नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर फैसले के बाद दलितों द्वारा सोमवार को किया गया भारत बंद दलितों के विरोध में कई सारे सवाल पैदा कर गया है. आखिर क्या हासिल करना चाहते है दलित इस प्रकार का हिंसात्मक आंदोलन करके. सोमवार को दलितों द्वारा की गई हिंसा का असर देश के 10 राज्यों में देखा गया. इनमें से उन राज्यों में सबसे ज्यादा हिंसा और प्रदर्शन देखने को मिला, जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं. इनमें मध्यप्रदेश और राजस्थान शामिल हैं. इनके अलावा पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश में हिंसक झड़प हुईं. मध्यप्रदेश में 6, यूपी में 2, बिहार और राजस्थान में 1-1 की मौत हो गई. उधर, पंजाब में बंद के चलते सीबीएसई की परीक्षाएं टाल दी गई हैं. इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है. इसकी खास वजह है. दरअसल, जिन 10 राज्यों में उग्र प्रदर्शन हुए वहां की 71 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर एससी/एसटी वोटर असर डालते हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि यह पूरा दलित भारत बंद विरोधियों द्वारा प्रायोजित बंद था. इस आंदोलन के बाद अब पूरे देश में जो लोग दलितों को जरूरतमंद, गरीब की दृष्टि से देखते थे, उनका नजरियां पूरी तरह से बदल गया है. अब लोगों का नजरियां दलितों के प्रति हिन्दू विरोधी छविवाला बन गया है. क्योंकि ऐसी अनेक घटनाएं भारत बंद के दौरान देखने को मिली. एक जगह दलितों ने कई जिसमें बड़े गुजुर्ग और जिन्हें अब शायद समझदार कहना बेमानी होगी, इन लोगों ने हनुमान जी की प्रतिमा पर थूंका और जूतें मारे. अपनी इन ओछी हरकतों से दलित क्या साबित करना चाहते है. क्यां बाबा साहेब आंबेडकर ने दलितों को यही पाठ पढ़ाया था?
– क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
ये पूरा फसाद सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के दुरुपयोग को रोकने को लेकर गाइडलाइन जारी करने के बाद हुआ. यह सुनवाई महाराष्ट्र के एक मामले में हुई थी. ये गाइडलाइंस फौरन लागू हो गई थीं. इस गाइड लाइन के तहत सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत से होगी.
आम लोगों के लिए एक्ट के तहत आरोपी सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, तो उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से होगी. अदालतों के लिए एक्ट के तहत अग्रिम जमानत पर मजिस्ट्रेट विचार करेंगे और अपने विवेक से जमानत मंजूर या नामंजूर करेंगे.
– दर्ज होते है झूठे मामले
एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 शिकायतें दर्ज हुईं. जांच में 935 झूठी पाई गईं. इसका अर्थ यह है कि एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है और लोग अपने स्वार्थ के लिए झूठे मामले दर्ज करा कर लोगों को फंसाने का काम कर रहे हैं.
– जहां चुनाव होने है, वहां ज्यादा हुई हिंसा
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी एक्ट के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए एक याचिका दायर की. कोर्ट ने सोमवार को फौरन सुनवाई से मना कर दिया. सबसे ज्यादा असर एमपी-राजस्थानऔर छत्तीसगढ़ में देखने को मिला क्योंकि इस साल यहां चुनाव होने हैं. मध्यप्रदेश के भिंंड, मुरैना ग्वालियर में हिंसा का असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिला.
– ग्वालियर मे तीन की मौत
ग्वालियर में हिंसा के दौरान तीन लोग मारे गए. इसके अलावा भिण्ड में 2, डबरा में 1 और मुरैना में 1 की मौत हुई. टोल प्लाजा में तोड़फोड़ की गई. कई जगह सड़क पर वाहन जलाए गए. पांच थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया. वॉटसऐप पर गलत खबरें और अफवाहें ना फैलें इसके लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया. प्रदेश के इंदौर, सिवनी, रतलाम, उज्जैन, झाबुआ और जबलपुर में बंद का मिला-जुला असर रहा.
– मध्यप्रदेश – राजस्थान में होने चुनाव
मध्यप्रदेश और राजस्थान में साल के आखिर में चुनाव हैं. मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटों में से एसटी के लिए 47 और एससी की 35 सीट रिजर्व हैं.
राजस्थान में दलित और करणी सेना में भिडंत
अलवर जिले के खैरथल इलाके हुई हिंसा में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई. बाड़मेर में दलित संगठनों और करणी सेना के बीच झड़प हो गई, जिसमें 25 लोग जख्मी हो गए. भरतपुर में महिलाएं हाथों में लाठियां लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करती दिखीं. अलवर में एक मकान में आग लगाने की कोशिश की गई. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी. पुष्कर में कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई.
राजस्थान में है क्यों अहम है एससीएसटी
राज्य में इस साल चुनाव हैं. विधानसभा की 200 सीट में से एससी कोटे की 33 और एसटी की 25 सीटें हैं. पिछले तीन चुनावों में टिकट बंटवारे से लेकर सरकार गठन तक एससी-एसटी और जाटों का ही बोलबाला रहा है. कांग्रेस और भाजपा ने 95 से ज्यादा सीटों पर इन्हीं समुदाय के कैंडिडेट्स मैदान में उतारे. बाकी आधी सीटों का राजपूत, ब्राह्मण, मुस्लिम, गुर्जर और दूसरी जातियों को अहमियत दी गई है.
– छत्तीसगढ़ में आधी सीटें एससी/एसटी असर वाली
प्रदेश में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और भिलाई समेत राज्य में बंद का व्यापक असर देखने को मिला. मेडिकल स्टोर को छोड़कर करीब-करीब सभी बाजार बंद नजर आए. हालांकि, राज्य से हिंसा की कोई खबर नहीं मिली.
छतीसगढ़ में कुल 90 सीटें हैं. इनमें से एससी के लिए 10 और एसटी के लिए 29 सीटें रिजर्व हैं. अगर देखा जाए तो करीब आधी सीटों पर एससी/एसटी का असर है.
– गुजरात में बसों पर पथराव
अहमदाबाद में बस सर्विस को बंद करना पड़ा. कई जगह पथराव किया गया. आंदोलनकारियों ने पाटन, हिम्मतनगर, थराद, नवसारी, भरूच, जूनागढ़, धानेरा, भावनगर, जामनगर, अमरेली, तापी, साणंद के अलावा राज्य के और भी इलाकों में रैलियां निकाली गईं. कच्छ जिले के गांधीधाम शहर में सरकारी वाहन पर पथराव किया गया. जूनागढ़, राजकोट, राजुला, चोटिला के अलावा दूसरे इलाकों से भी आगजनी और पथराव की खबरें आईं. सौराष्ट्र, कच्छ और राजकोट में भी आगजनी-तोड़फोड़ की गई.
– हरियाणा में 50 पुलिसकर्मी घायल
नेशनल हाइवे -1 बंद कर दिया गया. कैथल में प्रदर्शनकारी रोडवेज डिपो में घुस गए. यहां टिकट काउंटरों पर तोड़फोड़ की गई. एक ट्रेन इंजन पर पथराव किया गया. पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. यहां पुलिस-प्रदर्शनकारियों में झड़प. पुलिस फायरिंग में 10 लोग घायल हुए. पथराव में 50 पुलिसकर्मी जख्मी हुए.
– राहुल गांधी ने किया हिंसक भारत बंद का समर्थन
राहुल ने ट्वीट में कहा कि दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना RSS/BJP के DNA में है. जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं. हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं. हम उनको सलाम करते हैं. हालांकि राहुल के इस ट्वीट की पूरे देश में आलोचना की जा रही है.
दूसरी ओर संघ ने पटलवार करते हुए कहा कि कुछ लोग आरएसएस के खिलाफ जहरीला कैम्पेन चला रहे हैं. कानून में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संघ से कोई लेना देना नहीं है.
– राजनाथ ने की शांति की अपील
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हमने एससी/एसटी एक्ट पर आए फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की है. सभी पार्टियों और संगठनों से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखें. हिंसा का रास्ता न अपनाएं. मुझे बेहद दुख है कि देश के कुछ राज्यों में हिंसक घटनाओं में लोगों की जान गईं.’