडिया पर भी इस घटना के वीडियो वायरल हुए. जंगली भैसे की मौत पर पुणेकरों ने संवेदना व्यक्त करते हुए भारत फ्लैग फाउंडेशन के अध्यक्ष गिरीश मुरुडकर ने एक पोस्टर के माध्यम से खेद व्यक्त किया है. जंगली पशुओं के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए भारत फ्लैग फाउंडेशन ने जंगली भैसे की प्रतिकृति भी एक दुकान के सामने रखी. इस प्रतिकृति के पास ही रखे पोस्टर पर लिखा था, ‘आम्हाला माफ कर, आम्ही तुझे गुन्हेगार आहोत’ (हमें माफ करो, हम तुम्हारे गुनहगार हैं.)
– पकड़े जाने के कुछ ही देर बाद मौत
शहर के कोथरुड परिसर में अचानक एक जंगली भैंसा घुस आया, जिसे वन विभाग ने तीन घंटे में काबू तो कर लिया लेकिन डर और दौड़ते दौड़ते थक जाने से उसकी हृदय गति बंद हो जाने के कारण मौत हो गई. सबसे पहले यह भैंसा महात्मा गांधी सोसायटी में आया. इसकी जानकारी सोसायटी के अध्यक्ष महेश गोले ने वन विभाग और फायरब्रिगेड को दी. रिहायशी इलाके में जंगली जानवर के आ जाने से परिसर में खलबली मच गई. वन विभाग और फायरब्रिगेड के कर्मचारियों ने उसे तीन घंटे के अथक प्रयास से पकड़ लिया लेकिन बाद में कुछ देर में उसकी मौत हो गई. उसकी उम्र करीब 4 साल बताई गई है. बताया जा रहा है कि संभवतः वह एनडीए के जंगल से शहर में गलती से आ गया. शहर में आने के बाद वह गुस्से में आ गया और एक बंगले की दीवार से अपना सिर टकरा रहा था. जिसके कारण उसके नाक और सिर में चोटे आने से उनसे खून बहने लगा था. शहर में आने के बाद जंगली भैंसा अत्यंत ही गुस्से में आ गया था. वह आसपास की सोसायटियों और बंगलों की दीवारों पर सिर टकरा रहा था और इधर-उधर भाग रहा था, वन विभाग के कर्मचारियों के सामने इसे शांत करना सबसे बड़ी चुनौती थी. इसके लिए वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा उपाय किए गए. इस भैंसे को बेहोश करने लिए आवश्यक दवा का डोज वन विभाग के पास उपलब्ध नहीं होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन कुछ देर के लिए रुक गया. वन अधिकारी ने बताया कि कोयड परिसर में जंगली भैंसे के आ जाने की जानकारी हमें बुधवार की सुबह मिली थी. कर्मचारियों की टीम घटना स्थल पर पहुची. उस पर नियंत्रण का प्रयास किया गया लेकिन लोगों की भीड़ के कारण वह और भी गुस्से में आ गया. उसे बर्ड मारने के बाद दौडभाग के कारण उसकी मौत होने की आशंका है.
– 20 साल पहले भी आया था जंगली भैंसा
20 वर्ष पहले भी शहर के कात्रज भारती विद्यापीठ परिसर में जंगली भैंसा दिखाई दिया था. उस वक्त करीब 36 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद उसे पकड़ने में वन अधिकारियों को सफलता मिली थी. बाद में उसे चांदोली के जंगल में छोड़ा गया था. यह जानकारी तत्कालीन वन अधिकारी तथा वन्यजीव एक्टीविस्ट प्रभाकर कुकडोलकर ने दी. बुधवार को कोथरुड में आए जंगली भैसे के कारण उन्हें 20 वर्ष पहले की घटना बाद आयी. उन्होंने उस अनुभव को साझा किया. उन्होंने बताया कि करीब 20 वर्ष पहले यानी 4 जनवरी 2000 को तड़के सुबह भारती विद्यापीठ में जंगली भैंसा आया था. उसके बाद वन विभाग को सुबह 7 बजे के करीब जानकारी दी गई थी. जंगली भैसे को देखने सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. लोगों की भीड़ देखकर जंगली भैंसा घबरा गया था. उसके पीछे सैकड़ों लोग भाग रहे थे. आखिर में 12 घंटों के बाद शाम 6 बजे के करीब वह खुद ही जंगल में चला गया.