जामनेर (तेज समाचार प्रतिनिधि). धुलिया जिले के राइनपाडा गांव मे बच्चा चोर होने के संदेह में यहां गुमराह भीड़ ने पीट-पीट कर सोलापुर के घुमंतू भिक्षुकों की हत्या कर दी थी. इस सामूहिक हत्याकांड के विरोध में सोमवार दोपहर घुमंतु जनजाति समुदाय की ओर से मोर्चा निकाला गया. आंदोलन में 10 जिलो से समाज प्रतिनिधियों ने हाजरी लगायी. संबोधनों में जहां सभी वक्ताओं ने राइनपाड़ा घटना के शिकार लोगों के हत्यारों को फांसी की सजा देने की मांग के साथ पीड़ितों के परिजनों को 25 लाख रुपए की सहायता जैसी मांगे की, वहीं तहसील के स्थानीय युवा नेता सुमित जोशी ने अपने भाषण मे वाकड़ी में मातंग समाज के बच्चों को निर्वस्त्र कर पीटने और उनका जुलूस निकाले जाने का जिक्र करते उस मामले मे दोषी ईश्वर जोशी की संलिप्तता पर ही संदेह जताया.
उक्त धिक्कार मोर्चा मे इस तरह 10 जून को घटीत वाकडी दलित कांड जैसी संवेदनशील घटना मे जो कि न्यायालंबित मामला है, उसके मुख्य आरोपी का जिक्र कर संभ्रम पैदा करने वाला विवादित भाषण देने का औचित्य आखिर क्या हो सकता है ? जब कि आंदोलन का विषय बिल्कूल अलग है. आश्चर्य की बात यह है कि भाषण मे गृहराज्यमंत्री दीपक केसरकर के उस बयान का धागा पकडा गया जिसमे उन्होने वाकडी पीडितों से भेंट मे मीडिया के सामने कहा था कि ” बच्चो का निजी बावडी मे तैरना और उन्हे पिटना गलत था “. विदित हो कि बावडी मे नहाने पर सवर्ण खेतमालिक द्वारा वाकडी मे दो दलित नाबालिग बच्चो को निर्वस्त्र कर पीटा गया था . जिसके बाद मीडिया के सटिक विश्लेषण के कारण इस मामले की गूंज दिल्ली तक सुनायी पडी थी. विचारकों मे तो इस आंदोलन के उद्देश्य की हि चिकित्सा की जाने लगी है . आंदोलन को बंगालसिंग चितोडीया , अशोक गोसावी , प्रभाकर सालवे , संदीप जोशी , सुरेश जोशी , सुरतसिंगजी समेत कई पदाधिकारीयो ने मार्गदर्शन किया . जिसके बाद प्रशासन को मांगपत्र सौंपा गया .