चौरी चौरा. वैसे तो भारतीय मुद्रा को स्वीकार करना कानूनन अपराध है, लेकिन आए दिन ऐसे अपराध होते रहते है, जिसकी कोई दखल नहीं लेता. लेकिन कभी कभी ऐसी घटनाओं से आम नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. विशेष बात यह है कि जब ऐसी घटनाओं को बैंक के लोग ही अंजाम दे तो लोगों के लिए काफी मुसीबत हो जाती है. ऐसा ही एक वाकया कुंदनमार्केट स्थित पंजाब नेशनल बैंक में हुआ, जहां उच्च अधिकारियों के फरमान को भी अनदेखा करते हुए व्यापारी खातों में सिक्के जमा करने से मना कर दिया. हद तो तब हो गई जब मैनेजर ने जमा पर्ची पर लिखकर दे दिया कि सिक्के नहीं जमा होंगे. इसकी शिकायत व्यापारी ने जिलाधिकारी गोरखपुर को लिखित रूप पर किया है
चौरीचौरा के रहने वाले व्यापारी ओम प्रकाश गुप्ता अपने व्यापारिक खाते में पैसा जमा करने के लिए शुक्रवार 6 अक्टूबर को गए हुए थे. उन पैसों में ₹10 व ₹5 के ₹15000 के सिक्के थे. कैश पर बैठे कर्मचारी ने बताया कि अब सिक्का बिना मैनेजर के परमिशन के नहीं जमा होगा. इसके बाद ओम प्रकाश गुप्ता ने बैंक मैनेजर मैदानी पाल सिंह से जाकर कहा इन पैसों को जमा करा दें लेकिन मैनेजर साहब ने जमा करने के बजाय फरमान जारी करते हुए यह कह दिया कि आरबीआई की गाइडलाइन आ गई है ₹1000 से अधिक का सिक्का व्यापारी खातों में नहीं जमा किया जाएगा उन्होंने जमा पर्ची पर ही लिखकर दे दिया कि यह सिक्के बैंक नहीं जमा होंगे. हताश व्यापारी ने जिलाधिकारी गोरखपुर को एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें यह कहा गया है कि चौरीचौरा स्थित पंजाब नेशनल बैंक की मनमानी बंद कराई जाए और हमारा सिक्का बैंक में जमा कराया जाए और दोषियों पर कार्यवाही किया जाए. नोटबंदी के बाद से पूरा बाजार सिक्कों से पटा पड़ा है. व्यापारियों ने बताया कि नोटबंदी के पहले सिक्के की इतनी समस्या नहीं थी, जबकि नोटबंदी के बाद बैंकों द्वारा ही पैसा ना होने के कारण लोगों में जबरजस्त सिक्कों का वितरण किया गया, जिससे आज हालत ऐसी हो गई है कि व्यापारी सिक्कों के कारण हालत बद से बदतर हो गई है. जबकि बैंकों की मनमानी जिस कि तस है. अब देखना है कि व्यापारी के लिखित प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही कब होती है.