पुणे (तेज समाचार डेस्क). गुरुवार से शुरू होने वाली बारहवीं की परीक्षाओं पर फिर एक बार शिक्षकों के बहिष्कार के काले बादल मंडरा रहे हैं. आश्वासन देने बाद भी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप करते हुए महाविद्यालयीन शिक्षकों 20 फरवरी तक मांगें पूरी न होने पर 21 फरवरी से परीक्षाओं का बहिष्कार किया जाएगा.
बता दें कि, महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालीयन शिक्षक महासंघ की ओर से, सूचना तकनीक विषय को अनुदान दिया जाएं, सभी शिक्षकों को चयन श्रेणी लागू करें, पुरानी पेन्शन योजना लागू की जाएं, आश्वासित प्रकगति योजना लागू करें, सातवें वेतन आयोग की सीफारिशों को लागू करें, ऐसी विभिन्न मांगों के लिए पिछले कुछ महिनों में विभिन्न प्रकार के आंदोलन किए गए. साथ ही शिक्षक महासंघ की ओर से इन मांगों की पूर्ति के लिए बारहवी की परीक्षाओं का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी थी.
इस संदर्भ में शिक्षक महासंघ के उपाध्यक्ष प्रा. अनिल देशमुख ने बताया कि, आंदोलन पर संज्ञान लेते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के साथ कनिष्ठ महाविद्यालयीन शिक्षक महासंघ के पदाधिकारीयों की बैठक हुई. बैठक में तावड़े ने शिक्षकों की सभी मांगें मानने की बात कही गई थी. साथ ही राज्य के अर्थमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के साथ संयुक्त बैठक कर मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया था. आश्वासन के बाद बाद कनिष्ठ महाविद्यालयीन शिक्षकों की ओर से अपना आंदोलन स्थगित कर दिया गया था. साथ ही परीक्षाओं का बहिष्कार न करने पर भी हामि भरी गई थी. लेकिन सरकार की ओर से वादाखिलाफी की गई है. इस कारण से महाविद्यालयीन शिक्षक महासंघ फिर एक बार सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने तथा 20 फरवरी तक मांगें पूरी न होने पर 21 फरवरी से शुरू होने वाले बारहवी की परीक्षाओं पर बहिष्कार करेगा. इस बहिष्कार के बाद अगर छात्रों का शैक्षिक नुकसान होता है, तो उसके लिए सरकार ही जिम्मेदारी होगी, ऐसी जानकारी देशमुख ने दी.
इस बीच अगर शिक्षकों की ओर से बहिष्कार किया गया तो इसका बारहवी की परीक्षाओं पर कैसा असर होगा, इस ओर छात्रों और अभिभावकों की नजरें टीकी है.