अपने बच्चों को कान्वेंट स्कूल में पढ़ाने की झूठी आन-बान-शान के चक्कर में पिस रहे है लाचार अभिभावक
अकोला(अवेस सिद्दीकी):शहर मे जुन के महीने मे शिक्षा संस्था संचालको द्वारा पालको का शोषण जारी हो जाता है
शहर में हर वर्ष लाखों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। उसमेें अभिभावकों की लापरवाही या फिर स्कूल संचालकों की मनमाने तरीके से अधिक फीस होने के कारण अभिभावकों की मजबूरी भी हो सकती है। क्योंकि निजी स्कूल संचालक तो खुद ही अपने नियम बनाकर शिक्षा के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं।
निजी स्कूल संचालक बुकसेलरों से बिकने वाले स्कूल कोर्सों पर लेते हैं 50-60 प्रतिशित तक कमीशन, हर साल बच्चो के कोर्स की किताब कमीशन के चक्कर में मामूली फेरबदल के साथ आती है, लगभग हर साल ड्रेस और जूता भी निजी स्कूल बदल देता है,सूत्रो की माने तो निजी शालाओ एवं बुक्स सेलरो की संठगांठ से दुग्नि किमतो मे पालको को बुक्स बेचे जाते है,पालको को यह निर्देश दिए जाते है की इसी दुकान से बुक्स खरीदे और साथ ही स्कुल संचालको का इस बुक्स,ड्रेस,शूज आदी मे दुकान दार से कमिशन फिक्स होता है रीएडमिशन फीस, डेवलपमेंट फीस और पता नहीं कितने तरीको की फीस के नाम पर अभिभावकों का जमकर दोहन होता है और इस कमरतोड़ मंहगाई में अपने बच्चों को नामी गिरामी स्कूलों में पढ़ाने की होड़ का निजी स्कूल जमकर फायदा उठा रहे है
सरकारी स्कूलों के ढुलमुल रवैये और गैर सरकारी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के कारण सैकड़ों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित है। जहाॅ एक तरफ प्राईवेट स्कूल संचालकों की मनमानी व फीस के नाम पर अवैध वसूली से अभिभावक त्रस्त हैं तो वहीं सरकारी विद्यालयों के अध्यापक/अध्यापिकायें स्कलू में समय से पहॅचकर बच्चों केा शिक्षा देने के बजाय अपनी-अपनी आस्तीनें चढ़ाकर सरकारी कार्यालयों पर नेतागीरी कर रहे हैं तो कुछेक स्कूल में हाजिरी लगाने के बाद रफू चक्कर हो जाते है।कुछ सरकारी शालाओ की तो ईश्वर दया करे जैसे हालात है निरंकुश निजी स्कूल संचालकों ने अपने स्वयं के नियम बनाकर विद्यालयों केा शिक्षा की दुकान बनाकर अवैध वसूली करना शुरू कर दिया है। ये निजी संचालक अभिभावकों से स्कूल में हर तरह की सुविधाओं का वादा करके उनकी जेब को हल्का कर रहे हैं। सभी निजी स्कूलों द्वारा अपने स्कूल के कोर्स भी एक निश्चित बुकसेलर पर ही बिकवाये जाते हैं और उस कोर्स पर 50 से 60 प्रतिशित तक कमीशन खुद ही लिए जाने की चर्चाए आम है ऐसे माहौल में गरीब तबके का अभिभावक अपने बच्चों केा उचित शिक्षा कैसे दिलाये।
यही कारण हैं कि हर चाय की दुकान से लेकर ढाबा एवं किराना आदि की दुकानों पर छोटू या पप्पू मिल जायेगा। उनके लिए कहाॅ गया वो शिक्षा का हक , सिवाय कागजों में दफन होने के।
शासकीय शालाओ के शिक्षा के स्तर को बढाने हेतू जिला प्रशासन ने आगे आना चाहीए पूर्व मे भी हमारी ओर से बिते साल ही जिला प्रशासन को निजी शालाओ द्वारा अवैध वसुली के संदर्भ ।ए अवगत कराया गया था किंतु अब तक इस संदर्भ मे कोई ठोस कदम नही उठाए गए। आए दिन संचालको द्वारा अवैध रूप से वसुली किए जाने की शिकायते प्राप्त हो रही है इस ओर जिला प्रशासन गंभीर रूप से दखल ले अथवा जणलोकाशाही संगठन की ओर से तिर्व आंदोलन किया जयेंगा
सैय्यद नासिर
संस्थापक अध्यक्ष जनलोकशाही संगठण