लंदन – आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू धर्म को ‘‘अपवर्जक नहीं, ज्यादा समावेशी’’ बताते हुए कहा कि दुनिया तब भी फले-फूलेगी जब सभी संस्कृतियों का सम्मान उनकी विविधता के साथ किया जाएगा। भागवत ने यहां से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर हर्टफोर्डशायर में ब्रिटेन आधारित परमार्थ संगठन ‘हिंदू स्वयंसेवक संघ’ की ओर से आयोजित तीन दिन के ‘संस्कृति महाशिबिर’ के समापन सत्र को रविवार को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू धर्म जिंदगी का एक तरीका है। आरएसएस प्रमुख ने हिंदू धर्म के सकारात्मक पहलुओं की चर्चा की जो ‘वसुधव कुटुंबकम’ के उसूलों पर यकीन करता है। भागवत ने ‘महाशिबिर’ में हिस्सा ले रहे ब्रिटेन और यूरोप के 2200 से ज्यादा प्रतिनिधियों से कहा, ‘‘विविधता भरी दुनिया में हर एक संस्कृति का सम्मान किया जाना चाहिए और जब सभी संस्कृतियों का सम्मान होगा, दुनिया फले फूलेगी। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू धर्म ‘‘ज्यादा समावेशी है और अपवर्जक नहीं है।’’ भागवत ने विकास और पर्यावरण के बीच टकराव के मुद्दे पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू धर्म में इस सवाल का जवाब है कि ‘‘क्या विकास के लिए पर्यावरण के साथ समझौता किया जाना चाहिए।’’ आरएसएस प्रमुख ने कसरत पर जोर देते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए कसरत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वस्थ समाज खाने की उपयुक्त आदत और नियमित व्यायाम के साथ अनुशासित जीवन गुजारने पर निर्भर करता है।’’ तीन दिन तक चले ‘महाशिबिर’ में ‘संस्कार’, ‘सेवा’ और ‘संगठन’ समेत कई मुद्दों पर गहरी चर्चा की गई। रामकृष्ण वेदांता सेंटर यूके के प्रमुख स्वामी दयानंद, लंदन सेवाश्रम संघ यूके के प्रमुख स्वामी निर्लिप्तानंद और ओमकारानंदा आश्रम स्विट्जरलैंड के आचार्य विद्या भास्कर ने भी ‘महाशिबिर’ को संबोधित किया।
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