पुणे (तेज समाचार डेस्क). मन की बात रेडियो पर एक सामाजिक क्रांति नामक किताब में देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश की जनता के नाम मासिक संबोधन ‘मन की बात’ के शुरुआती 23 एपिसोड के निश्चयात्मक ट्रांसक्रिप्ट हैं और यह समावेशी विकास व संपूर्ण बदलाव के उदाहरणों से भरी हुई है, ये सभी प्रधानमंत्री की मासिक वार्ता से निकल रहे हैं.
भारत जैसे विशाल देश में, जो जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया में दूसरे नंबर पर है और जहां लोग दूर-दराज इलाकों में रहते हैं, उन तक पंहुचने के लिए प्रधानमंत्री ने एक अनोखा प्रयोग किया. दूर-दराज इलाकों में लोगों की समकालीन संचार माध्यम तक सीमित पहुंच होती है या नहीं भी होती, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रेडियो वार्तालाप के जरिए जनता के साथ विचारों को साझा करने वाले इस अद्भुत प्रयास की प्रक्रिया से एक सामाजिक क्रांति उभरी है और यह एक ऐसे मुल्क में हुआ है, जिसकी आबादी एक अरब तीस करोड़ है, यही नहीं जहां ऐसा लग रहा था कि राज्य संचालित रेडियो ने निजी प्रसारण सेवाप्रदाताओं के समक्ष हार मान ली है, विशेष तौर पर समाचार व मनोरंजन के क्षेत्र में. प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम ने राज्य संचालित ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) को जन कल्पना के केंद्र में फिर से लाने में मदद की. एक घंटे का यह कार्यक्रम जिसकी शुरुआत 3 अक्तूबर 2014 को विजयदशमी पर हुई थी, वह कार्यक्रम अब आकर्षित किस्सों घटनाओं का पोथा बन चुका है और जीवन प्रेरक कहानियों का श्रोताओं पर गहन असर हो रहा है.
यह किताब समावेशी विकास और संपूर्ण परिवर्तन के उदाहरणों से भरी पड़ी है, ये सभी प्रधानमंत्री की मासिक वार्ता से निकल रहे हैं. किताब यह रेखांकित करती है कि किस तरह ‘मन की बात’ ने शहरों, कस्बों व गांवों में रहने वाले समुदायों के बीच फासलों को भरा है. किताब ‘मन की बात’ के प्रभाव के बारे में भी बताती है, जहां प्रधानमंत्री मोदी की वार्ता ने स्वच्छता, पर्यटन को प्रोत्साहित करने व यातायात नियमों का पालन सरीखे जनांदोलन की शुरुआत की है.
‘मन की बात’ का प्रत्येक एपिसोड कैसे तैयार होता है, इसके पीछे की मेहनत बावत भी इस किताब में बताया गया है,जोकि आम जन जानना चाहता होगा. इस किताब में ‘मन की बात’ के प्रसारण से पहले प्रधानमंत्री के पास आने वाले लाखों पत्र, ईमेल, माईजीओवी के पोस्ट, नरेंद्र मोदी मोबाइल ऐप के इनपुट, अलग-अलग मंत्रालयों और सांसदों से मिले इनपुट का विस्तृत विश्लेषण शमिल किया गया है. इससे यह पता चलता है कि जनता देश के प्रधानमंत्री से क्या सुनना चाहती है और युवाओं के बीच उनकी मजबूत लोकप्रियता के बारे में भी बताती है. इस किताब को तैयार करते समय मन की बात के सभी एपिसोड के ट्रांसक्रिप्ट का गहन अध्ययन किया गया. समग्र रूप से देखें तो हर एक एपिसोड और सभी ट्रांसक्रिप्ट ज्ञान का खजाना है,जिसे भावी पीढ़ी के लिए सहज कर रखा जाना चाहिए.
‘मन की बात’ शो की वजह से बहुत से विकास हुए. इस संदर्भ में खादी के बारे में बात करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी देश में खादी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के पक्षधर हैं. मन की बात कार्यक्रम की लोकप्रियता व प्रभावोत्पदकता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने इस वार्ता में इस विषय पर भी लोगों को संवेदनशील बनाने की पहल की. दरअसल मन की बात में खादी का जिक्र पहले ही एपिसोड में किया गया था और 3 अक्तूबर 2014 के पहले एपिसोड से लेकर जनवरी, 2016 के एपिसोड तक लगातार प्रधानमंत्री ने खादी अपनाने के लाभों बावत आम लोगों को बताया. मोदी की अपील के कारण ही लोगों के बीच खादी की लोकप्रियता और बढ़ी. लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय में खादी के इस्तेमाल को लेकर नए विचारों पर विशेष जोर है. जून, 2015 में खादी डेनिम डिजाइनर ड्रेस की शुरुआत के पीछे यही विचार काम कर रहे हैं. यही नहीं कुछ कंपनियों ने प्रधानमंत्री की अपील के बाद अपने यहां खादी को शुरु किया.
दूसरा दिलचस्प किस्सा फुटबॉल का है. विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल, जोकि भारत में जमीनी स्तर पर बहुत बड़े बदलाव की शुरुआत कर रहा है, एक ऐसे मुल्क में जो फुटबॉल में एशियन चैंपियन रह चुका हो और ओलपिंक में हिस्सा ले चुका हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि भारत के लिए इस साल (2017) अक्तूबर में देश में होने वाले अंडर 17 फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी क्यों महत्वपूर्ण है. विश्व स्तरीय यह आयोजन देश के लिए खेल की दिशा में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है. प्रधानमंत्री ने मार्च 2016 को प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में इस पर अपने विचार रखे थे.
प्रधानमंत्री को अहसास था कि बुनियादी ढांचे की कमी के चलते लाखों भारतीयों के साथ आमने-सामने विचारों को साझा करने की अपनी सीमाएं हैं, उन्होंने सदियों पुरानी संचार तकनीक जोकि मंहगी नहीं है, असल में मुफ्त है, पर भरोसा किया. दूर-देहात में बहुत से लोग अब भी यह मानते हैं कि रेडियो उन्हें जो सूचनाएं मुहैया कराता है, उस पर वे भरोसा कर सकते हैं, खास तौर पर जब वक्ता मुल्क का प्रधानमंत्री हो. रेडियो के जरिए जनता से सीधे संवाद स्थापित करने वाले उनके विचार ने बहुत से श्रोताओं का ध्यान खींचा, क्योंकि इस माध्यम की पहुंच बेहतर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑल इंडिया रेडियो के इस लोकप्रिय कार्यक्रम ने सैकड़ों, हजारों मील दूर रहने वाले लोगों तक उनके विचारों को पहुंचाया है, जहां लोगों का अपने समुदायों से बाहर सीमित अंतव्र्यवहार होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मोबाइल तकनीक पर देशभर में सूचनाओं के विस्तार को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता भारत सरीखे विशाल मुल्क में, खासतौर पर यदि नेटवर्क कवेरज अच्छी नहीं हो.
मन की बात किताब में बताया गया है कि प्रधानमंत्री को मन की बात कार्यक्रम के श्रोताओं के हजारों पत्र हर माह मिलते हैं, उन्हें वे ध्यान से पढ़ते हैं और उनमें से मुल्क के नागरिकों से जुड़े मुददों व सरोकारों को ढूंढते हैं.
प्रधानमंत्री ने किताब में रेडियो की ताकत के बारे में कहा है- मैं जानता हूं कि रेडियो क्या फर्क ला सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने इसका अच्छी तरह से इसतेमाल किया. बहुत से लोगों ने मार्थिन लुथर किंग की ‘मेरा एक सपना है’ स्पीच को रेडियो पर सुना. इस माध्यम में बदलाव लाने की जो ताकत है, वह अन्य माध्यमों में नहीं है.
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस किताब में प्रकाशित अपने संदेश में कहा है कि एक प्रधानमंत्री को चुनौतीपूर्ण कार्यों से जूझना पड़ता है. ऐसे में हर महीने एक घंटे के रेडियो शो के लिए जबरदस्त प्रयास की जरूरत है. मैंने यह महसूस किया है कि लोगों से संवाद करने के लिए उनके भीतर कितना जुनून है.
जापान के प्रधानमंत्री विश्वस्त थे कि यह शो निःसंदेह उत्तम मिसालों में से एक है कि किस तरह शीर्ष नेता मुल्क की जनता के साथ गंभीर संबंध स्थापित कर सकता है.
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने भी किताब में ‘मन की बात’ कार्यक्रम के बारे में लिखा है. उन्होंने लिखा ‘सकारात्मक बदलाव के लिए मीडिया का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, मन की बात इसका एक बड़ा उदाहरण है. इस नई पहल के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने करोड़ों भारतीयों को जन भागीदारी के लिए शमिल किया है, इससे लोक सेवा सूचना वितरण में कार्यक्षमता बढ़ती है और विकास की गति को रफ्तार मिल सकती है.
इस किताब में प्रधानमंत्री के शुरुआती 23 एपिसोड की ट्रांसक्रिप्ट है. ये प्रधानमंत्री के मासिक संबोंधनों का विस्तृत विश्लेषण करने में लाभदायक हैं. ये ट्रांसक्रिप्ट उन पाठकों और शोधकर्ताओं के लिए खासतौर पर उपयोगी हैं जो रेडियो कें इस कार्यक्रम के क्रमिक विकास को समझना चाहते हैं,जो अपने आप में एक आंदोलन बन चुका है.
इसमें प्रधानमंत्री की टीम के सदस्यों द्वारा साझे किए गए किस्से किताब को और भी दिलचस्प बना देते हैं. यही नहीं यह किताब यह जानकारी भी मुहैया कराती है कि इस कार्यक्रम का विचार कैसे आया, नाम कैसे पड़ा आदि बावत भी पाठकों की जिज्ञासा को शांत करती है. प्रधानमंत्री लोगों के विचारों को दिल से रखते हैं और यह किताब यही बोलती है.
यह किताब हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में उपलब्ध है. इस अमेज़न स्टोर से ख़रीदा जा सकता है.