मुंबई (तेज समाचार डेस्क). एक दूसरे के प्रति प्रेम, एक दूसरे के गिले-शिकवे दूर कर आपस में गले मिलने का, बुराई पर अच्छाई का प्रतीक, रंग बिरंगे रंगों का पवित्र त्योहार होली आज पूरे देश में हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया. चारों तरफ उड़ते गुलाल से देश का आसमान गुलाबी हो गया था. क्या महाराष्ट्र, क्या बिहार, क्या उत्तर प्रदेश, क्या मध्यप्रदेश, क्या पंजाब, क्या हरीयाणा, पूरा देश ही रंगों से सराबोर हो गया. फागुन की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्योहार पर अधिकतर राज्यों के हर शहर, नुक्कड़ और गली में ‘बुरा न मानो होली है’ की गूंज सुनाई देती रही.
सभी लोग टोलियां बनाकर सड़कों पर रंग लेकर एक दूसरे को रंगते नजर आते हैं. इसके साथ ही ढोल की धुनों और तेज संगीत पर नाचते लोग अपने तरीके से ही होली का जश्न मनाते नजर आए.
होली पर क्या बच्चे और जवान सभी एक ही रंग में नजर आ रहे थे. भाईचारे के प्रतीक होली पर गिले-शिकवे भूलाकर लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर अपनी खुशी का इजहार किया. भारतीय संस्कृति की विरासत में त्योहारों और उत्सवों का हमेशा से ही काफी महत्व रहा है. भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है कि देश में मनाया जाना हर त्योहार समाज में मानवीय और सद्गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता और सद्भावना को बढ़ाता है.
– ब्रज की लट्ठमार होली
देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह से होली मनाई जाती है. बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो यहां ब्रज की बरसाने की ‘लट्ठमार होली’ विश्व प्रसिद्ध है. होली खेलने के लिए यहां लोग रंगों के बजाए लाठियों का प्रयोग करते हैं महिलाएं पुरुषों को लठ्ठ मारती है और पुरुष खुद को बचाने के लिए ढालों की आड़ लेते हैं. ब्रज मंडल में करीब डेढ़ महीने तक लट्ठमार होली का कार्यक्रम चलता है. ब्रज मंडल में नंदगांव, बरसाना, मथुरा, गोकुल, लोहबन तथा बलदेव की होली विशेष रूप से देश विदेश में प्रसिद्ध है.
वहीं बिहार के कुछ स्थानों पर होली को रात में जलाने की परंपरा है. लोग होलिका दहन के समय लकड़ियों से बनाई गई होली के आस पास इकठ्ठा होते हैं और उसमें आग लगाकर गेहूं व चने की बालें भूनकर खाते हैं. कुछ जगहों पर युवक अपने-अपने गांव की सीमा के बाहर मशाल जलाकर रास्ता रोशन करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से वे अपने गांव से दुर्भाग्य और संकटों को दूर भगाते हैं.
– पश्चिम बंगाल में भी मनी होली
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में होली को ‘डोलीजागा’ नाम से मनाया जाता है और यह कार्यक्रम तीन दिन तक चलता है. प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों के समीप कागज, कपड़े और बांस से मनुष्य की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और शाम के वक्त प्रतिमाओं के समक्ष वैदिक रीति से यज्ञ किए जाते हैं और बाद में प्रतिमाएं जला दी जाती हैं. उसके बाद लोग यज्ञ कुंड की सात बार परिक्रमा करते हैं. ठीक इसके अगले दिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को एक झूले पर सजाया जाता है. इस दौरान वहां मौजूद लोग भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर रंग उड़ाते हैं. इसके बाद दिनभर लोग रंगों से आपस में होली खेलते हैं. इसके साथ ही उत्तर भारत के पंजाब और हरियाणा में भी होली को खूब धूमधाम से मनाया गया. लोग रंग और गुलाल से होली खेलकर एक-दूसरे से गले मिले.
– फिल्म जगत ने नहीं मनाई होली
गत शनिवार को पद्मश्री श्रीदेवी की दुबई में मौत के कारण पूरे फिल्म जगत में गम का माहौल है. श्रीदेवी की ख्याती और उनके प्रति चाहत इस बात से ही लगाई जा सकती है कि उनके अंतिम संस्कार में फिल्म जगह के लगभग सभी लोगों ने शिरकत की. यहां तक कि दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के लोग भी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए मुंबई आए थे. इस बार की होली फीकी रहा क्योंकि वेटरन एक्ट्रेस श्रीदेवी की आकस्मिक मौत ने सभी फिल्मी सितारों को झकझोर दिया. फिर भी खबर मिली है कि कुछ एक्ट्रेर-एक्ट्रेस ने होली खेली है.