( तेज़ समाचार डेस्क ) बहुत दिनों से चले आ रहे विलय मामले में आइडिया सेलुलर बोर्ड ने वोडाफोन इंडिया लिमिटेड और इसके पूर्ण स्वामित्व वाली वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज के कंपनी के साथ विलय पर अपनी सहमती दी है । विदित हो की देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी आइडिया सेलुलर के बोर्ड ने वोडाफोन इंडिया के साथ विलय को मंजूरी दे दी है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह भारतीय टेलिकॉम बाजार की सबसे बड़ी डील होगी और विलय के बाद बनने वाली नई कंपनी भारतीय टेलिकॉम सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी। रिलायंस जिओ के मार्किट में आने के बाद से ही भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में बहुत उथल पुथल मची हुई थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कहा जा रहा है की दोनों कम्पनियों के विलय के बाद नई कंपनी के पास देश में 38 करोड़ ग्राहक होंगे। आइडिया और वोडाफोन की विलय प्रक्रिया अगले साल तक पूरी हो जाएगी। इसमें वोडाफोन की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत जबकि आइडिया की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत होगी। आगे जाकर आदित्य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन का हिस्सा बराबर हो जाएगा। आइडिया का वैल्युएशन 72,2000 करोड़ रुपया का होगा। फाइलिंग के मुताबिक, एबी ग्रुप के पास 130 रुपये प्रति शेयर की दर से नई कंपनी के 9.5 प्रतिशत खरीदने का अधिकार होगा।
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वोडाफोन विलय के बाद कंपनी में सीईओ और सीएफओ, दोनों ही पद मांग रहा है। वहीं वोडाफोन को कुमार मंगलम बिड़ला को नई कंपनी का चेयरमैन घोषित करने से कोई ऐतराज नहीं होगा। सीईओ वोडाफोन पीएलसी के किसी ग्लोबल एग्जिक्युटिव को बनाया जा सकता है। इस मर्ज के बाद वोडाफोन और आइडिया के सभी शेयरों का विलय होगा, लेकिन इंडस टावर्स में वोडाफोन के 42 प्रतिशत शेयर इस विलय से अलग होंगे। आइडिया के नए शेयरों को वोडाफोन में जारी करने के साथ विलय लागू हो जाएगा और वोडाफोन इंडिया अपनी पैरंट कंपनी से अलग हो जाएगा।