• ABOUT US
  • DISCLAIMER
  • PRIVACY POLICY
  • TERMS & CONDITION
  • CONTACT US
  • ADVERTISE WITH US
  • तेज़ समाचार मराठी
Tezsamachar
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
Tezsamachar
No Result
View All Result

योग साधना से मिलेगी विश्व को शांति

Tez Samachar by Tez Samachar
November 30, 2017
in Featured, पुणे, प्रदेश
0
योग साधना से मिलेगी विश्व को शांति

पुणे. विश्‍व शांति स्थापित करना है तो योग और आत्मज्ञान से प्रेरित होना जरूरी है. अध्यात्म तथा विज्ञान के समन्वय से निर्माण होनेवाले ज्ञान-विज्ञान यह विश्‍व शांति के लिए सर्वाधिक प्रेरक रहेगा. भारतीय परंपराओं में योग का पहिला प्रयोग ऋग्वेद में दिखाई देता है. इसके बाद मानव परिवर्तन की प्रकिया अविरत चलती आ रही है. यह राय इनकम टैक्स विभाग के मुख्य उच्चायुक्त डॉ. ए.सी. शुक्ला ने यहां व्यक्त की.
विश्‍व शांति केन्द्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी तथा संत श्री ज्ञानेश्‍वर-संत श्री तुकाराम महाराज स्मृति व्याख्यानमाला न्यास के संयुक्त तत्वावधान में यूनोस्को अध्यासन अंतर्गत आयोजित 22वें व्याख्यानमाला के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने कहा, विश्‍व शांति के मुद्दे को लेकर सोचने पर समझ में आता है कि मन अशांत रहना, हमारा विश्‍व और पर्यावरण से क्या संबध है, सृष्टी में मौजूद ऊर्जा का सही इस्तेमाल नहीं करना एवं मनुष्य में बढ़ती स्वार्थी वृत्ति से अशांति तेजी से फैलती जा रही है. योग और समाधि का स्वरूप अध्यात्म है. जिसके माध्यम से हम विश्‍व में परिवर्तन ला सकते है. भारतीय परंपरा ने तपस्या और ध्यान ये दो बातें दी है. धर्म जीवन में वैराग्य पैदा कर भगवान से जोड़ता है. जिससे आत्मशांति मिलती है और इसी से विश्‍व शांति निर्माण होगी.
– विश्व को ज्ञान बांटनेवाला देश है भारत : डॉ. कपील कपूर
वर्धा स्थित महात्मा गांधी हिन्दी विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. कपील कपुर ने कहा, यह देश शुरूआत से ज्ञान देनेवाला है. भारत ने सारे विश्‍व को अध्यात्म दिया है. वर्तमान में जो सभ्यता है वह पेट भरने की है. विज्ञान में जीतनी बाते होती है वह केवल सुख तथा सुविधाओं पर जोर देनेवाली है. इसलिए मानव शांति से दूर होता हुआ दिखाई देता है. महाभारत के युद्ध के बाद लोगों का वैदिक ज्ञान से भरोस उठ गया था. इसके बाद भगवान गौतम बुद्ध ने कर्म का सिद्धांत रखा. वहीं भागवत धर्म में संत ज्ञानेश्‍वर ने केवल कर्म सिद्धांत नही बल्कि भक्ति परंपरा की शुरूआत कर आत्मशांति का संदेश दिया है. विज्ञान इंद्रियजन्य और ज्ञान आंतरिक है.
कार्यक्रम के अध्यक्ष नालंदा विश्‍वविद्यालय के कुलपति पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर ने कहा, देश में तक्षशिला, नालंदा और काशी विश्‍वविद्यालय यह विश्‍व ज्ञान के भंडार थे. 21वीं सदीं में भारत को विश्‍वगुरु बनना है, तो हमें उपरोक्त विश्‍वविद्यालय के केन्द्रों का निर्माण करना होगा. यहां पर अध्यापन शिक्षा की परिभाषा को बदलना होगा. जिसमें भाषा यह मुख्य स्रोत होगा. इससे ही विश्‍वशांति स्थापित होगी.
– ज्ञात का केन्द्र बन कर उभरेगा भारत : डॉ. कराड
विश्‍वशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे के संस्थापक-अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, सन 1897 में स्वामी विवेकांनद के कहे अनुसार भारत 21वीं सदीं में ज्ञान का केन्द्र बनकर उभरेगा. आज की स्थिति को देखते हुए हमें उचित दिशा में प्रयास करने पर ऐसा निश्‍चित ही होगा.
इस मौके पर एमआइटी स्कूल ऑफ टेलिकॉम के प्रकल्प संचालक प्रा. डॉ. मिलिंद पांडे, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलसचिव डी.पी. आपटे तथा एमआईटी के प्राचार्य डॉ. एल.के. क्षीरसागर उपस्थित थे.

Tags: आलंदीएमआईटी माईर्सकाशी विश्‍वविद्यालयडॉ. ए.सी. शुक्लाडॉ. विजय भटकरडॉ. विश्वनाथ कराडमहात्मा गांधी हिन्दी विश्‍वविद्यालययोग साधना से विश्‍व में शांति संभवस्वामी विवेकानंद
Previous Post

केन्द्र की हज नीतियों का विरोध

Next Post

मनसे को कभी वोट नहीं करुंगा : नाना पाटेकर

Next Post
मनसे को कभी वोट नहीं करुंगा : नाना पाटेकर

मनसे को कभी वोट नहीं करुंगा : नाना पाटेकर

  • Disclaimer
  • Privacy
  • Advertisement
  • Contact Us

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.