दिल्ली. सही मायने में राजनीति का मुख्य उद्देश्य समाज की सेवा करना होता है. कुछ लोग ऐसे है, जो राजनीति के इस मुख्य उद्देश को जीने के लिए अपना पूरा जीवन इमारदारी से समर्पित कर देते है. लेकिन ऐसे लोगों का हश्र अक्सर काफी दुखद होता है. राजनीति को समाजसेवा मान कर पिछले 45 वर्षों से पार्षद के रूप में दिल्ली की सेवा करनेवाले रमेश दत्ता की दस्तां भी कुछ ऐसी ही है. रमेश दत्ता 45 वर्षों से दिल्ली में लगातार निगम पार्षद हैं, पर उनके पास रहने के लिए एक घर तक नहीं है. भ्रष्टाचार के आरोपों से रोज दागदार हो रही देश की राजनीति में पार्षद रमेश दत्ता जैसे लोग उम्मीद की लौ की तरह हैं.
रमेश दत्ता को लोग मसीहा के रूप में जानते है. इनके बारे में कहा जाता है कि इनके दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं गया. जो भी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर रमेश दत्ता के पास गया, इसका अर्थ यह था कि उस समस्या का निश्चित समाधान. इतनी साख होने के बावजूद दत्ता ने कभी अपनी इस साख का दुरुपयोग नहीं किया. उनके बैंक खाते में बेहद मामूली सी रकम है.
– इंदिरा गांधी भी हुआ करती थी मुरीद
बदन पर पुराने कपड़े, टूटी चप्पल पहने खुद ही झाड़ू उठाकर वे अब भी वॉर्ड की सफाई करने निकल पड़ते हैं. दिल्ली गेट वॉर्ड से नौ बार से पार्षद 72 वर्षीय रमेश दत्ता का टिकट इस बार उसी कांग्रेस पार्टी में काट दिया गया है, जहां कभी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनकी मुरीद हुआ करतीं थी. आपको जानकर हैरानी होगी की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पार्षद रमेश दत्ता का प्रचार करने आया करती थी, पर इस बार कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया है. इससे दुखी रमेश दत्ता इस बार निर्दलीय ही मैदान में उतर गए हैं.
– आज तक नहीं देखा हार का मुंह
रमेश दत्ता उत्तरी दिल्ली नगर निगम के दिल्ली गेट वार्ड (वार्ड-88) से निगम पार्षद हैं. आज तक वे कभी चुनाव नहीं हारे. दत्ता अगर इस बार जीत गए तो यह लगातार उनकी 10वीं जीत होगी.
– नस-नस में है कांग्रेस
रमेश दत्ता कहते हैं कि मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं. मुझे अपने राजनीतिक जीवन मे कई राजनीतिक पार्टियों से ऑफर मिले, लेकिन आज तक मैंने कांग्रेस के अलावा किसी और पार्टी के बारे में सोचा भी नहीं. इस बार कांग्रेस पार्टी ने इनका टिकट काट दिया तो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर गए हैं. अपने गुब्बारा चुनाव चिन्ह के साथ इलाके में चुनाव प्रचार में जुटे रहते हैं. उन्हें इस बात का मलाल भी है कि पार्टी के युवा नेताओं ने उन्हें सम्मान नहीं दिया. पार्टी ने एक बार और इनका टिकट काटा था. तब भी दत्ता ने निर्दलीय ही ताल ठोंका और चुनाव जीतकर आए. बाद में फिर कांग्रेस पार्टी में ही शामिल हो गए और आज भी वे कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी में ही रहकर अंतिम सांस लेनी हैं.
इंदिरा गांधी करती थी चुनाव प्रचार
निगम चुनाव में रमेश दत्ता अकेले ऐसे कांग्रेसी प्रत्याशी होते थे, जिनका चुनाव प्रचार करने खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आती थीं. नेहरू-गांधी परिवार के किसी भी सदस्य के घर जाने के लिए इन्हें अप्वाइंटमेंट नहीं लेना होता था.
– माकन पर टिकट बेचने का आरोप
रमेश दत्ता ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन पर पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया है. वे कहते हैं कि आज के नेताओं को सिर्फ पैसे चाहिए और यही काम अजय माकन ने किया. उन्होंने कहा कि कभी मेरे सामने 50 रुपए के लिए दो घंटे इंतज़ार करने वाले नेता आज करोड़ों के मालिक बन चुके हैं.
– खुद का घर भी नहीं रहने को
दत्ता शायद दिल्ली के पहले निगम पार्षद होंगे, जिनके पास रहने के लिए अपना घर नहीं है. वे मिंटो रोड स्थित अपनी भांजी को मिले सरकारी मकान में रहते हैं. यहीं पर रहकर वे जनता दरबार लगाने से लेकर इलाके की साफ-सफाई का काम करवाते हैं. यह कांग्रेस पार्टी के प्रति रमेश दत्ता का अगाध प्रेम ही है कि पार्टी से टिकट कटने के बावजूद आज भी जिस घर में रमेश दत्ता रहते हैं, वहां कांग्रेस के झंडे और बैनर्स भरे पड़े हैं.