हाथ को कमर पर टिका माथे पर बल डाले
काकी कराहती सी मुझे संभालती उठी
पानी अभी भी टपक रहा था ,
और मुझे आंगन में बंधी तार पर लटका दिया
रात भर की ठण्ड और पानी में भीगा मै
सुबह होने तक सूख के अकड़ चुका था मै
लाल किनारी की रेशम की साड़ी पहने
राम राम करते आँगन में आई काकी
मुझे तार पर अकड़ा देख धीरे से मुस्काई काकी
झटके से मुझे तार से खींचा
और पूजा करने चल पड़ी काकी
ठाकुर जी को नहला धुला कर पोंछा
मंदिर झाड़ा ,धन्य हो गया मै
घर में सबने सुबह सुबह मीठा मीठा प्रसाद पाया
घी सीरे से सनी उंगलियनो को पोंछ
काकी ने पूजा का थाल बड़ी बहु को थमाया
मुझे फिर तार पर लटका दिया
पर मुड़ा तुड़ा सलवटों से भरा था मै
बड़ी बहू बरांडा लीप कर आई
इधर उधर कुछ तलाशा और सामने पड़ गया मै
छोटा लल्ला दूध का कटोरा लिए
भागा भागा आ रहा था कि उबटा लगा
कोई बात नहीं ‘ ‘अम्मा और दूध दे देगी’
लल्ला के टपकते आंसू और बहती नाक
बड़ी बहु जल्दी जल्दी पोंछ रही थी,
और हाथ में था मै
मुझे महरी की तरफ उछाला और बोली
अब जल्दी से ये दूध साफ करो
वार्ना चारों तरफ माखिंया भिनभिनांयेगी
माखिंया आई और भिनभिनाई
लेकिन उनका शिकार था मै।
अब एक कोने में निरीह सा पड़ा था मै
घर में हो रही उठा पटक देख रहा था मै
तभी काका की दहाड़ती सी आवाज आई
‘अरे कार साफ करवानी है कोई कपडा देना भाई’
मै कांपा मै सहमा ,मन ही मन दी दुहाई
‘मिल गया कपडा बाबूजी ‘भैया जी ने आवाज लगाई
कार के शीशे चमके ,छत चमकी
अंदर गद्देदार सीटों से धूल हटाई
अब लगे टायरों से कीचड़ निकालने
मेरी आत्मा चीखी चिल्लाई
तार तार हुआ जाता था मै
अरे कोई तो बचाओ मेरी जान पर है बन आई
गंदे हाथों मे मुझे थामे ,
भैया जी की आँखे चश्मे में मुस्काई
तेल मिट्टी से सनी अपनी उन्गलिन्यो को साफ किया
और गली मे जा रही कचरा गाड़ी में मुझे उछाल दिया
थप्प की आवाज से सुबह जो मंदिर में था शाम को कचरे मे जा गिरा
सब की सेवा में रात दिन लगा रहता था मै
पल में पराया कर दिया
क्या दर्द का जरा भी अहसास न हुआ
– नीरा भसीन- ( 9866716006 )