दिल्ली (तेज समाचार प्रतिनिधि) मुस्लिम धर्म के ठेकेदार कब कौन सा फरमान जारी कर दें, कुछ कहा नहीं जा सकता. वर्तमान में पूरे देश में तीन तलाक के मुद्दे पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है, वहीं देवबंद के मौलाना और तंजीम उलेमा ए हिंद के प्रदेश अध्यक्ष नदीम उल वाजदी ने मुस्लिम महिलाओं के नौकरी करने पर विवादित बयान दिया है. वाजदी ने कहा कि महिलाओं को सरकारी या गैर सरकारी किसी भी तरह की नौकरी नहीं करनी चाहिए.
वाजदी के मुताबिक महिलाओं का नौकरी करना इस्लाम के खिलाफ है. वाजदी का कहना है कि घर का खर्च उठाने की जिम्मेदारी मर्द की होती है. महिलाओं का काम घर और बच्चों की देखभाल करना है. वाजदी ने कहा कि महिलाओं का नौकरी करना उसी सूरत में जायज है जब घर का खर्च उठाने वाला कोई मर्द ना हो और वे चेहरे समेत खुद को ढंक कर काम करे. लेकिन वाजदी ने यह नहीं बताया कि मर्द जब निकम्मे हो और काम न करे, तब इस्लाम ने क्या बताया है.
गौरतलब है कि देवबंद पहले से ही तमाम तरह के फतवों और बयानों के लिए बदनाम रहा है. इसके पहले दारूल उलूम देवबंद ने फतवा जारी करते हुए कहा था कि तलाक के लिए औरत का मौजूद रहना जरूरी नहीं है और अगर कोई पति चाहे तो मोबाइल फोन से भी अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है. इस तरह मोबाइल फोन से दिए गए तलाक को भी मान्य किया गया. लेकिन मजे की बात यह है कि क्या इस्लाम के नियम लिखते समय मोबाइल था?
देवबंद से इस्लाम के बारे में ऐसे कई बयान और फतवे आए हैं. ‘भारत माता की जय’ नारे को लेकर भी इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने एक फतवा कर कहा था कि भारत माता की जय बोलना मुसलमानों के लिए जायज नहीं है.