जामनेर / जलगांव (नरेंद्र इंगले ):भारत मे आधुनिक शिक्षा के जनक महात्मा ज्योतिबाजी फूले और उनकि पत्नी सावित्रीमाई के कार्य से पुरा विश्व परीचित है ! भारत कि पहली महिला अध्यापिका क्रांतिज्योति श्रीमती सावित्रीमाई फूले कि जयंती के दिन यानी आज 3 जनवरी को हि सन 1919 मे फूले दंपती से प्रेरणा लेकर स्व राजमलजी लखीचंदजी ललवाणी इन्होने जलगांव जिले के जामनेर तहसिल शहर मे ” न्यू इंग्लिश स्कूल ” नामक एक शिक्षा ईकायी कि रखी निंव शिक्षा क्षेत्र के आयाम मे माईल स्टोन साबीत हुयी ! जिस तहसिल मे कभी 1846 के दौर मे केवल कुछ हि सरकारी स्कूल्स थे वहा स्व राजमलजी ललवाणी ने गांव के तत्कालिन बुद्धिजिवी बापुसाहब दामले , श्रीधरपंत साठे , खर्चीकर रावसाहब , तत्कालिन प्रांत महादेव केलकर इन सहयोगियो के साथ सहयोग से जामनेर मे न्यू इंग्लिश स्कूल कि स्थापना कि ! और इस मुख्य इकायी के पहले हेडमास्टर थे शास्त्रीबुआ दुधभांडेजी ! 1901 के उस जमाने मे देवचंद काशिनाथ महाजन , श्रीधर साठे , हरीभाऊ दामले यह तीन व्यक्तित्व हि अंग्रेजी के जानकार के रुप मे परीचित थे ! स्व ललवाणीजी द्वारा शिक्षा क्षेत्र मे कि गयी यह पहल इतनी कामयाब रहि कि 1962 मे फत्तेपुर , 1966 मे जामनेर प्राथमिक , 1971 मे जामनेर महाविद्यालय , 1982 मे साने गुरुजी प्राथमिक विद्यालय , 1984 मे मालदाभाडी इकायी से लेकर अब तक के सुरेश जैन बी फ़ार्मसी कालेज तक का सफ़र संस्था ने कब तय कर लिया यह पता भी नहि चला ! स्व ललवाणीजी के बाद संस्था कि बागडोर सफ़लतापुर्वक संभालने मे संस्थाध्यक्ष आबाजी नाना पाटील और स्व मनोहरसेठ धारीवाल इन शख्सियतो ने अहम भुमिका निभायी ! बीते 100 बरसो मे ” जामनेर तालुका एज्युकेशन ” सोसायटी द्वारा संचालित इस वास्तु ने दीपस्तंभ बनकर क्षेत्र के समाज जिवन मे इतनी शिक्षा विषयक क्रांति लायी कि पुरे महाराष्ट्र मे जामनेर कि पारदर्शक गुणवत्ता पुर्वक शिक्षा प्रनाली आज एक नजीर के रुप मे पहचानी जाती है ! शहर समेत तहसिल के सैकडो गांवो के हजारो छात्र और उनसे पहले कयी पिढीयां इसी दीपस्तंभ के प्रकाश से सुसंस्कारीत होकर अच्छे नागरीक के तौर पर राष्ट्र निर्माण मे योगदान दे रहे है !