पुणे (तेज समाचार डेस्क). उपमहापौर नवनाथ कांबले(48) अब इस दुनिया में नहीं रहे. मंगलवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. हार्ट एटैक की वजह से उनका निधन हो गया. उनके मौत की खबर से पूरा पुणे शहर शोक में डूब गया. उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आम लोगों व नेताओं का तांता लग गया. कोरेगांव पार्क स्थित श्मशानभूमि में मंगलवार शाम को उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके परिवार में पत्नी, बेटा व बेटी हैं.
– अंतिम संस्कार के लिए उमड़ी भीड़
उपमहापौर नवनाथ कांबले मंगलवार सुबह 8 बजे रेसकोर्स मैदान पर मॉर्निंग वॉक के लिए जा रहे थे, उसी समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा. तत्काल उन्हें रूबी हॉल अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके निधन की खबर जैसे ही पूरे शहर में फैली, आरपीआई के कार्यकर्ताओं के साथ ही आंबेडकरी मूवमेंट के सभी कार्यकर्ता, विभिन्न पार्टियों के राजनेता, रूबी हॉल पहुंच गए. इस वजह से पुलिस का बंदोबस्त करना पड़ा. महापौर मुक्ता तिलक, राज्यमंत्री दिलीप कांबले, सभागृह नेता श्रीनाथ भिमाले, मनसे गुटनेता वसंत मोरे, नगरसेवक सिद्धार्थ धेंडे, आरपीआई शहराध्यक्ष महेंद्र कांबले, परशुराम वाडेकर, अस्पताल पहुंचे. उनका पार्थिव अंतिम दर्शन के लिए घोरपड़ी स्थित उनके निवासस्थान पर रखा गया. आरपीआई राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास आठवले ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. शहर के विभिन्न राजनेता भी उपस्थित थे. उनके अंतिम संस्कार में भारी भीड़ उमड़ी थी. मंगलवार शाम कोरेगांव पार्क स्थित शमशानभूमि में उनका अंतिम संस्कार किया गया.
– आंबेडकरी मूवमेंट का पैंथर चला गया
नवनाथ विट्ठल कांबले का जन्म ५ मार्च १९६९ को हुआ था. वाडिया कॉलेज से उन्होंने बीए की डिग्री ली. दलित पैंथर संगठन से लेकर सामाजिक कार्यों में वे काफी सक्रिय थे. छात्र संगठन में भी उनका सहभाग था. डा. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठ नामांतर मूवमेंटम में उन्होंने रामदास आठवले के नेतृत्त्व में पुणे से मुंबई तक लांग मार्च निकाला था. आंदोलन के सहभाग को लेकर उन्होंने ठाणे में कारावास भी भुगता था. उसके बाद भारतीय दलित पैंथर पुणे शहर का महासचिव उन्हें बनाया गया था. १९९० से ९६ तक उन्हेोंने शहराध्यक्ष का पद संभाला. 1997 में कांबले नगरसेवक चुने गए. इस कार्यकाल में उन्होंने स्थायी समिति अध्यक्ष, शहर सुधार समिति अध्यक्ष, जैसे पद संभाले. हाल ही में जो मनपा चुनाव हुआ था, उसमें कांबले कोरेगांव पार्क निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की थी. पुणे में पहली बार भाजपा को सत्ता मिलने के बाद उपमहापौर बनने का सम्मान कांबले को मिला था. उनके निधन से आंबेडकरी मूवमेंट का सच्चा पैंथर चला गया. ऐसी भावनाएं व्यक्त की जा रही है.