नई दिल्ली ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ) – रविवार शाम संसद भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को विदाई दी गई । आज सोमवार को प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल का अंतिम दिन है ।
संसद भवन में आयोजित विदाई समारोह में दिए गए अपने अंतिम भाषण में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा का मुरीद बताया और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपना मेंटर बताया। उन्होंने विपक्ष के साथ-साथ सरकार को भी सचेत करते हुए संसदीय कार्यवाही में व्यवधान पर चिंता जताई । संसद में चर्चा के गिरते स्तर, बहिष्कार, व्यवधान को देशवासियों के साथ अन्याय बताते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने चर्चा के लिए लगातार कम होते समय पर गहरी चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान देश की गरिमा, 1.30 अरब लोगों की आत्मा और लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर संसद लोगों की अपेक्षाओं का प्रतीक है। संसद के जरिए सामाजिक, आर्थिक बदलावों की रूपरेखा बनाई जा सकती है। अब से पहले संसद में बेहद गंभीर चर्चा होती थी। संसद उत्कृष्ट वक्ताओं से भरा था। अब व्यवधान, बहिष्कार से सदन का नुकसान हो रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में चर्चा का समय घट रहा है। बिना चर्चा के बिलों का पास होना और नई नीति बनाना संसद की गरिमा के लिए अच्छी बात नहीं है। यह सवा अरब लोगों की अपेक्षाओं के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा न होने से विपक्ष का सबसे अधिक नुकसान होता है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश की आवश्यकता का भी जिक्र करते हुए कहा कि अध्यादेश के मार्ग का उपयोग महज विशेष या आपात स्थिति में ही किया जाना चाहिए। मौद्रिक या आर्थिक मुद्दों पर तो इसका कतई सहारा नहीं लिया जाना चाहिए। देश का संविधान हमें अध्यादेश लाने का अधिकार देता है, मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस मार्ग का उपयोग विशेष परिस्थिति में ही किया जाए। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने को राष्ट्रपति ने विविधता में एकता का प्रतीक बताया। कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह गरीबों की दशा सुधारने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
विदाई समारोह में अपने भाषण के दौरान मुखर्जी कई बार भावुक हुए। उन्होंने कहा कि मैं 34 साल के उम्र में राज्यसभा पहुंचा था। 22 जुलाई 1969 को पहली बैठक में हिस्सा लिया था। मुझे संसद ने एक व्यक्ति के रूप में निर्मित किया और लोकतंत्र के सबसे बड़े इस मंदिर में मेरी रचना हुई। संसद में 37 साल का सफर 13वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के बाद खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि अब मैं संसद का हिस्सा नहीं रहूंगा। यादों का इंद्रधनुष ले कर बेहद खुशी के साथ आपसे विदा ले रहा हूं।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस दौरान प्रधानमंत्री की ऊर्जा और उनके साथ बिताए पल को याद किया। उन्होंने कहा कि वह पीएम मोदी की ऊर्जा का मुरीद हूं। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को अपना मेंटर बताते हुए उन्होंने आपातकाल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा बेहद निडर महिला थी। आपातकाल खत्म होने केबाद जब उनके साथ पहली बार लंदन गया तो पत्रकारों ने इंदिरा से पूछा आपको आपातकाल लागू करने से क्या मिला? पलटते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान हमने 21 महीने में देश के सभी तबकों को एक साथ किया। इसके बाद हीथ्रो एयरपोर्ट केलाउंज में सन्नाटा छा गया।
संसद के पुराने दौर को याद करते हुए जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भूपेश गुप्ता, मधु लिमये, अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया। उन्होंने कहा कि इन शानदार वक्ताओं से उन्होंने बहुत कुछ सीखा। उन्होंने कहा तब स्वतंत्रता सेनानियों से सदन भरा हुआ था अब सोनिया-आडवाणी जैसे सुलझे लोग इस सदन का हिस्सा हैं।