पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि) शहर के ऐसे लोग जिनकी माली हालात खराब है और वे मुश्किल बीमारियों का इलाज खुद नहीं करा सकते, ऐसे लोगों के लिए महापालिका प्रशासन की ओर से शहरी-गरीब स्वास्थ्य सहायता योजना शुरू की गयी है. इस योजना को लोगों का खासा प्रतिसाद मिल रहा है. वर्ष 2016-17 में इस योजना का लाभ शहर के 10 हजार 269 लोगों ने उठाया है. इसके लिए कुल 40 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.
-वर्ष 2010 से शुरू है योजना
ज्ञात हो कि कैंसर, डायबिटीज जैसी घातक बीमारियों के इलाज काफी महंगे होते हैं, जो शहर के गरीबों के बस की बात नहीं होती. जिसके कारण गरीब मरीजों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है. इसको ध्यान में रखते हुए मनपा की ओर से अप्रैल 2010 से शहरी-गरीबों के स्वास्थ्य के लिए योजना शुरू की गयी थी. पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष निलेश निकम ने यह योजना शुरू करने में अग्रणी भूमिका ली थी. इस योजना के तहत जिन लोगों की वार्षिक आय 1 लाख से कम होगी, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाता है. योजना के तहत 1 लाख तक की आर्थिक सहायता महापालिका स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जाती है. इससे मरीज उपचार व दवा खरीद सकते हैं. महापालिका की ओर से घातक बीमारियों का इलाज करने के लिए शहर के निजी अस्पतालों के साथ भी करार किया गया है. इसके अनुसार निजी अस्पतालों में फ्री बेड्स रखे जाते हैं. एम्स अस्पताल में भी इसके लिए 10 फ्री बेड्स रखे गए हैं. इस योजना के लिए बजट में हर साल 20 करोड़ से अधिक तक का प्रावधान किया जाता है.
– मनपा को 40 करोड़ का खर्च
योजना शुरू होने के बाद से ही इस योजना को लोगों का खासा प्रतिसाद मिल रहा है. वर्ष 2014-15 में इस योजना का करीब 8 हजार से अधिक लोगों ने लाभ उठाया था. इसके लिए प्रशासन को 13 करोड़ 80 लाख की लागत आयी थी. तो वर्ष 2016-17 में इस योजना का करीब 10 हजार 269 लोगों ने लाभ उठाया है. इस योजना के तहत 107 कैंसर के मरीजों को ठीक किया गया है, तो 231 केसेस डायलिसिस के थे. प्रशासन की ओर से जनजागृति करने की वजह से लोगों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही है. योजना जब शुरू हुई थी, तब 616 लोगों ने इसका लाभ उठाया था. अब यह तादाद बढ़ गयी है. साथ ही इस पर होनेवाला खर्चा भी बढ़ रहा है. यह खर्चा 9 करोड़ से बढ़कर अब 40 करोड़ तक जा पहुंचा है.