नई दिल्ली ( तेजसमाचार संवाददाता ) – श्री श्री रविशंकर की ओर से पिछले साल यमुना के तट पर आयोजित तीन दिन के ‘विश्व संस्कृति उत्सव’ की वजह से यमुना के जल भराव वाले इलाके को भारी नुकसान पहुंचा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की ओर से इस मामले में गठित की गई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सांस्कृृतिक महोत्सव के कारण बर्बाद हुए यमुना के डूब क्षेत्र के पुनर्वास में 42.02 करोड़ रुपए का खर्च आएगा और दस साल का समय लगेगा। समिति ने सुझाया है कि पुनर्वास योजना के दो भाग हैं-भौतिक और जैविक। वही आर्ट ऑफ लिविंग पर यमुना को प्रदूषित करने के आरोप लगाने पर संगठन का कहना है कि यह आरोप बिलकुल गलत है। संगठन के अनुसार यह रिपोर्ट बिना सबूत के है और वे इसे खारिज कराने के लिए आगे की कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। श्री श्री रवि शंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े एक सदस्य केदार देसाई ने इस मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि एनजीटी की कमेटी की रिपोर्ट वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और इसके विषय में पर्याप्त वैज्ञानिक आधार नहीं है कि उनके कार्यक्रम के दौरान किसी भी तरह की अनियमितता बरती गयी। उन्होंने कहा कि वे एनजीटी के मुख्य न्यायविद से ये अपील करेंगे कि वे इस समिति की रिपोर्ट पर कोई संज्ञान न लें। देसाई ने बताया कि जब एक पक्षकार होने के बावजूद रिपोर्ट उनके पास भी नहीं पहुंची और उसके पहले ही मीडिया में चली गयी, इसी से यह साबित होता है कि इस मामले में कुछ लोगों की मंशा उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि आर्ट ऑफ़ लिविंग एक जिम्मेदार संस्था है और इसका पर्यावरण के लिए काम करने का लम्बा रिकॉर्ड रहा है। लेकिन अफसोसजनक बात है कि आज हमारे ऊपर पर्यावरण को ही प्रदूषित करने का आरोप लगाया जा रहा है। एनजीटी के की ओर से गठित की गयी समिति ने अपने रिपोर्ट में आर्ट ऑफ़ लिविंग के कार्यक्रम से यमुना क्षेत्र में नुकसान होने की बात कही है। समिति के अनुसार इस नुकसान की भरपाई के लिए तेरह करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि खर्च होगी।
अभी तक यमुना की सफाई के लिए काम का ब्यौरा
1. 20 वर्षों में लगभग 1514.42 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं यमुन की सफाई पर
2. इस योजना के तीसरे चरण में 1656 करोड़ रुपए की संशोधित लागत के साथ मंजूरी दी गई है, जिसे दिल्ली जल बोर्ड द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
3. 1993 में की गई थी यमुना एक्शन प्लान की शुरुआत
4. 2000 में होना था प्लान के मुताबिक काम खत्म
5. 2003 तक इस प्लान का काम किया गया पूरा यमुना नहीं हुई साफ
6. 165 करोड़ रुपए खर्च किए इस दौरान
7. 2004 में हुई यमुना एक्शन के दूसरे प्लान की शुरुआत
8. 450 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए प्रोजेक्ट पर
9. 700 करोड़ रुपए से खर्च किए जा चुके हैं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर