जामनेर (तेज समाचार डेस्क). कपास आंदोलन के जरिये उत्तर महाराष्ट्र मे राजनीतिक जमीन तैय्यार कर सत्ता मे बैठी भाजपा की ओर से चार सालो मे कपास उत्पादक किसानो को कुछ खास हासिल नही हुआ है, बल्कि विधानसभा के अनिश्चितकालिन चुनावों को देखते सूबे मे केंद्र द्वारा कृषि की फसलों को दी गयी डेढ़ गुना एमएसपी वाली नीति का ही प्रोपेगैंडा जोरो से किया जा रहा है और सत्तापक्ष ने अपनी साख बचाने के प्रयास तेज कर दिए है .
इसी रस्साकशी के बीच मानसून पर निर्भर कपास उत्पादक किसानों की स्थिति जस कि तस है. सरकारी आंकडो के मुताबिक तहसील के कुल कपास बुआयी क्षेत्र मे इस साल 3 हजार हेक्टेयर की कमी आयी है. 26 जुलाई से बारिश लगभग बंद हो चुकी है. फसले जमीनी सतह से उठकर तीन फीट तक ऊंची बढ तो गयी लेकिन भूगर्भ मे पानी के अभाव से बावडियो का स्तर गिरने लगा है. कपास के पौधों पर खिले पीले फूलों में बड़ी मात्रा मे बोंडइल्ली का संक्रमण फैल रहा है जिसकी रोकथाम के लिए किसी के भी परामर्श पर किसान आए दिन विभिन्न केमिकल का छिडकाव कर रहे है . इसी आशा मे कि शायद इल्ली का उच्चाटन हो जाएगा और फसले बच जाएगी .
सोयगांव तहसील जिला औरंगाबाद के जंगलातांडा निवासी एक सिमांत कीसान के खेत का जायजा लेने अपने कृषि चिकित्सा सहयोगी के साथ पहुचे संवाददाता ने जाना कि किस तरह बोंडइल्ली का प्रकोप आरंभ हो चुका है . और सिमांत किसानो की स्थिती क्या है . पिडीत कीसान ने कृषि चिकित्सक से इल्ली प्रतिबाधन के लिए बेहतर से बेहतर औषधी का अनुरोध कीया . चिकित्सक के मुताबीक 10 दिनो के अंतराल से कपास को किडनिरोधी छीडकावे की आवश्यकता होती है . बोंडइल्ली के प्रकोप वाली स्थिती जामनेर समेत प्रपंच मे है . बीते साल भी बोंडइल्ली ने किसानो को खुब आर्थिक चपत लगाई थी . अब कपास कि बुआयी हि कम है और उसमे भी इल्ली का प्रकोप काफी तेज है . अभी बारीश के दो महिने शेष है तो सिंचायी के लिए पानी की समस्या मिट भी जाए लेकिन बोंडइल्ली पर क्या उपाय किया जाना चाहिये इस परेशानी मे किसान चिंतीत है . आश्चर्य कि बात यह है की इस मामले को लेकर सरकारी कृषि विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहि उठाए गए है .
महकमे के अधिकारी पेपरवर्क मे हि संतुष्ट दिखायी पड़ रहे है . बोंडइल्ली के कारण घटने वाले उत्पाद के चलते कीसानो को इस हंगाम मे भी मायूसी का मुह देखना पड सकता है अब जब मध्य प्रदेश मे सोयाबीन को केंद्र द्वारा द्वारा देढ गुना बढायी गयी एमएसपी लाभ मिलने पर संभ्रम जैसी खबरे आ रहि है तब बढी हुयी एमसपी का किसानो को क्या और कीतना लाभ होगा यह तो कपास के मार्केट मे आने के बाद हि पता चल सकेगा