अकोला(अवेस सिद्दीकी): न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालापुर पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले वाडेगांव निवासी दिनकर राजाराम सराफ ने २१ मई २०१० को शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया था कि गांव में विवाह समारोह चल रहा था। इसी बीच वहां पहुंचे तीन युवकों ने शादी में शामिल युवतियों के साथ छेडख़ानी कर रहे थे। जिससे उन्हें समझा कर भेज दिया था। कुछ समय के बाद सचिन मोहन सरप, देवेंद्र जीवन गिरी, नितिन एकनाथ मानकर, विठ्ठल पुरूषोत्तम सरप, संजय सिताराम सरप तथा विवेक मोहन सरप हाथों में धारदार शस्त्र लेकर आए तथा मारपीट करते हुए जेब से नगद व मोबाइल फोन लेकर फरार हो गए। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ धारा ३९५,५०४,५०६ के तहत अपराध दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया था। न्यायालय ने कुछ दिनों के बाद जमानत दे दी थी। इसी बीच बालापुर पुलिस ने मामले की जांच करते हुए दोषारोप पत्र न्यायालय में पेश किया था। उक्त अभियोग की सुनवाई प्रथम जिला व सत्र न्यायालय में चल रही थी। लेकिन आरोपी न्यायालय की तारीख पर उपस्थित नहीं रहते थे। इसी बीच प्रथम श्रेणी न्यायाधीश मोनिका आरलैंड ने सभी आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था। जिसे रद्द करवाने के लिए आरोपी न्यायालय पहुंचे थे। लेकिन न्यायाधीश ने आरोपियों को जमानत देने की बजाए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।