जामनेर (तेज समाचार प्रतिनिधि). निकाय चुनाव के मैदान पर प्रचार मे उमदा प्रदर्शन करने के बावजुद नतीजो मे सुपडा साफ हो चुके विपक्ष कि मुख्य पार्टी राष्ट्रवादी ने रवीवार को चिंतन बैठक बुलायी है , बैठक को लेकर भले हि अब तक कोई आधिकारीक ऐलान नहि हुआ है . वार्ड नं 3 , 5 अ और 10 मे गठबंधन की 5 सिटे महज 100 वोटो के अंतर से चुक गयी वहि लोकनियुक्त नगराध्यक्ष पद के लिये विपक्ष अपने अति आत्मविश्वास के कारण मुस्लिम तथा अन्य अल्पसंख्यको मे वोट नहि जुटा पाया , जहा भाजपा ने जमकर सेंध लगायी .
बीती विधानसभा कि तुलना मे मंत्रीजी को नगर से वोटो मे मिली 8 हजार की बढत का अंतर इस बार 853 से ज्यादा रहा यानी कुल 8853 वोट का . वहि विपक्ष की प्रत्याशी प्रो श्रीमती अंजली पवार को 9550 वोट प्राप्त हुये . कहा जाता है कि राजनीती मे कभी भी किसी संभावना को नकारा नहि जा सकता शायद इसी वास्तवीकता को स्विकारते सजग मतदाताओ ने जिस तरह सुबे मे चल रहि तत्कालीन मोदी लहर पर सवार होकर विकास के अनूशेष को पाटने मंत्री बनता देख गिरीश महाजन को पांचवी बार विधायक चुना उसी पैमाने के तहत निकाय मे जनता ने वहि फैसला दोहराने मे देर नहि लगायी , खैर जमीनी स्तर पर विश्लेषण और हकिकत मे फर्क हो वो बात अलग है . संतुष्टता इसकि है की लोग अब लोकतंत्र की महिमा को भलीभांती समझ चुके है .
निकाय चुनाव मे विपक्ष द्वारा किये गये सामाजिक न्याय के प्रयोग की प्रासंगिक असफलता ने क्षेत्र मे होनेवाले आगामी कयी चुनावो के लिये जमिन अवश्य बनायी है . विपक्ष को भगवा लहर को रोकने कि चिंता से अधिक चुनौती अपने बिखरे और आधेअधुरे पार्टी संगठन को मजबुत बनाने की है , संजय गरुड जैसे जनाधार वाले नेता की लिडरशीप को सांगठनीक तर्ज पर ताकत प्रदान करना विपक्ष के लिये अनिवार्य है .
बहरहाल नतीजो के बाद सोशल मिडीया पर चुनाव को लेकर ऐसे कयी चौंकाने वाले पहलू यूजर्स द्वारा शेयर किए जा रहे है जो शायद कथीत न्याय – अन्याय को तौलने के लिये महत्वपूर्ण हो सकते हो लेकिन जिनका अब कोई मतलब नहि है . रवीवार को होने जा रहि चिंतन बैठक क्षेत्र की राजनीती के लिये कयी मायनो मे अहम मानी जा रहि है क्यो की बैठक भले हि किसी पार्टी कि हो लेकिन उसका केंद्रबिंदू वह जनता है जो आज नेताओ से ज्यादा परीपक्व भुमिका मे दिखायी पड रहि है .