जलगांव (नरेंद्र इंगले ):मंगलवार कि दोपहर पंचायत समीती के गट विकास अधिकारी श्री अजय जोशी के सामने सिस्टम से त्रस्त पिडीत महिला ने आत्मदाह करने का प्रयास किया ! जैसे हि महिला ने केरोसिन से भरा डीब्बा खुद पर उलेडा वैसे हि मौके पर मौजुद पदाधिकारीयो तथा कर्मीयो ने महिला से केरोसिन के डीब्बे को झपटने के लिए महिला से जोर आजमाईश कि ! जिसके बाद पीडीत अलकादेवी सोनार से तमाम अधिकारीयो ने सकारात्मक बातचीत का सिलसिला आरंभ किया ! दौरान गुस्साए जोशी ने कैबीन मे मौजुद पत्रकारो को मामले कि कवरेज से रोकने कि गैरवाजीब सुचना कर डाली जिस पर गुस्साए पत्रकारो ने गट विकास अधिकारी को कवरेज से जुडे बिंदुओ पर सविनय भाषा मे फ़टकार लगायी जिसके बाद जोशी के तेवर नर्म हो गए !
मामले मे पिडीत महिला अलकादेवी सोनार ने अधिकारीयो को लताडते कहा कि बीते तीन सालो से मेरे पलासखेडा गुजराचे गांव मे निवासी भुखंड के कथित अतिक्रमण का विषय अधर मे लटकाया गया है , मै जिलाधिकारी से लेकर स्थानीय अधिकारीयो कि चौखट पर न्याय के लिए एडीया रगड रगड कर परेशान हो चुकि हु , निवासी प्लाट के कथित अतिक्रमण निर्मुलन को लेकर प्रशासन का रवैय्या धुलमुल रहा है ! यह सभी अधिकारी नेताओ के दबाव मे काम कर रहे है , न्याय न मिलने के कारण इस से पहले भी मै कयी बार अपना जिवन समाप्त करने के विचार से बीडीओ कि चौखट पर आयी तब मुझे न्याय का भरकस आश्वासन दिया गया पर आज तीन साल बीत चुके है , मुझे न्याय नहि मिला है ! मामले को लेकर बीडीओ ने अपना पक्ष रखते कहा कि पिडीत महिला के विवादीत मिल्कीयत कि नपायी के लिए नपायी विभाग को ग्राम पंचायत ने सरकारी नपायी फीस भर दि है और नपायी के बाद हि हम लोग कुछ कार्यवाहि कर सकते है ! इस तरह संयम खो कर आत्मदाह का प्रयास करना गलत है ! मौके पर पहुची पुलिस ने अलकादेवी को हिरासत मे लिया है ! पिडीत के मुताबीक कथित भुमी विवाद एक साढेबारा मिटर चौडायी वाले सडक को लेकर है जिसमे जलगांव के बडे रिटायर्ड अधिकारी के ईशारे पर स्थानीय तथा जिला प्रशासन उनसे पक्षपात पूर्ण कामकाज कर रहा है
! तीन सालो से सिस्टम से सतायी जा रहि अलकादेवी जामनेर के वाकि सडक तिराहे पर दिव्यांग पती के सहारे एक चाय का ठेला चला कर जिवनयापन करती है ! वैसे तो भारत मे ” चाय पे चर्चा ” और चाय बेचने – बनाने पर राजनिती होती है लेकिन ग्राउँड जिरो पर राजनितीक दबाव के चलते सिस्टम के सताए अलकादेवी जैसे पिडीतो कि कोई सुनवायी नहि होती है ! अब इसे लोकतंत्र का व्यंग कहे या राजनिती का ढंग ! बहरहाल प्रशासन ने फीर से पिडीत अलकादेवी को फ़ौरी राहत देते हुए कार्यवाहि का आश्वासन तो दे दिया है अब आम लोग यहि उम्मीद कर रहे है कि अलकादेवी को खुद के उपर फीर से केरोसिन का डीब्बा उलेडने कि नौबत ना आए !

