पुणे (तेजसमाचार ब्यूरो ) – समान जलापूर्ति योजना के तहत शहर में पानी की 103 टंकियां बनाना नियोजित है. इसके लिए प्रशासन की ओर से टेंडर प्रक्रिया जारी की गयी थी. इस प्रक्रिया को स्थायी समिति ने भी मंजूरी दे दी थी. लेकिन इस प्रक्रिया पर विधिमंडल में सवाल उठाए गए व इस प्रक्रिया की सीआईडी जांच कराने की मांग की गयी थी. सरकार ने इस प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया था. इसको लेकर राज्य सरकार में सुगबुगाहट के बाद स्थायी समिति की ओर से प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि इस टेंडर प्रक्रिया व एल एण्ड टी कंपनी की जांच कराएं. साथ ही इससे संबंधित सलाहकार पर उचित कार्रवाई करें. एक तरफ यह स्थिति है, तो दूसरी तरफ प्रक्रिया पर स्टे लगाने के कोई लिखित निर्देश मनपा को प्राप्त नहीं हुए थे. इस वजह से इस प्रक्रिया की कोई जांच नहीं हो रही थी. साथ ही कंपनी द्वारा टंकियों के जीओ सर्वे का काम जारी रखा गया था. अब हाल ही में महापालिका प्रशासन को इससे संबंधित लिखित निर्देश प्राप्त हो गए है. इसके अनुसार अब इस योजना पर स्टे लगा दिया गया है.
245 करोड़ की लागत
ज्ञात हो कि शहर का धीरे-धीरे विस्तार होता जा रहा है. उसी हिसाब में शहर के लिए पीने के पानी की मांग भी बढ़ती जा रही है. लेकिन मौजूदा समय में इन इलाकों को समान जलापूर्ति नहीं हो सकती. क्योंकि वितरण व्यवस्था सही तरीके से नहीं बनायी गयी है. इसकी वजह से नगरसेवकों को व मनपा प्रशासन को आलोचना का सामना करना पड़ता है. इसको लेकर मांग की जा रही थी कि शहर को 24 घंटे पानी दिया जाए. इसके अनुसार महापालिका प्रशासन ने 2818 करोड़ की समान जलापूर्ति परियोजना बनायी है. इसके तहत शहरवासियों को वॉटर मीटर देना, जितने पानी का इस्तेमाल होगा, उसका बिल लेना, सभी इलाकों में समान जलापूर्ति करना, उसके लिए शहर के विभिन्न पानी की टंकियां बनाना, जैसी कई योजनाएं इसमें मुहैया कराई गयी है. इसका पहला चरण पानी की टंकियां बनाने का है. इससे पहले भी इससे संबंधित टेंडर प्रक्रिया लागू की गयी थी. लेकिन नगरसेवकों का कई कंपनियों का विरोध होने की वजह से इस टेंडर को मंजूर नहीं किया गया था. प्रशासन की ओर से दूसरी बार इसकी टेंडर प्रक्रिया जारी की गई थी. इसके लिए तीन कंपनियां आगे आईं थी. इसमें से एल एण्ड टी कंपनी को काम देने का फैसला मनपा प्रशासन की ओर से किया गया है. इस योजना के तहत पानी की 103 टंकियां बनाई जानी है. उसमें से 82 टंकियां नई जगह पर बनाई जानी हैं. इस पर ज्यादा लागत आएगी. इससे करीब 245 करोड़ का यह प्रस्ताव है.
विधिमंडल में उठी थी आवाज
लेकिन इस टेंडर प्रक्रिया को लेकर विधान परिषद के विधायक अनिल भोसले व अनंत गाडगील ने विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में आवाज उठायी थी. इन लोगों द्वारा इस प्रक्रिया की सीआईडी जांच कराने की मांग की गयी थी. इन आरोपों के बाद राज्यमंत्री रणजीत पाटिल ने यह प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए थे. साथ ही इसकी उचित जांच कराने की मांग की थी. इसके बाद अब समान जलापूर्ति योजना पर रोक लग गयी है. राज्य सरकार द्वारा इस तरह के निर्देश देने के बाद अब स्थायी समिति के सदस्यों ने भी इसको लेकर हाल ही में हुई सभा में आवाज उठायी थी. स्थायी समिति की ओर से प्रशासन को निर्देश दिए है कि इस टेंडर प्रक्रिया व एल एण्ड टी कंपनी की जांच करें. लेकिन प्रशासन के सूत्रों के अनुसार इस प्रक्रिया को स्टे लगाने के कोई लिखित निर्देश राज्य सरकार ने मनपा को नहीं मिले थे. इस वजह से इस प्रक्रिया की कोई जांच नहीं हो रही थी. उल्लेखनीय है कि कंपनी ने भी अपने जीओ सर्वे का काम वैसे ही जारी रखा था. इसको लेकर जब जलापूर्ति विभाग के प्रमुख वी. जी. कुलकर्णी से पूछा तो उन्होंने कहा कि मनपा को ऐसे कोई लिखित निर्देश नहीं मिले थे, इस वजह से काम जारी था. लेकिन अब हाल ही में सरकार ने हमें इस पर स्टे लगाने के निर्देश दिए है. इसके अनुसार यह काम रोक दिया गया है.