वॉशिंगटन. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन देशों और उत्पादों के नाम बताएं जिनके कारण अमेरिका को करीब 5,000 करोड़ का व्यापार घाटा उठाना पड़ा है. उनके इस निर्देश को चीन जैसे व्यापारिक सहयोगियों के लिए चेतावनी माना जा रहा है. अमेरिकी प्रशासन के आला अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप अमेरिका के व्यापारिक घाटे के लिए जिम्मेदार रहे देशों और कारणों को लेकर कुछ आधिकारिक फैसले लेनेवाले हैं. माना जा रहा है कि ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान व्यापार के नियमों को सख्त बनाने का जो वादा किया था, यह उसी दिशा में पहला कदम होगा.
वाणिज्य सचिव विल्बर रोस ने कहा कि राष्ट्रपति के इस आदेश के कारण विश्लेषक अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में जुड़े एक-एक देश और सभी उत्पादों की समीक्षा करेंगे. ये विश्लेषक 90 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट ट्रंप को सौंपेंगे. रोस ने बताया कि इस समीक्षा के दौरान यह भी देखा जाएगा कि क्या किसी देश ने व्यापार से जुड़े मामलों में ‘धोखाधड़ी’ की. उनके अनुचित बर्ताव, व्यापारिक संधियों पर ठीक तरह से अमल ना करने के मामले, करंसी पॉलिसी की गलत नीतियां और विश्व व्यापार संगठन द्वारा तय किए ऐसे प्रावधान जिनके कारण अमेरिकी हितों में बाधा खड़ी होती है, सभी की समीक्षा की जाएगी.
रोस ने आगे कहा, ‘इस विश्लेषण के नतीजों के आधार पर ही प्रशासन आगे कोई भी निर्णय लेगा.’ राष्ट्रपति का यह निर्देश बेहद अहम समय में जारी किया गया है. एक हफ्ते से भी कम समय में ट्रंप की मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से होनेवाली है. ट्रंप के इस फैसले को चीन के लिए उनकी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है. रोस ने आगे कहा, ‘हमें यह बताने की कोई जरूरत नहीं है कि अमेरिका के इस व्यापारिक घाटे का सबसे बड़ा कारण चीन है.’
रोस ने कुछ और देशों के नाम भी गिनाए, जो कि संभावित तौर पर इस घाटे के कारणों में शामिल हो सकते हैं. इन देशों में भारत का नाम भी शामिल है. इस सूची के बाकी देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इटली, जापान, मलयेशिया, मेक्सिको, दक्षिणी कोरिया, स्विट्जरलैंड, ताइवान, थाइलैंड और वियतनाम भी शामिल हैं. रोस ने स्पष्ट किया कि अमेरिका को हुए व्यापारिक घाटे का मतलब यह नहीं है कि इसके जिम्मेदार देशों के खिलाफ किसी तरह की बदले की कार्रवाई की ही जाएगी.
रोस ने आगे कहा, ‘अगर कोई देश ऐसे किसी उत्पाद की सप्लाइ कर रहा है, जिसकी आपूर्ति हम नहीं कर सकते तो उसे बदमाश कहना थोड़ा गलत है. कुछ मामलों में इसका मतलब बस इतना होता है कि वह देश उस उत्पाद को बनाने में बेहतर है या फिर हमारे मुकाबले वह उस उत्पाद को ज्यादा सस्ते में बना सकता है.’ रोस ने कहा कि उन्होंने जिन देशों के नाम गिनाए, जरूरी नहीं कि वे सारे के सारे बदमाश ही हों. माना जा रहा है कि ट्रंप ऐसे उपाय अपनाने पर विचार कर रहे हैं जिनके द्वारा अमेरिका वैसे उत्पादों पर ट्रेड ड्यूटी बढ़ाए, जिन्हें कि विदेशी सरकारें अपने यहां छूट देती हैं या फिर जिन्हें अमेरिकी बाजारों में खपाया जाता है. रोस ने यह आश्वासन भी दिया कि सरकार जो भी फैसले लेगी, वह विश्व व्यापार संगठन WTO के नियमों के अंतर्गत ही होगा.