उत्तरप्रदेश में योगी पर्व की शुरुवात होते ही सूबे की जनता में उम्मीदों, आशाओं , महत्वाकांक्षाओं के फूल खिलने लगे हैं. सत्ता पर बैठते ही योगी आदित्यनाथ ने अपने सभी मंत्रियों से अपनी संपत्ति और पूंजी का ब्योरा 15 दिन के भीतर सार्वजनिक करने के लिए कहते हुए पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाने के संकेत दिये. यह अलग बात है की उत्तरप्रदेश में वर्षों से व्याप्त दलदल को साफ़ करने में दामन पर छींटे पड़ने का अंदेशा भी बना रहेगा. योगी आदित्यनाथ से उम्मीदें कुछ ज्यादा ही लगाईं जा रही हैं. जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही देश की जनता पारस पत्थर रगड़ कर चमत्कार करने वाले युग के अवतरण का ख्याल पाले बैठी थी , ठीक उसी प्रकार से रामराज का स्वप्न पालते हुए उत्तरप्रदेश में आस लगे जा रही है. खैर यह तो आने वाला वक़्त बताएगा की ऊंट किस करवट बैठेगा. किन्तु अभी से अटकलें लगाना यां उम्मीदें पालना बेकार है. पहले योगी जी को कार्य करने तो दो .
राज्य में कुछ ना कुछ बदलाव तो समय के साथ प्रारंभ हो गए हैं. इस बार की सरकार निर्माण में राज्य की महिला शक्ति का बहुत बड़ा योगदान रहा है. यही कारण रहा है की आजादी के बाद से प्रदेश में सबसे ज्यादा, कुल 41 महिलाएं जीत कर इस बार विधान सभा पहुंची हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा 35 महिलाएं बीजेपी से जीती हैं, जबकि कांग्रेस और बसपा में दो-दो महिला विधायक हैं. वहीं सपा और अपना दल से भी एक-एक महिला उम्मीदवार इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीती है. पिछली विधानसभा में विजयी महिलाओं की संख्या 35 थी. हालांकि इस बार का भी आंकड़ा कोई शोभाज़नक नहीं है फिर भी समाधान माना जा सकता है. उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में इस बार सभी राजनेतिक पार्टियों ने मिला कर कुल 485 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था. उनमें से मात्र 41 महिला शक्ति की विजय हुई है. जो की सिर्फ दस प्रतिशत के लगभग है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने मंत्रिमंडल में महिला शक्ति को उचित स्थान देने का निर्णय लेते हुए कुल 44 मंत्रियों में 5 महिलाओं को स्थान दिया है.
उत्तरप्रदेश चुनाव में मुस्लिम महिला वर्ग ने भाजपा को खुलकर मतदान किया है. तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिला लामबंद हुई है. भाजपा की और से उठाये गए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक बहस भी प्रारंभ हो गई . तीन तलाक के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा दावा किया गया है की केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए तीन तलाक के खिलाफ प्रथा खत्म करने की अपील के साथ दायर याचिका पर 10 लाख मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किये है। इनमें ज्यादातर मुस्लिम महिलाएं शामिल हैं। इन मायनों में भी उत्तरप्रदेश चुनाव में महिला वर्ग का बहुत बड़ा योगदान रहा है. लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की आधी आबादी कही जाने वाली महिला शक्ति को अभी भी कुछ प्रतिशत में भागीदारी मिल रही है. राजनीतिक पार्टियों में अभी भी महिला उम्मीदवारों को लेकर विश्वास, आदर यां उत्साह नहीं है.
उत्तरप्रदेश में इस बार के चुनाव में जीतने वाली महिला उम्मीदवारों के बारे में कहा जा सकता है की उन्होंने परंपरागत राजनीती से परे एक मुकाम बनाया है. विधायक बनी कई महिलाएं तो राजनीति में बिल्कुल नई हैं और कुछ घर से बाहर निकल कर पहली बार राजनीती में आई हैं. फैजाबाद जिले की मुस्लिम बहुल बीकापुर सीट से भाजपा की शोभा सिंह चौहान ने 94 हज़ार से अधिक वोटों से विजय हासिल की. शोभा सिंह ने सपा के आनद सेन, बसपा के जीतेन्द्र सिंह जैसे दो- दो बाहुबलियों को हराते हुए जीत हासिल की है. शोभा सिंह के पति मुन्ना सिंह चौहान राष्ट्रीय लोक दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री भी रहे. पति मुन्ना सिंह चौहान की मृत्यु के बाद शोभा ने अपनी राजनीतिक पारी शुरू की और बीजेपी में शामिल होते हुए दमदार जीत हासिल की. हमीरपुर जिले की राठ सुरक्षित सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली मनीषा अनुरागी ने एक लाख से अधिक वोटों से विजय हासिल की. पोस्ट ग्रेज्युएट मनीषा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था, इससे पहले वह नगरपालिका चुनाव में पराजित हुई थी. ख़ास बात यह है की बुंदेलखंड में सबसे अधिक वोटों से जीतने वाली मनीषा अनुरागी ने राठ विधानसभा में विजय हासिल कर पहली बार इस सीट पर भाजपा का परचम लहराया है, इतना ही नहीं 1952 के बाद से पहली बार इस सीट पर कोई महिला चुनकर आई है. अमेठी सीट पर राजघराने की रोचक लड़ाई देखने को मिली. अमेठी राजघराने के राजा संजय सिंह ने अपनी दूसरी पत्नी रानी अमिता सिंह को कांग्रेस की ओर से मैदान में उतारा तो उनकी दूसरी पत्नी रानी गरिमा सिंह ने भाजपा से परचा दाखिल किया. दोनों रानियों के बीच हुए इस मुकाबले में भाजपा से रानी गरिमा सिंह ने विजय हासिल की.
अमेरिका के नार्थ ड्यूक यूनिवर्सिटी, नार्थ कैरोलाइना से एमबीए कर के आयी अदिति सिंह ने रायबरेली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 89,163 वोटों से जीत दर्ज की. प्रदेश में जबरदस्त मोदी लहर होने के बावजूद भी अदिति सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की . अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह इसी सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. वहीँ कांग्रेस की ओर से दूसरी महिला विधायक आराधना मिश्र मोना अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं हैं. आराधना के पिता प्रमोद तिवारी प्रतापगढ़ जनपद की रामपुर खास सीट से नौ बार विधायक रहे हैं. उनके राज्यसभा चले जाने के बाद पिछली बार मोना उपचुनाव में जीतीं. ख़ास बात यह है कि ये दोनों महिला विधायक कांग्रेस के कुल विजयी सात विधायकों में सम्मिलित हैं. लखनऊ की कैंट सीट से कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में आईं डॉक्टर रीता बहुगुणा जोशी ने मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव को हराकर विजय हासिल की. पूरी तरह से गैर राजनीतिक रही बीजेपी उम्मीदवार स्वाति सिंह ने लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से विजय हासिल की. बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह द्वारा जब बसपा प्रमुख मायावती के प्रति कथित तौर पर अपशब्द कहे गए थे तब बसपा ने राज्य में प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया था. उसी समय स्वाति सिंह अपने पति दयाशंकर सिंह के समर्थन में मैदान में उतर आईं थी. उनकी बेबाकी व होंसलों को देखते हुए भाजपा ने उन्हें महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया और स्वाति सिंह चुनाव जीतकर अब विधायक बन चुकी हैं. स्वाति सिंह ने इन चुनाव में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाई को हराया था .
वहीँ आगरा की बाह सीट से सपा सरकार में मंत्री रहे राजा अरिदमन सिंह की पत्नी भदावर राजघराने की रानी पक्षालिका सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता. बिजनौर सीट से पहली बार विधायक बनीं 27 वर्ष की सुचि चौधरी प्रदेश की सबसे कम उम्र की विधायक हैं. फूड एंड न्युट्रीशन संकाय में पोस्ट ग्रेज्युएट जेल में बंद सुचि चौधरी के पति ऐश्वर्य चौधरी उर्फ़ मोसम भैया भाजपा समर्थित अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हैं. बिजनौर जिले में हुए एक जातीय हत्याकांड में वह आरोपी हैं. फलों के राजा आम के लिए प्रख्यात मलीहाबाद सीट से जया देवी ने अपना पहला चुनाव आसानी से जीता. हालांकि इनको अपने भाजपा सांसद पति कौशल किशोर का राजनेतिक लाभ मिला. इलाहाबाद के मेजा इलाके से बाहुबली उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ते हुए विजय हासिल की. इनके पति बीएसपी के एमएलसी रहे उदयभान करवरिया इलाहाबाद में सपा सांसद जवाहर यादव उर्फ पंडितजी हत्याकांड में नैनी जेल में बंद है। करोड़ों की मालकिन दो साल से मेजा में छोटे से मकान में रह रही हैं।
राजनेतिक , गैर राजनेतिक, समाजसेवा यां अच्छे लोगों को राजनीती में प्रवेश की चाह लेकर उत्तरप्रदेश राजनीती में आधी आबादी को बहुत सारी उम्मीदें हैं. जिस तरह से महिला सक्षमता के हालत बदल रहे हैं उसे अभी भी बहुत धीमी रफ़्तार कहा जाएगा. घर का सारा सफल सञ्चालन करने वाले महिला वर्ग को अभी भी और विश्वास हासिल करने की जरुरत जान पड़ती है. राजनीती में यां सत्ता में मुकाम हासिल कर रही महिला शक्ति को महिला स्वयंरोजगार , सशक्तिकरण, शिक्षा , तकनिकी संबलता, महिला विकास के बारे में दूरदर्शिता दिखानी होगी. उत्तरप्रदेश विधानसभा में अब तक के सबसे बड़े 41 महिला सदस्य आंकड़े से ही इसे अच्छी शुरुवात मानकर देश की बदलती राजनेतिक दिशा में योगदान प्रारंभ करना होगा. तभी देश में महिला हकों के लिये की जाने वाली बड़ी बड़ी बातें सार्थक हो सकेंगी और कह सकेंगे नारी सर्वत्र पूज्यते !! – विशाल चड्ढा, नई दिल्ली