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सूखे जंगलों ने ली 30 भूखे वन्य पशुओं की जान

Tez Samachar by Tez Samachar
May 30, 2019
in Featured, खानदेश समाचार, जलगाँव
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सूखे जंगलों ने ली 30 भूखे वन्य पशुओं की जान

जामनेर / जलगांव (नरेंद्र इंगले ). जामनेर तहसील के मोयगांव दिगर – सामरोद से सटे आरक्षित जंगलों में करीब 18 नीलगायों तथा 11 जंगली सुअरों की मौत का मामला मंगलवार सुबह प्रकाश मे आया है. मामले को लेकर वनअधिकारी समाधान पाटिल से संपर्क बनाने पर उन्होंने घटना की पुष्टि की है. पाटिल ने बताया कि हमें घटना की जानकारी मिलने पर हमने वन विभाग की टीम और पशु अधिकारी समेत मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया है. मृत जानवरों के शवों का पंचनामा कर मुआयना करने के बाद ही जानवरों की मौत की कोई ठोस वजह बताई जा सकेगी.

निजी कंपनी में फील्ड कर्मी दीपक कचरे ने पर्यावरण प्रेमी तथा सजग नागरिक की भूमिका का निर्वहन करते संवाददाता को इस मामले की जानकारी तथा घटनास्थल के फ़ोटों सांझा किए है. सामरोद के पूर्व ग्राम प्रधान श्रीकांत पाटिल ने बताया कि जंगल मे घास भक्षी पशुओं की संख्या अधिक है. अब अकाल के कारण पूरा जंगल सूख चुका है. परीपेक्ष में जानवरों को पीने के पानी की विपुलता है. लेकिन पर्याप्त खाद्यान्न जंगलों में नहीं हैं. ऐसे में इतने जानवरो की अचानक मौत कैसे हो गयी, यह बड़े आश्चर्य की बात है. वहीं कुछ लोग इन जानवरों की मौत के लिए दुराई जाति की घास को भी जिम्मेदार बता रहे हैं.

जानकारों के मुताबिक दुराई यह ऐसी घास है, जिसे खाने के बाद जानवरों को फुड पॉइजनिंग होती है. वहीं दुराई जाति की घास खाने के कारण इन जानवरों की हुई मौत का अंदेशा जमीनी हकीकत से इसलिए भी मेल खाता नहीं नजर आता, क्योंकि सूखे जंगलों में जहां घास का एक तिनका भी दिखाई नहीं पड़ता वहां दुराई का अस्तित्व भला कैसे स्वीकारा जा सकता है. विदित हो कि भयानक सूखे के चलते तहसील के जंगलों में जानवरों के लिए घास ही नहीं बची है. मानसून के भरोसे जो घास उगती है, उसे वन विभाग द्वारा सरकारी नीलामी के जरिये निजी व्यापारियों को बेचा जाता है. बचीखुची घास जंगलों में लगने वाली कथित आगजनी में जलकर राख हो जाती है. कुछेएक वनबिटों में घास के डिपो बचाकर भी रखे गए, तो उन्हें पालतु मवेशी चट कर जाते है. ऐसे में इन रूखे जंगलों में जानवरों को आस-पडोस के स्त्रोतों से जहां पानी तो आसानी से मिल जाता है, पर पेट भरने के लिए चारा नहीं मिल पाता.

घटनास्थल पर जगह जगह पर मृत जानवरों के शव सड़ी-गली अवस्था में दिखाई पड़े हैं. वनविभाग की टीम ने दिनभर जंगलों में मृत जानवरों की खोजबीन के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया. शवों के विसेरा सैंपल को जांच के लिए जमा कराया गया है. अब इन विसेरा की रिपोर्ट से ही इन जानवरों की मौत का असली वजह पता चल सकेगी.

Tags: 30 wild animal die from hungerघासजंगली सुअरनील गायनीलगायवन विभाग
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