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देश की सुरक्षा के लिए खतरा है रोहिंग्या मुसलमान

Tez Samachar by Tez Samachar
September 18, 2017
in Featured, देश
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देश की सुरक्षा के लिए खतरा है रोहिंग्या मुसलमान

नई दिल्ली. रोहिंग्या मुसलमानों के मामले में केंद्र सरकार ने 7 पेज का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. अपने हलफनामे में सरकार ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. साथ ही केंद्र ने कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि ये केंद्र सरकार का नीतिगत फैसला है.
– पाकिस्तानी आतंकवादियों के संपर्क में रोहिंग्या
अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान भारत के संसाधनों पर बोझ हैं. वे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं. केंद्र ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना अवैध अप्रवासियों से निपटने का एक नीतिगत फैसला है. केंद्र ने कहा है कि उसके पास खुफिया सूचना है कि रोहिंग्या मुसलमानों के पाकिस्तान के आईएसआई और आईएस जैसे आतंकी संगठनों से ताल्लुकात हैं. केंद्र ने कहा है कि म्यांमार, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में एक संगठित गिरोह है, जो रोहिंग्या मुलसमानों को भारत में भेजता है. वे 2012 से भारत में आ रहे हैं और उनकी संख्य करीब चालीस हजार है.
पिछले 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई आज तक के लिए टाल दी थी. पिछले चार सितंबर को दो रोहिंग्या मुसलमानों की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया था. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि वो यह फैसला करेगी कि रोहिंग्या मुसलमान भारत में शरणार्थी का दर्जा पाने के हकदार हैं कि नहीं.
– 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान है भारत में शरणार्थी
याचिका दो शरणार्थियों ने दायर की है. याचिका में एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी के 14 अगस्त के एक खबर को आधार बनाया गया है जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को रोहिंग्या मुसलमानों समेत अवैध अप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने का निर्देश दिया है. रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ बौद्ध बहुल म्यामांर में कई मुकदमे लंबित हैं. बताया जा रहा है कि भारत में करीब चालीस हजार रोहिंग्या मुसलमानों ने शरण ले रखी है.
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार का इन शरणार्थियों को वापस भेजने का फैसला संविधान की धारा 14, 21 और 51(सी) का उल्लंघन है. उनको वापस भेजना अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी कानूनों का उल्लंघन है. अंतर्राष्ट्रीय कानून इन शरणार्थियों की सुरक्षा की गारंटी देता है. याचिका में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की 2016 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि म्यामांर के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के जीने की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है. याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को रोहिंग्या मुसलमानों को जबरन वापस भेजने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करे और उन्हें जिंदा रहने के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया करायी जाएं.
इस याचिका के बाद 8 सितंबर को राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के नेता गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की मांग करने वाली एक याचिका दायर की है. अपनी याचिका में उन्होंने वकील प्रशांत भूषण द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की अर्जी का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान देश के संसाधनों पर बोझ हैं और देश की सुरक्षा के लिए खतरा भी. वहीं जम्मू-कश्मीर के कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है.
– केंद्र के हलफनामे में रोहिंग्या पर लगे ये 10 आरोप
1- अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों से देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. पाकिस्तान सहित कई दूसरे देशों में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से इनके संबंधों का पता चला है.
2- केंद्र ने कहा कि रोहिंग्या गैरकानूनी, राष्ट्रीय विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. इनमें से कुछ रोहिंग्या हुंडी/हवाला चैनल के जरिये धन जुटाने, अन्य रोहिंग्याओं के लिए नकली भारतीय पहचान दस्तावेजों की खरीद और मानव तस्करी में शामिल हैं.
3- रोहिंग्या भारत में अन्य लोगों के भारतीय सीमा में दाखिल कराने के लिए अपने अवैध नेटवर्क का भी उपयोग कर रहे हैं. उनमें से कई ने पैन कार्ड और वोटर कार्ड जैसे जाली भारतीय पहचान दस्तावेज बनवा रखे हैं.
4- कुछ रोहिंग्या मुस्लिमों का आईएसआई/ आईएसआईएस सहित विभिन्न चरमपंथी समूहों से जुड़े होने की सूचना मिली है. इसके अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा को उकसाना भी शामिल रहे हैं.
5- सरकार ने कहा कि जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में कुछ रोहिंग्या आतंकी पृष्ठभूमि वाले संदिग्धों के साथ काफी सक्रिय पाए गए हैं. ऐसे में इन्हें भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से संभावित गंभीर खतरे के रूप में पहचाना गया है.
6-केंद्र सरकार ने साथ ही कहा कि भारत बड़ी आबादी वाला देश है. यहां पहले से ही अतिरिक्त श्रम बल हैं. ऐसे में मौजूदा राष्ट्रीय संसाधनों से इन अवैध प्रवासियों को सुविधाएं और विशेषाधिकार प्रदान करने से भारतीय नागरिकों के अधिकारों पर प्रत्यक्ष प्रतिकूल असर पड़ेगा.
7- केंद्र ने यह भी चिंता जताई कि अवैध शरणार्थियों की वजह से कुछ क जगहों पर आबादी का अनुपात गड़बड़ हो सकता है.
8- केंद्र ने एक आशंका यह भी जताई कि ये रोहिंग्या देश में रहने वाले बौद्ध नागरिकों के खिलाफ हिंसक कदम उठा सकते हैं.
9- केंद्र ने यह भी चिंता जताई कि अवैध शरणार्थियों की वजह से कुछ जगहों पर आबादी का अनुपात गड़बड़ हो सकता है.
10- ऐसे में वे रोहिंग्या शरणार्थी जिनके पास संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भारत से जाना ही होगा.

Tags: केन्द्र सरकार का हलफनामारोहिंग्या मुसलमान
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