हिंदी भारत की विराट राष्ट्रीयता की आत्मा है। भारत जैसे बहुभाषी देश को इसी के जरिए एक सूत्र में बांधा जा सकता है। यह बात आज डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में हिंदी सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उनकी अध्यक्षता में आयोजित इस पहली बैठक में श्री राम नारायण डूडी सासंद (राज्य सभा) और श्री वशिष्ठ नारायण सिंह, सांसद (राज्य सभा) भी शामिल थे। इसके अतिरिक्त, स्वामी यज्ञानंद सरस्वती, श्री आर. पी. सिंह, श्री नवीन कुमार, श्री राघवेन्द्र धिरा, श्री सुरेश तिवारी, श्री अभिषेक गुप्ता, श्री दशरथ सिंह राठौर सहित हिन्दी भाषा और उसके सरोकारों से जुड़े हुए व्यक्ति बैठक में शामिल हुए। बैठक में सासंद श्री वशिष्ठ नारायण सिंह ने सरकारी कामकाज में हिंदी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए उच्च अधिकारियों को हिंदी के प्रति जागरूक बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं दक्षिण भारत में हिंदी की स्वयंसेवी संस्था से जुड़े हुए श्री राघवेन्द्र धिरा ने इस पहली बैठक के लिए मंत्री महोदय को बधाई देते हुए हिंदी के प्रचार-प्रसार के इस काम में हिंदीतर भाषी लोगों को भी जोड़ने पर बल दिया। बैठक में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के विविध अधीनस्थ कार्यालयों के सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव तथा निदेशक शामिल थे। प्रधानमंत्री की त्वरित कार्यशैली का अनुकरण करते हुए इस हिंदी सलाहकार समिति की अगली बैठक 31 अगस्त, 2016 को निर्धारित की गई है। हिंदी का प्रचार-प्रसार एक सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके लिए सरकारी तंत्र के अलावा सलाहकार समितियों की सक्रियता भी जरूरी है। कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए मिल-जुलकर काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।