हिंदी के मुहावरे ‘एक पंथ दो काज’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके नेतृत्व वाली सरकार ने पुनः सार्थक कर दिया है। मोदी सरकार की कार्यशैली को लेकर सदैव ही एक बात कही जाती है कि उनके द्वारा किए गए निर्णय बहुआयामी होते हैं। आईटी कानून के नए नियमों के संबंध में सोशल मीडिया की बिग टेक कंपनियों Facebook, Instagram, WhatsApp को तो घुटने टिकवाए ही साथ ही सर्वाधिक नौटंकियां करने वाली माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter के होश ठीकाने लगा दिए।
इस पूरे प्रकरण में सर्वाधिक भद्द मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी की पिटी है। आए दिन सोशल मीडिया पर ऊल-जलूल हरकतें करने के साथ फेक न्यूज फैलाने वाले राहुल का अकाउंट ही ट्विटर ने ब्लॉक कर दिया है। इतना ही नहीं जिन कांग्रेसी नेताओं और पार्टी के आधिकारिक हैंडलों से आपत्तिजनक Tweet किए गए उनके लिए Twitter की दुनिया अंधकारमय हो गई है।
नए आईटी नियम
भारत में Twitter ने सदैव ही अपना वामपंथी एजेंडा चलाया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके इतने बुरे दिन आ जाएंगे। मोदी सरकार ने आईटी नियमों में बदलाव किए तो Whatsapp, Facebook जैसी कंपनियों ने सारे नियम मान लिए किन्तु इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहा था।
ट्विटर ने सोचा था कि जब वो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को बैन कर सकता है तो कुछ भी कर सकता है। पुराने आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के कार्यकाल में ट्विटर ने खूब नौटंकियां कीं लेकिन नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के सामने ट्विटर की एक न चली। एक कुशल बिजनेसमैन और तकनीकी मामलों के जानकार अश्विनी वैष्णव के सख्त संदेशों के आगे ट्विटर की एक न चली और उसने सरेंडर कर दिया।
नियम माने तो बढ़ी कांग्रेस की मुसीबत
Twitter ने भारत के सभी आईटी नियमों को मान लिया है और आज की स्थिति में ट्विटर पर अराजकता फ़ैलाने वाले यूजर्स या तो हमेशा के लिए बैन हो रहे हैं, या उन पर कार्रवाई हो रही है। ट्विटर की इस कार्रवाई का सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को हुआ है।
दिल्ली की रेप पीड़िता 9 साल की मृत बच्ची के परिजनों की तस्वीरें सार्वजनिक करना उन्हे ही नुकसान पहुंचाने लगे हैं। राहुल का ट्विटर अकाउंट अस्थाई रूप से लॉक हो गया है। ऐसे में कांग्रेस ने ये बात पहले तो नहीं मानी, लेकिन बाद में स्वीकार करनी पड़ी। कांग्रेस ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसका विरोध किया तो वो भी बैन हो गया।
बैन की भरमार
राहुल का ट्विटर अकाउंट बैन होने के बाद जिन कांग्रेस नेताओं ने सत्याग्रह की नौटंकी के नाम पर उन पीड़ित परिजनों की तस्वीरें पोस्ट कीं वो सभी बैन हो गए हैं। स्वयं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि उसके करीब पांच हज़ार नेताओं और कार्यकर्ताओं के ट्विटर अकाउंट बैन हो गए हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा अपने भाई की तस्वीर लगा कर सत्याग्रह की नौटंकी कर रही हैं, लेकिन इस पूरे प्रकरण में राहुल और कांग्रेस की बुरी फजीहत हो गई है क्योंकि राहुल की विश्वसनीयता को बड़ा झटका लगा है।
एक साथ बड़ी परेशानी
ट्विटर, राहुल गांधी और कांग्रेस की मुसीबत एक साथ ही बढ़ी हैं। जब आईटी कानूनों को लेकर मोदी सरकार ट्विटर पर दबाव बना रही थी, उसी दौरान कोरोनावायरस की लहर के बीच कांग्रेस ने खूब दुष्प्रचार फैलाया। ऐसे में कांग्रेस की एक टूलकिट का खुलासा हुआ। अब इसमें ट्विटर की एक गलती उसके लिए बड़ी मुसीबत बनी, उसने बीजेपी के कई नेताओं और प्रवक्ताओं के कांग्रेसी टूलकिट के खुलासे वाले ट्वीट को मैनुपुलेटेड कंटेट बता दिया। ट्विटर का रुख उस वक्त काफी आक्रमक था, उसने कांग्रेस को बचाने की कोशिश की और कांग्रेस ने ट्विटर को।
नियम बदले तो फासी कांग्रेस
कांग्रेस और ट्विटर के बीच की ये ज़ुगलबंदी एक सांकेतिक ही निकली क्योंकि नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के आने के बाद ट्विटर ने सभी आईटी नियम मान लिए, और कांग्रेस चाहकर भी कुछ न कर सकी। किन्तु कांग्रेस को उम्मीद थी कि उसे नियम बदलने के बावजूद कुछ खास नुकसान नहीं होगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली की रेप पीड़ित बच्ची के परिजनों की तस्वीरें सार्वजनिक की तो ये आईपीसी के नियमों के विपरीत था। एनसीपीसीआर की शिकायत के बाद पहले राहुल पर कार्रवाई हुई और फिर उनको समर्थन देने वाले नेताओं पर। कांग्रेस और राहुल गांधी को उम्मीद थी कि ट्विटर उनका समर्थन करेगा क्योंकि राहुल और ट्विटर प्रमुख जैक डॉर्सी के बीच काफी करीबियां थीं। राहुल के हाथ कुछ नहीं लगा, और आज की स्थिति में वो ट्विटर की अंधकारमय में दुनिया में पहुंच गए हैं।
एक तीर कई निशाने
संसद में कांग्रेसी नेताओं की अराजकता का समर्थन और सोशल मीडिया पर आए दिन दुष्प्रचार करने के चलते राहुल गांधी की छवि बर्बाद हो चुकी है। वहीं ट्विटर द्वारा कार्रवाई के बाद तो उन पर एक फेक न्यूज फैलाने वाले और अपराधी होने का ठप्पा लग चुका है। ट्विटर के अलावा अब एनसीपीसीआर उनके खिलाफ फेसबुक से भी कार्रवाई की मांग कर चुका है। संभावनाएं हैं कि वो फेसबुक से भी ब्लॉक कर दिए जाएं।
ऐसे में राहुल की एक गलती के बाद ट्विटर ने राहुल को लपेटें में ले लिया, किन्तु इस पूरी क्रोनोलॉजी के पीछे नए आईटी नियम है, जिन्हें मानने पर ट्विटर मजबूर था। इसके चलते राहुल गांधी का राजनीतिक करियर तो पहले से अधिक निचले स्तर पर गया ही है, साथ ही बिग टेक कंपनी ट्विटर को झुका कर मोदी सरकार ने वैश्विक स्तर पर अपने दृढ़ संकल्प का परिचय दिया है।