मदर्स डे पर विशेष:-
संस्कृतियों के मिश्रण, बदलते दौर और आधुनिकता के बीच अब दिन विशेष के महत्त्व बढ़ते जा रहे हैं. यूँ तो भारतीय संस्कृति में दिनों का हमेशा से महत्त्व रहा है किन्तु अब मदर्स डे , फादर्स डे को भी स्वीकारना प्रारंभ हो गया है. रविवार को सोशल मीडिया पर इसी कड़ी में मदर्स डे का बोल बाला दिखाई दिया. लगभग सभी सोशल मीडिया प्लेटफोर्म सुन्दर शब्दों, चित्रों से पटे पड़े रहे.
प्रख्यात शायर मुन्नवर राणा के शब्दों में कहें तो…. लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती…
अब तक लगभग हर कलम चलाने वाले ने मां के सजदे में कुछ न कुछ लिखा है. बहुत खुबसूरत अंदाज़ में शब्द पिरोते हुए लेखकों ने अपनी भावनाएं इस तरह से प्रस्तुत की हैं की प्रत्येक पड़ने वाले को ऐसा लगता है मानो वो शब्द उसकी मां के लिए ही लिखे हों. इन सब के बीच आजके विशेष दिन पर याद आता है एक यादगार लोकप्रिय सूफी भजन.. दमादम मस्त क़लन्दर
यह भारतीय उपमहाद्वीप का एक अत्यंत लोकप्रिय सुफ़िआना गीत है जो सिन्ध प्रांत के महान संत चेटीचंड झूले लाल को क़लन्दर के रूप में सम्बोधित करते हुए गाया गया है. इस भजन में संत चेटीचंड झूले लाल के सामने एक माँ अपनी फ़रियाद रख रही है. यह सूफी भजन मिश्रित पंजाबी और सिन्धी भाषाओँ में है लेकिन यह पूरे उपमहाद्वीप में ख्याति प्राप्त कर चुका है . यही कारण है की पंजाबी सिन्धी भाषा न जानने वाले भी इसे गुनगुनाते देखे जा सकते हैं. हालंकि इस भजन को बहुत से जाने-माने गायकों ने गाया है, किन्तु गायिका रुना लैला ने इसे जन जन की जुबां तक पहुंचाया. अन्य गायकों में नुसरत फतह अली खान, रेश्मा, वडाली भाई , हंसराज हंस, आबिदा परवीन , शाजिया खुश्क, शबनम माजिद, आदि ने अपने अपने अंदाज़ में इस सुन्दर गीत, भजन सूफी कलाम की लोकप्रियता बढाई है . इनमें से एक छंद में झूले लाल की तारीफ़ की गयी है और दूसरे में कहा गया है के एक दुखियारी औरत उनके मज़ार पर हाज़री देने आई है , और उनके लिए दिया जला रही है. फिर संत की ख्याति और उनके रोज़े का वर्णन किया गया है और कहा गया है की संत चेटीचंड झूले लाल बच्चे मांगने वालों को बच्चे देते हैं. पूरे गाने में ऐसे और भी काफ़ी छंद आते हैं. जिन मशहूर गायकों नें इसे गया है वह कुछ छंद चुन कर सीमित गाना ही गाते हैं.
भजन कुछ इस तरह है-
ओ लाल, मेरी पत्त रखियो बला झूले लालण,
सिन्धड़ि दा, सेवन दा, सख़ी शाहबाज़ क़लन्दर!
दमादम मस्त क़लन्दर, अली दम-दम दे अन्दर!
चार चिराग़ तेरे बरन हमेशा,
पंजवां बारन आईआं बला झूले लालण,
सिन्धड़ि दा, सेवन दा, सख़ी शाहबाज़ क़लन्दर!
दमादम मस्त क़लन्दर, अली दम-दम दे अन्दर!
हिंद-सिंद पीरा तेरी नौबत वाजे,
नाल वजे घड़ेयाल बला झूले लालण,
सिन्धड़ि दा, सेवन दा, सख़ी शाहबाज़ क़लन्दर!
दमादम मस्त क़लन्दर, अली दम-दम दे अन्दर!
मावाँ नूं पीरा बच्चड़े देना ई,
पैणा नूं देना तूं वीर मिला झूले लालण,
सिन्धड़ि दा, सेवन दा, सख़ी शाहबाज़ क़लन्दर!
दमादम मस्त क़लन्दर, अली दम-दम दे अन्दर!
उच्चा रोज़ा पीरा तेरा,
हेठ वग्गे दरिया बला झूले लालण,
सिन्धड़ि दा, सेवन दा, सख़ी शाहबाज़ क़लन्दर!
दमादम मस्त क़लन्दर, अली दम-दम दे अन्दर!
हर दम पीरा तेरी ख़ैर होवे,
नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण,
सिन्धड़ि दा, सेवन दा, सख़ी शाहबाज़ क़लन्दर!
दमादम मस्त क़लन्दर, अली दम-दम दे अन्दर!
आबिदा परवीन-
हंसराज हंस-
नुसरत फ़तेह अली खान-
रेशमा सिंह-
वडाली बंधू-
लंगा चिल्ड्रन-