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राजनीति सदैव जनता के हित में ही होनी चाहिए : पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल

Tez Samachar by Tez Samachar
January 22, 2018
in Featured, प्रदेश
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राजनीति सदैव जनता के हित में ही होनी चाहिए : पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल
८वें भारतीय छात्र संसद में नवीन पटनायक आदर्श मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित 
पुणे. राजनीति केवल चुनाव लडकर सत्ता पर आने के लिए नहीं होती है. बल्कि जनता के हितों के साथ उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए होती हैै. इसलिए युवा पीढियों को राजनीति में कदम रखते हुए जनहित के लिए कार्य करने की सलाह पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल ने दी.
 एमआइटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी तथा भारतीय छात्र संसद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में कोथरूड के एमआइटी कैम्पस में आयोजित आठवे भारतीय छात्र संसद  के समापन मौके पर वे बोल रही थी.
इस मौके पर उडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को आदर्श मुख्यमंत्री पुरस्कार से नवाजा गया. पुरस्कार के रूप में उन्हें सम्मानपत्र और स्मृतिचिन्ह तथा नगद एक लाख रूपए प्रदान किए गए.
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में सांसद पद्मविभूषण डॉ. मुरली मनोहर जोशी, वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघूनाथ माशेलकर, युनेस्को चेयरपर्सन तथा एमआइटी विश्‍वशांति विश्‍वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विश्‍वनाथ कराड, भारतीर छात्र संसद के संस्थापक तथा निमंत्रक प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड, प्रा. एमआइटी एडीटी यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष  डॉ. मंगेश तु. कराड, प्रा.,शरदचंद्र दराडे पाटिल, कुलसचिव प्रा.डी.पी. आपटे, आर.एम. चिटणीस, डॉ.एल.के. क्षीरसागर, डॉ. शैलश्री हरिदास आदि उपस्थित थे.
प्रतिभा पाटिल ने कहा, जनता के मुख्यमंत्री होने से नवीन पटनायक ने जनहितों के कार्यों के लिए प्राथमिकता दी है. जनता की समस्याओं को अग्रणी रखते हुए उनकी समस्याओं को सुलझाने पर उन्होंने प्राथमिकता दी. राजनीति में विपरित घटनाएं घटती है लेकिन इसका मतलब यह नही है कि वह क्षेत्र बूरा है. जिस दिन अच्छे लोग राजनीति में कदम रखेगे उस दिन जनतंत्र अधिक सक्षम होगा.
देश में मजदूरों की तादात बडी है. सालों से कार्य करने के बावजूद उनकी दरिद्रता कम होती हुई नजर नही आ रही है. उनके लिए धोरणात्मक कार्य की आवश्यता है. मुख्यमंत्री पटनायक ने किए हुए रचनात्मक कार्यों का आदर्श लेते हुए युवाओं को राजनीति में कुदना है. ऐसे मजदूर, गरीब लोगों की समस्याओं को सुलझाकर उन्हें खूशनुमा जीवन जिने का अवसर प्रदान करनाही हमारी जिम्मेदारी है.
अस्पृशता, बूरी आदते, भ्रष्टाचार आदि बातों से दूर रहते हुए युवाओं को गरीबी, अस्वच्छता और कुपोषण हटाने के लिए आगे आना है. युवाओं को एक अच्छा राजनेता बनने के लिए इमानदारी, कडी मेहनत और लगन जैसे गुणों की आवश्यता है.
नवीन पटनायक ने कहा, नैनो टेक्नोलॉजी से लोगों के जीवन में परिवर्तन आ रहा है. जिसके लिए  उचित नियोजन और अच्छी सुविधाओं की आवश्यकता है. लोकतंत्र का आधारस्तंभ गूड गवर्नस और निःस्वार्थ जनसेवा है. समाजिक जीवन में परिवर्तन लाने का महत्वपूर्ण जरिया राजनीति है. राजनीति कठिण नहीं केवल नागरिक को प्राथमिक दर्जा देते हुए उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करना हैे. जनता पर प्रेम करने से  वह आप पर विश्‍वास जताएंगे. सत्ता में आने के बाद लोगों को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, और मूलभूत सुविधा देने पर जोर देना है.
 पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.मुरली मनोहर जोशी ने कहा, युवाओं का यह देश दौडते हुए विश्‍व में भारत की ख्याती दिखाएगा. यहां के युवाओं में कूट-कूट कर प्रतिभा भरी है. देश के युवाओं में प्रतिभा जैसी बडी अनमोल चीज है. यह प्रतिभा जब प्रगट होगी तब देश में परिवर्तन की लहर दौडेगी. भारत में ऐसी विभूतियां है जो विश्‍व के लिए काम करने का विचार रखते है. इस देश को वैचारिक विचारों के आंदोलन की आवश्यकता है. इसी से देश को मूर्त रूप मिलेगा.
प्र्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा जनहित के कार्य हो. किसी भी राज्य में भूख, बेरोजगार और अशिक्षित नही रहना चाहिए. इस देश में यह सरकार सामाजिक कल्याण की स्कीम चलाकर लोगों की आशा को पूर्ण कर रही है. जिस दिन जनतंत्र की भावना बाहर से नहीं बल्कि अंदर से आएगी तब देश उन्नती की दिशा में कदम बढाएगा. देश के युवाओं को वसूधैव कुटुम्बकम, एक सूत्र तथा एकता और अखंडता को कायम रखते हुए कार्य करना है.
डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा, भारत भूमि अवसरों के रूप में सामने आ रही है. गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के अधिकारी भारतीय है. अब युवाओं को यह सोचना है कि यह कंपनियां एक दिन भारत की क्यों नही होगी. हर क्षेत्र में आगे बढते हुए असफलता आती है. इसका मतलब यह नही है हम इस कार्य को अंजाम दे नहीं सकेंगे. क्यो कि असफलता ही सफलता की पहली सिढी है.
 प्रा.डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, भगवान गौतम बुद्ध, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद के पहचान भारत को है. इसी विचारों से प्रेरित भारत की ओर संपूर्ण विश्‍व की नजरे गढी है. २१वीं सदीं भारत की होने की बात स्वामी विवेकानंद ने कही. आज की युवा शक्ति के माध्यम से जो कार्य हो रहा है उसे देखते हुए विवेकांनद ने कही बात साकार होते हुए दिखाई दे रहा है. अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से देश में कार्य करना होगा.
प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड ने कहा, राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए. उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय छात्र संसद जैसा मंच उपलब्ध कराया गया है. राजनीति में सुधार लाने का यह एक अनोखा आंदोलन है. जिसे संपूर्ण देश में बडे पैमाने पर फैलाना है. जिसके लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने इस छात्र संसद को राष्ट्रीय युवा महोत्सव का दर्जा दे. अलग अलग राज्यों की राजधानी में ऐसे संसद का आयोजन करते हुए जनतंत्र में सुधार लाने के लिए आगे आना होगा.
प्रा. गौतम बापट तथा निलम शर्मा ने सूत्रसंचालन किया. प्रा.डी.पी. आपटे ने आभार माना.
Tags: Dr. Mangesh karadDr. Raghunath MashelkarMITNavin patnayakPratibha PatilRahul KaradVishwanath karad
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